Apple company के founder, Steve Jobs की पूरी Life struggle से भरी हुई है। उनके संघर्ष का हर एक पल हमारे लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है। उन्होंने अपनी लाइफ में बहुत से दर्द चुपचाप सहे हैं और उन दर्द ने ही Steve को Inspire किया है। आइये HamariSafalta.Com पर हम आपके साथ उनके तीन सबसे बड़े दर्द का जिक्र करना चाहेंगे, जिसको Steve ने चुपचाप सहन किया है।
Steve की Life में पहला दर्द था कि उनके जैविक माता-पिता द्वारा ही उन्हें छोड़ दिया गया इसका मतलब है पैदा होते ही उनका त्याग कर दिया गया। स्टीव, छोटे-से उम्र से ही जान चुके थे कि वे अपने जैविक माता-पिता द्वारा त्यागे गए हैं, और उनका पालन-पोषण कर रहे माता-पिता ने उन्हें गोद लिया है। उनके माता-पिता स्वतंत्र दिमाग के थे जिसके चलते उन्होंने स्टीव से कुछ भी नहीं छिपाया था। यहाँ तक तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होती थी लेकिन जब कोई third person, Steve को त्यागे जाने या कभी गोद लिए जाने का जिक्र करता तो Steve की आँखें भर आती थीं और वो तिलमिला उठते थे । उन्हें ये शब्द सुनते ही इतना गुस्सा आ जाता था कि उन्हें संभालना मुश्किल हो जाता था । वे इस दर्द के चलते अंदर ही अंदर घुटते जा रहे थे .
Steve जब 7 वर्ष के थे तो उनके साथ एक घटना घटी । वे अपने घर के लॉन में शाम के समय लेटे हुए थे तभी उसी के उम्र की एक लड़की जो सड़क के उस पार वाले मकान में रहती थी ने आवाज लगाई ” स्टीव, मुझे ऐसा लगता है कि तुम्हारे असली माता-पिता तुमको प्यार नहीं करते ” ये वाक्य सुनते ही स्टीव गुस्से में तिलमिलाए और चिल्लाते हुए अपने घर की तरफ भागे । उनके माता-पिता ने स्टीव को देखा और समझाते हुए बोले- “बेटे! अब तुम समझदार हो चुके हो, ये सच है कि हमने तुम्हें चुना है लेकिन यह भी सच है कि हमने तुम्हें विशेष रूप से चुना है । दोनों ने स्टीव की आँखों में देखते हुए बोलना जारी रखा और उन्होंने स्टीव के सामने तीन शब्द जाहिर की, वो शब्द थे- छोड़ दिए गए, चुने गए, विशेष रूप से (Abandoned, Chosen, Special…)” ये तीन शब्द ही आगे चलकर स्टीव के जिंदगी के आधार स्तम्भ बन गए…
स्टीव के माता-पिता, उसे देखकर बहुत भावुक हो गए और स्टीव को एक Inspirational Story सुनाई-
चार बच्चे एक स्थान पर बैठकर आपस में हँसी मजाक कर रहे थे । उनमे से एक बच्चा किसी का दत्तक पुत्र (गोद लिए हुआ पुत्र ) था ।
बच्चे- (दत्तक पुत्र से )– तुझे तो तेरे माता-पिता ने गोद लिया हुआ है । तुम हमारे जैसा नहीं है, तू हमसे बहुत अलग है ।
दत्तक पुत्र- (गर्व से बोलते हुए )– हाँ! मैं तुम्हारे जैसा बिलकुल भी नहीं हूँ । मैं बहुत गर्व महसूस कर रहा हूँ कि मेरे पिता ने मुझे गोद लिया है । मैं बहुत Special हूँ ।
बच्चे– इसमें गर्व करने वाली कौन-सी बात है?
दत्तक पुत्र– क्योंकि मेरे पिता ने मुझे अनेकों में से अच्छा चुनकर लिया है । तुम्हारे माता-पिता को तो तुम्हे वैसा ही लाना पड़ा जैसे तुम थे । उन्हें तो कभी तुम्हें चुनने का अवसर ही नहीं मिला । सच तो यह है कि वे तो तुम्हें ढो रहे हैं ।
बच्चे- अरे भाई! तुम ये क्या समझोगे? पिता पर हमारा कितना अधिकार है?
दत्तक पुत्र– कितना अधिकार है? जरा मुझे भी तो बताओ!
बच्चे– हम जैसा चाहते हैं, उनको वैसा नचाते हैं । हम जो भी फरमाइश करते हैं, उन्हें पूरा कराकर ही दम लेते हैं..
दत्तक पुत्र– यदि वो तुम्हारा कहना न मानें तो ?
बच्चे- उस स्थिति में उन्हें Papa कौन कहेगा! अगर हम उन्हें पापा नहीं कहेंगे तो उन्हें पापा कहने वाला कोई न होगा! बेचारे पापा…
दत्तक पुत्र– इसीलिए तो मैं बहुत समय से बोल रहा हूँ कि तुम्हारे पापा बेचारे हैं, तुम्हें सही मायने में ढो रहे हैं । तुम उन्हें सिर्फ ब्लैकमेल ही तो कर रहे हो ! असल बात यह है कि तुम जैसे हो उसी में उनको Satisfaction मिल जा रही है ।
बच्चे- तो इसमें क्या बड़ी बात है! पापा तो तुम्हारे भी बेचारे हैं ।
दत्तक पुत्र– नहीं! ऐसा बिलकुल नही है.. हम दोनों ने अपनी इच्छा से एक-दूसरे को चुना है । हम कभी ब्लैकमेल नहीं करते, बल्कि हमेशा एक-दूसरे से प्यार करते हैं । हमारे पापा किसी भी तरह से बेचारे नहीं है क्योंकि उन्हें पापा कहने वाले हम जैसे अनेकों हैं ।
बच्चे- तो फिर भी क्या? हमारे पापा ही असली हैं!
