आपके लिए कौन-सी चीज सबसे ज्यादा Important है: आपका समय या फिर आपका पैसा?
आपके समय और आपके पैसे में आप सबसे ज्यादा किसे बचाने की कोशिश करते हैं ?
आप पैसेंजर ट्रेन से Travel करना पसंद करते हैं या फिर सुपरफास्ट एक्सप्रेस से?
ये कुछ ऐसे छोटे प्रश्न हैं जिनका उत्तर मैं आपसे जानना चाहूँगा!
देखिये, ज्यादातर रिटायर्ड लोग पैसेंजर से यात्रा करना ही पसंद करते हैं क्योंकि उसमें ट्रेवल करने पर खर्च कम आता है.. लेकिन पैसेंजर ट्रेन से सफ़र करने में समय बहुत ज्यादा लगता है..
चूँकि रिटायर्ड लोगों के पास समय की कोई कमी नहीं रहती, उनके पास ज्यादातर समय ही समय रहता है इसीलिए वे पैसेंजर से यात्रा करना पसंद करते हैं..
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दूसरी तरफ यदि देखा जाए तो जो लोग ज्यादा व्यस्त होते हैं, Busy होते हैं वे सुपरफास्ट ट्रेन से यात्रा करना पसंद करते हैं.. क्योंकि व्यस्त लोगों के पास समय की कमी होती है, वे ज्यादा से ज्यादा समय का सदुपयोग करना चाहते हैं..
जो बहुत ही ज्यादा व्यस्त होते हैं वे लोग हवाई जहाज से यात्रा करते हैं, क्योंकि उनका टाइम और भी ज्यादा कीमती होता है..
सार बात में कहा जाए तो जिस व्यक्ति का समय कीमती होता है वह उसे बचाने के लिए उतने ही ज्यादा पैसे खर्च करने को तैयार रहता है..
मेरे बहुत से दोस्त ऐसे हैं जो समय बचाने की जगह पैसे बचाने की ज्यादा कोशिश करते हैं, वैसे मैं भी दूध का धुला नहीं था लेकिन अब मुझे समय के महत्व के बारे में अच्छे से पता चल चूका है..
आज मैं समझ चूका हूँ कि जो लोग Time को ज्यादा Important देते हैं, वे अपना समय बचाने की बहुत ही ज्यादा कोशिश करते हैं, indirect रूप से कहा जाए तो वे समय को खरीद लेते हैं..
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एक इंच सोने से भी एक इंच समय नहीं ख़रीदा जा सकता..
-चीनी सूक्ति
ऊपर लिखे चीनी सूक्ति में कहा गया है कि समय को नहीं ख़रीदा जा सकता है लेकिन यकीन मानिए आप समय खरीद सकते हैं..
छोटे-बड़े कम्पनियों के मालिक यही काम तो करते हैं.. कम्पनी का मालिक अपना कोई उत्पाद नहीं बनाता, उसकी मार्केटिंग खुद नहीं करता, न ही अपना सामान बेचने जाता है लेकिन सबसे ज्यादा प्रॉफिट उसी का ही होता है..
आखिर कम्पनी का मालिक ऐसा क्या करता है कि उसे मुनाफा सबसे ज्यादा होता है?
कम्पनी का मालिक अपने कर्मचारियों से अपना मनचाहा काम करवाता है, यदि इसी बात को दूसरे शब्दों में कहा जाए तो आप कह सकते हैं कि “कम्पनी का मालिक दुसरे लोगों का समय खरीद लेता है”
यदि आप भी समय बचाना चाहते हैं तो समय खरीदना सीखें
एक पुरानी कहावत है – ‘समय ही धन है..’ लेकिन अगर आप इसे उलट देते हैं तो आपको एक मूल्यवान सत्य का पता चलता है – ‘धन ही समय है…’
-जार्ज राबर्ट गिसिंग
इस टॉपिक को समझने के लिए एक छोटा-सा उदाहरण देखते हैं,
यदि आपके एक घंटे का मूल्य 100 रूपये है तो इसी आधार पर आप समय खरीदने का एक अच्छा निर्णय ले सकते हैं..
