Winners जो कुछ ऐसे होते हैं Motivational Article in Hindi
दोस्तों आज इस पोस्ट में हम आपको तीन ऐसे प्रेरक विजेता बताने वाले हैं जिससे आप सब भी Winner शब्द का सही अर्थ जान पायें, यह पोस्ट हमने शिव खेड़ा जी की किताब You Can Win से ली है
- ओलम्पिक में भाग लेना जीवन की एक बहुत बड़ी घटना मानी जाती है. लारेंस लेमिएक्स (Lawrence Lemieux) ओलम्पिक में नाव की रेस (Race) के दौरान मुसीबत में फंसे अपने एक प्रतियोगी की मदद करने के लिए रूक गए. सारी दुनिया देख रही थी. अपने जीतने की इच्छा से ज्यादा दूसरे के जीवन की रक्षा करने को उन्होंने प्राथमिकता दी.
हांलाकि वे नौका-दौड में नहीं जीते, फिर भी विजेता थे.. सारी दुनिया के राजा और रानियों ने उनका सम्मान किया, क्योंकि उन्होंने ओलम्पिक की भावना को जीवित रखा…
- रूबेन गोन्जेलिस (Reuben Gonzales) रैकेटबॉल की विश्व चैम्पियनशिप फायनल मैच खेल रहे थे. फाइनल खेल में मैच पॉइंट पर, गोंजेलिस ने एक बहुत अच्छा Shot खेला.. रैफरी और लाइन्समैन, दोनों ने उनके शोट को सही बताया और उन्हें विजेता घोषित कर दिया.. मगर गोंजेलिस ने थोडा रुकने और हिचकने के बाद, पीछे मुड़कर अपने प्रतिद्वंदी से हाथ मिलाते हुए कहा, “शोट गलत था ” नतीजा यह हुआ कि वे सर्विस हार गए और मैच भी…
हर कोई हैरान रह गया.. कौन सोच सकता था कि एक खिलाडी, जिसके हक में सारी बातें हों, हार को इस तरह गले लगा लेगा… जब पूछा गया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया तो गोंजेलिस ने जवाब दिया, “अपने जमीर को बनाये रखने के लिए मेरे पास यही एक रास्ता था..”
वह मैच हार गए, लेकिन फिर भी एक विजेता थे…
- कुछ सेल्समैनों के एक ग्रुप ने मीटिंग के लिए शहर से बाहर जाते समय अपने परिवार वालों से कहा कि वे शुक्रवार की रात को खाने के समय तक आ जायेंगे. लेकिन जैसा कि इस तरह के दौरों में होता है, एक के बाद एक काम होने की वजह से मीटिंग निश्चित समय पर खत्म नही हो सकी.
उन्हें देर हो चुकी थी, और उन्हें जहाज पकडना था.. वे भागते-भागते जहाज छूटने से कुछ ही मिनट पहले एयरपोर्ट पहुंचे, टिकिट उनके हाथों में था और वे आशा कर रहे थे कि जहाज शायद अभी न उड़ा हो!
इसी भाग-दौड में उनमे से एक मेज से टकरा गया, जिस पर फलों का एक टोकरा रखा था.. सारे फल इधर-उधर बिखर गए और खराब हो गए, लेकिन उनके पास रूकने का समय नही था.. वे दौड़ते रहे और जहाज के अंदर पहुंचकर उन्होंने चैन की सांस ली, सिर्फ एक को छोड़कर…
उसने अपने सथियों से विदा ली और लौट आया.. उसने जो कुछ देखा, उससे उसे अहसास हुआ कि उसने बाहर आकर ठीक किया है.. वह उस गिरी हुई मेज के पास गया, और उसने उस मेज के पीछे एक दस साल की अंधी बच्ची को देखा, जो अपनी रोजी-रोटी के लिए फल बेचती थी..
उसने कहा, ” मुझे उम्मीद है कि हमने तुम्हारा दिन खराब नहीं किया है.” उसने 10 डॉलर जेब से निकालकर उस लड़की को दे दिए, और कहा, “यह तुम्हारा नुकसान पूरा कर देगा.”
इसके बाद वह चला गया.. लड़की यह सब कुछ तो देख न सकी; लेकिन दूर जाते कदमों की धीमी पड़ती आवाज को सुनकर उसने जोर से आवाज लगाई, “क्या आप भगवान हैं?”
उस सेल्समैन का जहाज तो छूट गया, लेकिन क्या वह विजेता नहीं था? यकीनन था…
कोई बिना मेडल के भी विजेता हो सकता है.. और यदि जीत को सही नजरिये से न देखा जाए, तो वह मेडल जीतने के बाद भी हारा हुआ हो सकता है…
धन्यवाद!