बच्चों को दब्बू न बनाने की सीख देती शिक्षाप्रद हिंदी कहानी
रात का समय था, एक संयुक्त परिवार के सभी लोग एक साथ बैठकर खाना खा रहे थे । तभी किसी बात पर चर्चा निकली । घर के एक बड़े व्यक्ति ने रामपुर जाने का रास्ता पूछा । इस रास्ते के बारे में बच्चों से पूछा गया था क्योंकि रामपुर का रास्ता उनके स्कूल से होकर जाता था ।
बड़ा भाई अपने पिताजी के सवाल देने लगा, लेकिन उसकी बात से पता चल रहा था कि उसे भी ठीक से रास्ते का पता नहीं है । पिता को भी संशय हुआ कि बेटा रास्ते के बारे में सही से नहीं जानता ।
तभी छोटी बेटी इस बात पर बोल उठी- पिताजी, वह रास्ता तो उधर से नहीं जाता । बड़े भैया को शायद मालूम नहीं है! इसके लिए आपको फलां जगह से घूमकर जाना पड़ेगा ।
अचानक ही उसकी माँ ने उसे डांटकर चुप कराते हुए कहा- क्या तुम अपने बड़े भाई से ज्यादा जानती हो? लड़की एकदम से रुआंसी होकर चुप हो गयी ।
तभी छोटा भाई बोला उठा- बड़ी माँ, दीदी एकदम सही कह रही हैं । मैंने यह रास्ता देखा हुआ है, बड़े भैया को रास्ता नहीं पता है ।
इसके बाद दादाजी जो परिवार के मुखिया थे, ने महिला को समझाते हुए कहा- बेटी! बच्चों को बोलने का प्रोत्साहन दिया करो, फिर चाहे वह लड़का हो या लड़की ।
अगर आज ये घर में नहीं बोल पाए तो कल को बाहर जाकर दूसरों के सामने अपनी बात कैसे रख पायेंगे ? बच्चों को ज्यादा फटकारने से वो दब्बू हो जाते हैं इसलिए उनकी बातें ध्यान से सुनों और उन्हें हमेशा बोलने के लिए प्रोत्साहित करो ।
दोस्तों बच्चों को आगे बढ़ने के लिए या उनके अन्दर आत्मविश्वास भरने के लिए जरूरी है कि हम उन्हें बातचीत करने लिए प्रोत्साहित करें, उनको मौका दें कि वो भी अपना मत रख सकें । जब हम उनके साथ ऐसा व्यवहार करेंगे तो यकीनन वो कल एक लीडर की तरह खुलकर अपनी बातें सबके सामने रख सकेंगे । । ।
धन्यवाद!