आपको अपने घर का बिजली का बिल जमा करना है, जिसके लिए आने जाने से लेकर लाइन में खड़े होने तक आपको डेढ़ से दो घंटों को समय लग सकता है.. अब यदि कोई एजेंट सिर्फ 20 रूपये लेकर यह काम करने को तैयार है, तो आपको वाकई क्या करना चाहिए..
अगर आपके लिए डेढ़ घंटों का मूल्य है- 150 रूपये है, इसलिए अगर कोई वह काम सिर्फ 20 रूपये में करने को तैयार है, तो आपको ख़ुशी-ख़ुशी हाँ कर देना चाहिए , क्योंकि आपका समय इससे बहुत ही ज्यादा कीमती है..
इस तरह पैसे देकर समय खरीदना सीखें .. यह सिद्धान्त बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है और बड़ी-बड़ी कम्पनियां यही काम करती हैं, और इसका फायदा उठाती हैं.
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उन्नीसवीं सदी के एक मशहूर प्रकृति-विज्ञानी लुइस अगासी को नियमित रूप से भाषण देने के लिए बुलाया जाता था.. एक बार वे कोई महत्वपूर्ण काम करने में व्यस्त थे, जिसकी वजह से उनके पास भाषण देने के लिए समय नहीं था.. ऐसे में उन्हें एक आयोजक के द्वारा भाषण देने के लिए जब आमंत्रित किया गया तो उन्होंने इसके लिए साफ़ इंकार कर दिया. आयोजक ने इस पर जोर देते हुए कहा कि वे भाषण के बदले पैसे भी खर्च करने को तैयार हैं.. यह सुनते ही अगासी आग-बबूला हो गये और आयोजक से बोले- “पैसे का लालच मुझे डिगा नही सकता.. मैं पैसे कमाने के लिए अपना समय बर्बाद नहीं कर सकता..”
आत्मनिर्भर लोगों को समय खरीदने के बड़ी ही दिक्कत आती है क्योंकि वे हर काम खुद करना चाहते हैं, कंजूस लोगों को भी इसमें समस्या आती है, वे पैसे बचाने के चक्कर में खुद ही सारा काम करना चाहते हैं, चाहे वो छोटे से छोटा काम ही क्यों न हो.. और भले ही इस चक्कर में उनके बड़े और ज्यादा महत्वपूर्ण काम न हो पायें..
इसका एक बड़ा ही रोचक उदाहरण आप नीचे देख सकते हैं
क्या आपने कभी एक चीज नोटिस की है कि साड़ी की दूकान पर पुरूष मोल-भाव क्यों नहीं करते और महिलाएं घंटों तक मोलभाव क्यों करतीं हैं?
वैसे तो इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन जो सबसे प्रमुख कारण है वह है- समय..
अमुमन पुरुषों के पास समय की ज्यादा कमी होती है जबकि महिलाएं तुलनात्मक रूप से ज्यादा फुरसत में होती हैं…
अब यदि फिर से हम समय का हिसाब लगायें तो देखते हैं हमें क्या रिजल्ट नजर आता है
यदि हमारे एक घंटे का मूल्य 100 रूपये है और यदि एक घंटे के मोलभाव में हम दुकानदार से 30रूपये कम करवाने में कामयाब हो जाते हैं तो दरअसल फिर भी आप घाटे में रहते हैं .. वास्तव में आपको 30 रूपये का फायदा नहीं हुआ, बल्कि 70 रूपये का नुकसान हुआ है..
समय धन से अधिक मूल्यवान है आप अधिक धन तो पा सकते हैं लेकिन अधिक समय कभी भी नहीं पा सकते..
-जिम रान
दोस्तों समय प्रबन्धन से सम्बन्धित यह पोस्ट Time Management Book से Inspire है जिसके लेखक डॉ. सुधीर दीक्षित जी हैं..
धन्यवाद !