संसाधनों का सदुपयोग करने की सीख देती शिक्षाप्रद हिंदी कहानी
एक बार गांधी जी ने किसी व्यक्ति को बुलाया और कहा – मुझे नीम के कुछ पत्तियों की जरूरत है । तुम बाहर लगे पेड़ से कुछ पत्तियां मुझे ला दो । वह युवक नीम लाने के लिए चला गया । मन ही मन वह बहुत खुश था कि गांधी जी ने खुद उसे कोई काम सौंपा था । वह जल्दी ही गया और कुछ देर में हाथ में नीम की टहनी लेकर आ गया । उसने ख़ुशी-ख़ुशी गांधी जी को नीम की टहनी देते हुए कहा, मैं आपके कहे मुताबिक़ नीम ले आया हूँ । आप जितनी चाहें पत्तियों का इस्तेमाल इसमें से कर सकते हैं । युवक के हाथ में नीम की पत्तियों से लदी उस टहनी को देखकर गांधीजी परेशान हो गए । उन्होंने युवक से कहा –“अब मैं इसका इस्तेमाल नहीं कर पाऊंगा ।“ टहनी लेकर आने वाले युवक को गांधीजी की बात समझ नहीं आई ।
उसने गांधीजी से उनके दुखी होने की वजह पूछी । तब गांधीजी बोले- मैंने तुमसे तीन-चार पत्तियां मंगवाई थीं । तुम पूरी टहनी ले आये हो । मैं इसमें से कुछ पत्तियां ले लूँगा लेकिन बाकी पत्तियां व्यर्थ जायेंगी ।
तब युवक बोला- मैं तो इसलिए ज्यादा ले आया की आपको जितनी चाहिए आप उतनी पत्तियां ले सकें । बाकी फेंक दी जाएँगी, इसमें क्या है?
तब गांधीजी ने कहा- बेटा! यह कीमती संसाधनों की बर्बादी होगी । मुझे तुम्हारा यह काम अच्छा नहीं लगा । संसाधनों का सदुपयोग करना हम सबको सीखना होगा क्योंकि यह हमारी नहीं प्रकृति की देन हैं ।
युवक को बात समझ आ गयी और वह अपने किये पर खुद को लज्जित महसूस करने लगा ।
दोस्तों, इस छोटी-सी कहानी में हमें एक बहुत बड़ी सीख मिलती है, हमें संसाधनों का सही उपयोग करना चाहिए । चाहे वह पानी हो, खाना हो या फिर पेट्रोल । हम पैसे देकर भले ही इन्हें खरीदते हैं लेकिन हमें इनका दुरूपयोग करने का कोई अधिकार नहीं है, प्लेट में खाना छोड़कर हम यह सिद्ध करते हैं की हम कितने लापरवाह हैं, हमें जितनी जरूरत हो उतना ही संसाधनों का उपयोग करना चाहिए क्योंकि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह हमारा सबसे बड़ा तौफा होगा ।
धन्यवाद !