भारत माता की आजादी के लिए अनेक महिलाओं ने देशप्रेम की भावना लिए स्वयं को भारत माता की सेवा में समर्पित कर दिया। स्वतंत्र भारत का आगाज करने हेतु कई महिलाओं ने राष्ट्रवादी लेखों के माध्यम से अनेक लोगों को स्वतंत्रता के आन्दोलन में अपनी आहुती देने के लिए प्रोत्साहित किया। भारत की महिलाओं ने अपनी जोशपूर्ण लेखनी से देशप्रेम की ज्वाला को जन-जन तक पहुँचाने में कामयाब रहीं। उस दौरान रेडियो और समाचार पत्र ही देश दुनिया की खबरों का माध्यम थे। अखबार और पत्रिकाओं को लोग मन से पढते थे। अतः कुछ महिलाओं ने अपनी धारदार लेखनी को हथियार बनाते हुए, आजादी के संघर्ष में अपना योगदान दिया। ऐसी ही ओजस्वी और देशभक्त महिलाओं को महिला दिवस पर भावांजली सुमन समर्पित करने का प्रयास कर रहे हैं।
स्वर्णकुमारी देवी, कविवर रविंद्रनाथ टैगोर की बङी बहन थी। आजादी की लडाई में आपका महत्वपूर्ण योगदान था। आपने भारती नामक पत्रिका का सात वर्षों तक सफल सम्पादन करते हुए, अपने ओजस्वी लेखों से समाज में देशभक्ती की चिंगारी को जलाए रखा और समाज में व्याप्त अंधविश्वासों तथा कुरितियों पर जमकर प्रहार किया। 1876 में प्रकाशित होने वाला आपका उपन्यास दीपनिर्वाह को राष्ट्रीय चेतना की उत्कृष्ट कृति माना जाता है। सरलादेवी चौधरी ने अपनी माता स्वर्णकुमारी की विरासत को आगे बढाते हुए राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने हेतु अनेक लेख लिखे। आपके द्वारा लिखित पुस्तक बंगेरवीर को पढकर लोग जोश एवं आक्रोश में भर जाते थे। ये पुस्तक देशप्रेम की ज्वाला को समेटे हुए थी।
नमक सत्याग्रह में गाँधी जी के साथ अपनी गिरफ्तारी देने वाली डॉ. मधुलक्ष्मी रेड्डी ने अपने राष्ट्रवादी लेखों के माध्यम से भारतीय जनमानस में विदेशी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह के स्वर बुलंद किए। ब्रिटिश सरकार के अत्याचारों के खिलाफ आपने अनेक संघर्ष किए जिसके कारण अनेक यातनाओं का भी सामना करना पङा।
1927 में अखिल भारतीय महिला संगठन की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली कमलादेवी चट्टोपाध्याय, बाद में इस संगठन की अध्यक्ष पद पर रहते हुए देश की सेवा में अहम जिम्मेदारी को निभाती रहीं। अपनी लेखनी के माध्यम से सामाजिक क्रांति की अग्रदूत बनी और इंडियन वुमेन, बैटल फॉर फ्रीडम, अवेकनिंग ऑफ इंडियन वुमैन जैसी पुस्तकों के माध्यम से नारी जागृति तथा क्रांति की सूत्रधार रहीं।
विरेचित गीत और कविताएं लिखकर क्रांतिकारियों को प्रेरणा देने वाली सुभद्राकुमारी चौहान स्वंय भी आजादी के महायज्ञ में समर्पित सेविका थीं। झांसी की रानी, राखी की लाज, जलियावाला बाग जैसी ओजस्वी रचनाओं द्वारा क्रांति की मशाल को जलाए रखा, जिसकी तपन आज भी बरकरार है।
स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के साथ मिलकर काम करने वाली सुशिला देवी ने जनमानस को अपनी कविता के माध्यम से क्रांतिकारियों के दर्द का एहसास कराया। भगत सिंह, राजगुरू और सुख देव के बारे में उनके द्वारा लिखे लेख उस समय पंजाब के बच्चे-बच्चे की जुबान पर था।
तोरण देवी शुक्ला को स्वतंत्रता की विभूति माना जाता है। आपकी कविताओं में राष्ट्रीय भावनाओं की काव्यधारा बहती थी। जिसे सुनकर देशवासियों में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध विद्रोह की आग तेज हो जाती थी। देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत आपकी जागृति कविता संग्रह को केसरिया जैसा प्रतिष्ठित सम्मान का गौरव प्राप्त हुआ था।