दत्तक पुत्र– नहीं! कौन कहता है तुम्हारे पापा असली हैं? हकीकत तो बस इतना है कि तुम्हारे पापा का परिचय तुम्हारी माँ ने कराया है । तुम्हारी माँ ने जिसकी हाथ में तुम्हारी उंगली पकड़ा दी वही तुम्हारे पापा हो गए । तुम क्या समझोगे? जैसे तुम्हारे पापा तुम सबके लिए बोझ हैं वैसे ही तुम सब उनके लिए बोझ हो! जबकि हमारे पापा असली हैं । हमने बिना किसी शर्त के उन्हें पापा स्वीकार किया है और उन्होंने मुझे बेटा स्वीकार किया है ।
ये सब सुनते ही सारे बच्चे निरूत्तर हो जाते हैं और अपने-अपने घर चले जाते हैं…
अपने माता-पिता द्वारा सुनाये इन कथनों से स्टीव का दर्द बहुत हद तक कम हो जाता है और वे खुद को भी बहुत गौरवान्वित महसूस करने लगते हैं… और पूरे जोश के साथ सारी जिंदगी इतना मेहनत करते हैं कि उनके माता-पिता कर सिर गर्व से हमेशा ऊंचा रहे और सारे लोग यह बोल सकें कि ये स्टीव के माता-पिता हैं ….
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Steve की Life का दूसरा सबसे बड़ा दर्द अपनी ही बनाई हुई कम्पनी से निकाले जाने का था । उन्होंने 20 वर्ष की उम्र में अपने Best friend के साथ एक गैरेज से Apple की शुरुआत की थी । वो Apple को लेकर पागलपन की हद को पार चुके थे, दिन रात अपनी कम्पनी कड़ी करने को लेकर वे काम किया करते थे । उन्होंने Apple के लिए बहुत ही मेहनत किया था और जब सब कुछ सही हुआ तब Steve को ही कम्पनी से निकालने के लिए मजबूर किया गया । वे Apple से बहुत ही ज्यादा प्यार करते थे, Apple से निकाले जाने के बाद स्टीव को किस दर्द का सामना करना पड़ा हो वह सिर्फ स्टीव ही समझ सकते हैं ।
लेकिन उनका यही दर्द उनकी लाइफ में एक टर्निंग पॉइंट लेकर आया, Steve खुद बताते हैं कि Apple से निकाला जाना उनके लिए सबसे बड़ी और खुशनुमा घटना थी। Apple से निकाले जाने के बाद उन्होंने अपने दर्द पर काबू पाया, वे टूटे नहीं और फिर से कुछ नया करने की ठानी । वे बताते हैं कि यदि उन्हें Apple से नहीं निकाला गया होता तो उनकी लाइफ में इतना जबरदस्त बदलाव नहीं आता । इस एक घटना को कड़वी समझा जा सकता है और यही कड़वी दवाई कभी-कभी मरीज के लिए अमृत का काम कर सकती है … इस दर्द भरी घटना के कारण स्टीव, दृढ और संयमी बन सके हैं…
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Steve Jobs अपने अंतिम 8 वर्ष तक कैंसर के साथ संघर्ष करते रहे हैं.. यह बहुत ही दर्द भरा पल था । लेकिन कैंसर से लड़ते हुए भी उन्होंने कभी भी अपने काम के प्रति लगन को कम नहीं किया । उनके शरीर में भारी पीड़ा होती थी लेकिन वे शांत रहकर पीड़ा को सहते रहते थे । स्टीव अपने दर्द को इसलिए भी सहन कर रहे थे क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनके शरीर पर किसी भी तरह का कोई छेड़-छाड़ किया जाए, इस कारण वे सर्जरी के लिए भी तैयार नहीं थे …। उन्होंने पूरी जिंदगी कड़ी मेहनत की इस कारण वे अंत में अपने कार्यों से संतुष्ट थे । कैंसर के बहुत दर्द को सहते हुए उन्होंने अपने अंतिम समय तक Apple के लिए नये-नये Product विकसित करने में लगे रहे .. सन 2004 में डॉक्टरों ने स्टीव को हिदायत दे दी थी कि वे अपने सभी Important कामों को निपटा लें क्योंकि जीवन जीने के लिए उनके पास ज्यादा समय नहीं था लेकिन इसके बावजूद दर्द से लड़ते हुए उन्होंने संकल्प लिया और 8 वर्ष तक कैंसर के साथ लड़ते रहे और आखिर में कैंसर जीत गया…
आखिरी सांस तक दर्द को 8 साल तक सहना और अपने काम में कोई ढील न बरतना ये थे Steve Jobs जिनकी बदौलत आज आपके हाथों में Apple के सभी Product हैं…
धन्यवाद !
किरण साहू