तीर्थ यात्रा का समय था। पति-पत्नी दोनों ही इसका लाभ लेना चाहते थे। दोनों बड़े ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे। पर वो जिन धामों की यात्रा करना चाहते थे वह सब उनके घर से हजारों कि. मी. दूर था। इसलिए पति ने कहा- क्यों न हम ट्रेन का रिजर्वेशन करा लें और निर्धारित समय पर तीर्थ के लिए निकल पड़ें। दोनों ने ऐसा ही किया। अगली सुबह उनकी ट्रेन थी, लेकिन किसी पडोसी ने आकर उन्हें सुचना दी कि “क्या आपको खबर मिली, आज सुबह की ट्रेन से जो व्यक्ति यात्रा के लिए जा रहे थे उस ट्रेन का भयंकर एक्सीडेंट हो गया।” ये सुनते ही दोनों पति-पत्नी घबरा गए और दोनों ने एक-दूसरे से कहा- हम ट्रेन से जाने का रिस्क नहीं ले सकते।
पति ने सोचा कि क्यों न हम बस के द्वारा ये सफर कर लें। और दोनों एक बार फिर अपनी यात्रा की शुरुआत के लिए पूरी तरह से तैयार थे। जब दोनों अपना सामान पैक कर रहे थे, तब उन्होंने टी.वी. में खबर देखा कि एक बस लाचक की लापरवाही से बस, पूल से गिरा जिसमें बहुत लोगों की मृत्यु हो गयी। वो दोनों सहम से गए और उन्होंने सामान पैक करना बंद कर दिया। और इस बार फिर दोनों ने कहा- “तीर्थ यात्रा के लिए हम इतना बड़ा रिस्क नहीं ले सकते।”
अंत में उन्होंने पैदल ही यात्रा की सोची, दोनों घर से पैदल निकल गए.. जैसे ही वो कुछ दूर चले थे रास्ते में एक भयंकर रोड एक्सीडेंट हुआ था जिसमें एक ट्रक ने दो पैदल चल रहे व्यक्तियों को कुचल दिया था। उन दोनों से ये दृश्य नहीं देखा गया और दोनों ने कहा- “भगवान हम यात्रा के लिए ही इतना बड़ा रिस्क नहीं ले सकते कृपया हमें क्षमा करें।”
और दोनों फिर से अपने घर में बैठ गए.
अगली सुबह जब वो दोनों पति-पत्नी घर पर ही मौजूद थे तो अख़बार वाले ने दरवाजे पर दस्तक दी। उन्होंने उससे अख़बार लिया और जब पति ने अख़बार खोला तो मुख्य पृष्ठ पर लिखा था- घर की छत गिरने से घर में उपस्थित दो लोगों की मौत…………।
अब दोनों करें तो क्या करें? अब उन्हें इस बात का एहसास हो गया था कि जिंदगी में रिस्क न लेना ही सबसे बड़ा रिस्क है। वो दोनों ही अपने पिछले कार्य के लिए शर्मिन्दा थे। क्योंकि अब वो घर छोड़कर तो नहीं जा सकते।
मित्रों जीवन के कई क्षेत्रों में भी हमारे साथ ऐसा ही होता है, हम रिस्क लेना नहीं चाहते। हमें लगता है किसी व्यक्ति का उस क्षेत्र में नुकसान हुआ है या वह उस क्षेत्र में असफल हुआ है तो हमारे साथ भी ऐसा ही होगा!
पर ऐसा बिलकुल नही है। यदि आप अपने मनपसंद कार्य को करने के लिए रिस्क लेना नहीं चाहते, अपने दिल की आवाज को सुनने से डरते हैं, आपको लगता है कि ये एक बड़ा रिस्क होगा तो ऐसी सोच ही आपके लिए सबसे बड़े रिस्क के बराबर है। आपको लगता है कि जॉब छोड़ने के बाद या डिग्री न लेने के बाद भी आप कुछ बेहतर कर पाएंगे लेकिन रिस्क उठाने से डरते हैं। आपको लगता है कि जो दूसरों के साथ हुआ वो आपके साथ भी होगा तो ये आपके लिए सबसे बड़ी रिस्क है। यदि चेतन भगत ने जॉब नहीं छोड़ी होती, रिस्क नहीं लिया होता तो आज वे इतना बड़ा राईटर नहीं बन पाते। हर चीज में रिस्क लेनी पड़ती है। जब तक आप कदम नहीं बढ़ाएंगे आपको पता कैसे चलेगा कि आपने सचमुच सही किया या गलत। आप तब तक कुछ बड़ा नहीं कर सकते जब तक कि आप रिस्क नहीं लेंगे। रिस्क न लेना, आगे बढ़कर शुरुआत करने से डर जाना ही सबसे बड़ा रिस्क है, जो आपके पैरों में जंजीरें बांध देगा और आपको सफल होने से, आगे बढ़ने से रोकते रहेगा।