अरुणा आसफ अली को एक समर्पित राष्ट्रभक्त और सच्चे पत्रकार के रूप में सदैव याद किया जाता है। आजादी की लडाई में अपनी पत्रकारिता के माध्यम से आपने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जीवन काल में ही अनेक पुरस्कारों से सम्मानित अरुणा आसफ अली को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
1929 से 1939 के मध्य केरल की बालमणी अम्मा ने अपनी राष्ट्रवादी साहित्यों तथा ओजस्वी कविताओं से जनमानस में देशभक्ति तथा राष्ट्रप्रेम की ललक का शंखनाद किया। जीवनकाल में ही आपको अनेक सम्मान तथा पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया।
अपनी लेखनी के माध्यम से देशसेवा, राजनीति और साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देनेवाली सरोजनी नायडु एक चिरपरिचित नाम, जिन्हे भारत कोकिला के नाम से भी जाना जाता है। आपकी कविताएं उत्कृष्ट कोटी की होती हैं जिसमें भारत की आत्मा के दर्शन होते हैं।
भारत देश में सत्य की खोज में आई कई विदेशी महिलाओं ने भी स्वतंत्रता की आहुति में अपना योगदान दिया जिसमें भगनी निवेदिता तथा एनी बेसेन्ट का नाम विशेष उल्लेखनीय है।
एनी बेसेन्ट ने सन् 1913 में कॉमन बिल नामक पत्रिका निकालकर स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया। कुछ समय बाद उन्होने मद्रास स्टैंडर्ड नामक पत्र को खरीदकर उसका नाम न्यू इंडिया रखा। इस पत्र के माध्यम से एनी बेसेन्ट, कई जोशीले लेख लिखकर भारत के लोगों को जागृत करती थीं, जिसके कारण उन्हे कई बार जेल भी जाना पङा।
भगनी निवेदिता ने अपने जीवन को भारत देश की सेवा में समर्पित किया। ये मूलतः आयरलैंड की रहने वाली थीं और उनका वास्तविक नाम मार्गरेट नोबुल था। स्वामी विवेकानंद जी की शिष्या के रूप में भगनी निवेदिता ने भारत को अपनी कर्मभूमि बना लिया था। अपनी लेखनी के माध्यम से नारी शिक्षा, समानता तथा देशप्रेम की भावना को जन मानस में अंकुरित करने का प्रयास करती रहीं।
इस तरह पराधीन भारत में अनेक विदुषी नारियों ने अपनी लेखनी के माध्यम से क्रान्तिकारी गतिविधियों में सहयोग दिया। देशभक्ती की भावना से ओत-प्रोत तथा ओजस्वी लेखों ने क्रांति को नई ऊर्जा प्रदान की। ऐसी महान देशभक्त नारियों की कृतियां आज भी जिवंत हैं। क्रांतिकारी सभी ज्ञात एवं अज्ञात महिलाओं के प्रति हम सब कृतज्ञ हैं। महिला दिवस पर ही नही वरन् सदैव ये नारियां हम सबके लिए आदर्श तथा भारत का गौरव हैं। इस धरा की मुस्कान को पुनः जीवित करने वाली विरांगनाओं को शत्-शत् नमन करते हैं।
अनिता शर्मा
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आप सभी पाठकों का हम सह्रदय आभार व्यक्त करते हैं कि, आप लोग मेरे लेखन के प्रयास में लेख को पढकर हमारा हौसला बढाते हैं। मेरे लिये ये हर्ष का विषय है कि, आप में से कई लोग दृष्टीबाधित बच्चों के लिये कार्य करना चाहते। आप सभी सद्कार्य की कामना लिये सभ्यजनो से मेरा अनुरोध है कि, आप जहाँ भी रहते हैं वहीं आस-पास किसी जरूरतमंद की मदद कर सकते हैं। यदि आपके पास कोई दृष्टीबाधित बच्चों की संस्था है तो उन्हे शिक्षादान दे सकते हैं। आपका साथ एवं नेत्रदान का संकल्प उनके जीवन को रौशन कर सकता है।- धन्यवाद
अनिता जी दृष्टिबाधित छात्रों के लिए सराहनीय कार्य कर रही हैं। उन्होंने अपनी आवाज़ में सैकड़ों educational YouTube videos post किये हैं, जिन्हें 100000 से अधिक बार देखा जा चुका है। आप इनके बारे में बताकर blind students की मदद कर सकते हैं। सामान्य विद्यार्थी भी जो Bank या Civil Services की तैयारी कर रहे हैं वो भी इन Audios का लाभ ले सकते है।
We are grateful to Anita Didi for sharing the best Hindi article on International Women’s Day
अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर बेहतरीन हिंदी लेख हमारीसफलता.कॉम पर पोस्ट करने के लिए हम आपके आभारी हैं.