रोशन के पिताजी एक किसान थे, और उसे पढ़ा लिखाकर एक अच्छा इंसान और बहुत बड़ा आदमी बनाना चाहते थे लेकिन जब रोशन छोटा था, तो स्कूल जाते वक्त वह अपने पिताजी से बहुत पैसे माँगा करता था। धीरे-धीरे यह उसकी आदत बनती चली गयी। पिताजी रोज की तरह ही उसे पैसे देते चले गए, रोशन पैसे मिलते
ही बेकार के दोस्तों के साथ खर्च कर देता और पैसे न मिलने पर ‘मैं स्कूल नहीं जाऊंगा’ का रट लगाये रहता। घर में सभी उससे बहुत प्यार करते थे इसलिए जब कभी उसके पिताजी उसे पैसे देने से इंकार करते तब उसकी माँ, दादा-दादी, या परिवार के अन्य लोग उसे निराश न करते हुए पैसे उसकी हाथों में थमा देते । रोशन जब स्कूल में था तो रोज ही दस रूपये अपने घर से लेता था और बेकार की खर्च में लुटा देता था जैसे दोस्तों से मौजमस्ती और दुकान से फालतू की चीजें खरीद करके खाने में। अब रोशन बड़ा हो रहा था और स्कूल पास करने के बाद कॉलेज में उसने प्रवेश लिया । अब रोशन की दस रूपये में दाल नहीं गलने वाली थी उसने पिताजी से 100/- रूपये हर दिन लेने शुरू कर दिए। क्योंकि रोशन पढ़ने में होनहार था इसलिए पिताजी को पैसे देना सही लगा लेकिन साथ ही उन्हें उसके फालतू के खर्चों से बहुत बुरा लगता था। एक दिन कॉलेज जाने से पहले रोशन ने पिताजी से पैसे मांगे पर अब उसके पिताजी उसकी गलत आदतों से परेशान हो चुके थे और उन्होंने उसे पैसे देने से मना कर दिया। लेकिन उसे तो फालतू खर्चे करने की आदत हो चुकी थी। एक दिन तो उसने जैसे- तैसे बिना पैसों के गुमसुम होकर गुजारे पर अगले दिन जब उसने पिताजी से पैसों के बारे में कहा तब उसके पिताजी ने उसे साफ़-साफ़ कह दिया कि रोशन अब तुम्हें मैं और पैसे नहीं दे सकता। पिताजी ने कहना जारी रखा, बेटा रोशन मैं तुम्हें उसी दिन अब पैसे दूँगा जब तुम अपनी कमाई से मुझे सौ रूपये लाकर दोगे तब तक तुम्हें घर से एक रूपये भी नहीं मिलेंगे। रोशन ने पिताजी के सामने हामी भर दी। रात को रोशन सोते वक्त सोचने लगा कि अब कल पिताजी को कैसे भी करके 100/- रूपये देने हैं तभी मुझे वो पैसे देंगे। रोशन चुपके से अपनी माँ के पास गया और उनसे कहने लगा, माँ तुम तो जानती हो पिताजी ने एक शर्त रखी है क्या तुम मुझे सौ रूपये दे सकती हो ताकि मैं उन्हें मैंने कमाया है कहकर बता सकूं। माँ ने बिना कुछ कहे अपने बेटे को सौ रूपये दे दिए। शाम को पैसे लेकर रोशन अपने पिताजी के पास आया और बोला “ये लीजिए पिताजी मैंने आज सौ रूपये कमाया है।“ पिताजी समझ चुके थे कि वह इसके मेहनत की कमाई नहीं है। उन्होंने बेटे से कहा “बेटा रोशन मुझे बहुत खुशी हुई तुमने आज अपनी मेहनत से पैसे कमाए, जाओ और इन पैसों को आग में डाल दो” रोशन ने पिताजी के कहे अनुसार ही पैसे आग में फेंक दिए। पिताजी ने कहा अब तुम इस हप्ते भर में मुझे हर दिन सौ रूपये दोगे ।
रोशन ने सिर हिला दिया और सोने के लिए चला गया।
रोशन ने घरवालों के बाकी लोगों से भी पैसे लिए और शाम को पिताजी की वही हरकत हुई और यह सिलसिला पाँच दिनों तक जारी रहा पैसे आग में जलते गए।
रोशन को अब कुछ नहीं सूझ रहा था अब उसने ठान लिया कि वो किसी से भी पैसे नहीं मांगेगा और अगले दिन वो एक जगह मेहनत करने लगा उसे उस मेहनत के बदले दो सौ रूपये मिले ।
वह दौड़ते हुए पिताजी के पास गया और पिताजी से कहा “ये लीजिए पिताजी मेरी मेहनत की कमाई “
पिताजी ने समझा कि इसने अपने किसी दोस्त से पैसे मांगे होंगे और वही बात दोहराई कि जाओ इस पैसे को भी आग में फेंक दो । लेकिन इस बार रोशन नें पैसे आग में नहीं फेंके और पिताजी से कहा कि पिताजी सच में यह मेरी मेहनत के पैसे हैं और मैं इसे कतई आग में नहीं फेकुंगा ।
इतनी मेहनत से मैंने एक- एक रूपये जोड़कर कमाया है मुझे माफ कीजिये मैं इसे नहीं फेंक सकता ।
पिताजी समझ गए कि वाकई ये मेहनत की कमाई के पैसे हैं । पर फिर भी उन्होंने अपने बेटे पर जोर देते हुए कहा कि वो यदि इन पैसों को नही फेंकेगा तो वो खुद ही इन पैसों को आग में डाल देंगे ।
“माफ कीजियेगा पिताजी पर मैं अपनी मेहनत से कमाए पैसों को ऐसे फालतू फेंकने नहीं दूँगा मैंने कितनी मुश्किल से कमाया है इसे मैं ही जानता हूँ” । रोशन बोला,
पिताजी ने कहा- बेटा मैं तुम्हें यही बताना चाहता था कि कितनी मेहनत से हम एक-एक रूपये कमाते हैं और तुम उन्हें फालतू के खर्चों में आग में डालने के बराबर जैसा ही कार्य करते हो । तुम मेरे बेटे हो मेरे पैसों पर तुम्हारा ही तो अधिकार है मैं तुम्हारे लिए ही तो कमा रहा हूँ पर आज तुम समझ गए होगे कि अपनी कमाई को यदि आग में डालें तो कैसा लगता है ।
रोशन अपने पिताजी की बातें समझ गया था उसने फ़ौरन अपने पिताजी से माफ़ी मांगी और कहा पिताजी आज सचमुच आपने मुझे एक बहुत बड़ा पाठ पढाया है ।
दोस्तों माता- पिता अपने बच्चों के लिए ही कमाते हैं लेकिन हमारा कोई हक नहीं बनता कि हम उनकी मेहनत से कमाए पैसों को फालतू के खर्चों में उपयोग में लायें । बच्चे बिगडने का एक कारण यह भी है कि बेटा/बेटी जितना पैसा भी मांगे, उसे आप दे दीजिए, उसे आप पैसे की कीमत मत समझाइये। आखिर इस बात का पूरा ध्यान रखिये कि उसे वैसी दिक्कतों का कभी न सामना करना पड़े, जिनका सामना आपको एक ज़माने में करना पड़ा था ।
Thanks!