मेरी माँ से मैं बहुत नफरत करता था क्योंकि उनकी बस एक ही आँख थी और वो मुझे बहुत बुरी लगती थी। मेरे पिता नहीं थे, जब बहुत छोटा था तो चल बसे थे, हम अकेले थे, मेरी माँ हम दोनों के गुज़ारे के लिए बहुत मेहनत करती थी, वो हमारे स्कूल में खाना बनाने का काम करती थी।
एक बार जब मैं क्लास में अकेला बैठा था, तो वो मेरे पास आई और माँ ने मुझसे पूछा, ‘बेटा तुम अकेले क्यूँ बैठे हो?’ उनके ऐसा हमदर्दी दिखने पर मुझे जरा भी खुशी नही हुई, उस वक्त मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा था।
वो क्लास में मेरा मजाक बनाने के लिए क्यूँ आई थी? जबकि उन्हें पता था कि उनके कारण मेरे क्लासमेट्स मुझे चिढाते थे, एक दोस्त ने तो सीधा मुझसे कहा भी, “अरे! तुम्हारी माँ की तो सिर्फ एक आँख है.. वो तो कानी है..”
उस वक्त मुझे बहुत धक्का पहुंचा.. माँ के चलते इतनी बेज्जती जो सहना पड़ा था मुझे..।
मैं तो बस यही दुआ कर रहा था कि मेरी माँ कहीं गायब ही हो जाए. एक बार तो मैंने उनसे कहा भी कि “अगर आप पुरे जगत के लिए मुझे बस एक हसने लायक पात्र बनाना चाहती हैं, तो आप मर ही जाओ, रोज-रोज आपका मनहूस चेहरा देखना मुझे बिलकुल भी अच्छा नही लगता..”
मेरी माँ ने कुछ भी नहीं कहा…और मैंने भी उस बारे में नहीं सोचा, मैं उस समय गुस्से से भरा हुआ था।
मैं बस उनसे कैसा भी करके अलग होना चाहता था, किसी भी हालत में उनसे दूर जाना ही मेरा मकसद था, बस उनसे अलग रहूँ हमेशा यही सोचता था… इसलिए मैंने बहुत पढाई की, बहुत मेहनत की. और एक अच्छी नौकरी हासिल कर ली। मैंने माँ से कहा की मैं अब उनके साथ नहीं रहना चाहता, और मैं जा रहा हूँ.
कुछ सालो बाद मैंने शादी कर ली लेकिन मैंने माँ को नहीं बताया, और न ही उन्हें बुलाया..
मेरे बच्चे हुए, मैंने अपना खुद का एक घर ख़रीदा, मेरी जिंदगी अच्छी हो चली थी, लेकिन एक दिन मेरी माँ मुझसे मिलने आई, मेरे बच्चे उन्हें देख कर डर गए, और फिर थोड़ी देर बाद बच्चे उन्हें देखकर हसने लगे। मुझे उनका चेहरा देख कर कोई ख़ुशी नहीं हुई, यहाँ तक कि मैंने तो उन्हें घर के अन्दर भी नहीं बुलाया, और उन्हें खरी-खोटी सुनाकर बाहर से ही भगा दिया।
उस वक्त मेरी माँ ने धीरे से कहा- ‘माफ़ कीजिये शायद गलत घर मैं आ गयी हूँ’. उसने ऐसा कहा और चली गई।
एक दिन मैं आफिस के लिए तैयार हो रहा था, तभी मुझे एक letter मिला उसमे मेरे school का Reunion होने वाला था,मैं बहुत खुश हुआ. कि चलो बहुत दिन बाद अपने शहर जाकर दोस्तों से मिलूँगा..
Reuion के बाद मैं उस पुराने घर में गया जहाँ मेरा बचपन बीता था, ऐसे ही पता नहीं क्यों, बस चला गया!
वहाँ जाकर मुझे पता चला कि मेरी माँ कुछ दिन पहले ही इस दुनिया से चल बसी है, मर गयी है… मुझे तो बिलकुल भी दुःख नहीं हुआ, और न ही मेरे आँखों से आंसू निकले..
घर के पडोसी ने मुझे एक letter दिया, जो मेरी माँ मुझे देना चाहती थी, पर दे नहीं पायी…
“ मेरे प्यारे बेटे,
मैं हमेशा तुम्हारे बारे में ही सोचती रहती हूँ, तुम्हारी बहुत याद आती है बेटा, मुझसे समय निकलकर एक बार मिलने आओ न। मैं शर्मिंदा हूँ कि मैंने तुम्हारे घर आकर तुम्हारे बच्चो को डरा दिया, और तुम्हे परेशान किया, उसके लिए मुझे माफ कर देना बेटा.. मुझे पता लगा है कि तुम यहाँ आने वाले हो, पर मेरी हालत ऐसी है कि मैं बिस्तर से अभी उठ भी नहीं सकती हूँ.. बहुत बीमार रहती हूँ… मैं माफ़ी चाहती हूँ कि बचपन से आज-तक तुम्हारे लिए सिर्फ परेशानी बनी रही, मेरे कारण तुम्हारा बहुत मजाक बना।
बेटा तुम्हें पता है, जब तुम छोटे थे तो तुम, तुम्हारे पापा और मैं मेला देखने जा रहे थे लेकिन रास्ते में हमारा एक्सीडेंट हो गया और उस दुर्घटना में तुम्हारे पिता की मौत हो गयी, और तुम्हारी एक आँख चली गयी.. मैं एक माँ हूँ बेटा, अपने बच्चे को एक आंख के साथ बड़े होते हुए कैसे देखती भला! इसलिए मैंने अपनी एक आंख तुम्हे दे दी.. और मुझे तुम पर बहुत गर्व है बेटा कि आज तुम पूरी दुनिया को मेरी आँखों से देख रहे हो. या यूँ कहू कि मेरे लिए इस पुरे जहाँ को देख रहे हो… इतने दिनों तक तुम्हारा दिल दुखाया इसके लिए माफ़ी चाहती हूँ
समय निकालकर मिलने आना बेटा.
मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ हमेशा रहेगा
बहुत-बहुत प्यार..
तुम्हारी माँ
दोस्तों माँ का प्यार, माँ की दुलार, माँ की ममता इस दुनिया में भगवान की सबसे बड़ी देन है.. उसके आशीवाद भरे हाथ से हम सब आगे बढ़ रहे हैं, जीवन में हम जिस भी मुकाम पर पहुचंगे उसमे सबसे बड़ा योगदान माँ की दुआओं का होगा.. जब हमे कोई चोट लगती है तो जुबान पर सबसे पहला नाम माँ का ही आता है लेकिन हम उसे चोट पहुचाने से कभी नही चुकते.. मित्रों याद रखें कि माँ के दिल को दुखाना उसे चोट पहुचना दुनिया का सबसे बड़ा पाप है.. यह कोई उपदेश नही बल्कि सीधी और खरी बात है..