किसी भी काम को शुरू करना बहुत आसान हो सकता है । मान लीजिये कि आप इस वेबसाइट के पोस्ट को रेगुलर पढ़ रहे हैं, अब आपके माइंड में आया कि मैं भी ऐसे कंटेंट लिख सकता हूँ, इसमें कौन-सी बड़ी बात है ! और अब आप अपने खुद की एक वेबसाइट शुरू कर देते हैं ।
आपने एक दिन लिखा, दुसरे दिन लिखा, तीसरे दिन लिखा …. लेकिन कुछ दिन इस पर काम करने के बाद आप एकदम रूक से गये… आपने अब लिखने की नहीं सोची.. और वेबसाइट को आपने बंद ही कर दिया… ।
हम किसी चीज को देखते हैं और उसे करना भी चाहते हैं, और ऐसा नहीं है कि हम करने की Try भी नहीं करते.. हम काम शुरू करते हैं, उसे कुछ दिनों तक पूरे जोश के साथ करते हैं लेकिन कुछ दिनों में ही हमारा जोश ठंडा पड़ जाता है और हम उस काम को छोड़कर कोई दूसरा काम पकड़ लेते हैं ।
लोग कहते हैं कि जिस काम में interest है उसे करना चाहिए, लेकिन बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो अपने interest का काम तो कर रहे हैं लेकिन उसे Continue नहीं कर पा रहे हैं…
मैं भी हर दिन सोचता हूँ कि daily एक पोस्ट तो लिख ही दूंगा… ऐसा बिलकुल नहीं है कि लिखने में मेरा interest नहीं है… मुझे एक घंटे ही ज्यादा से ज्यादा लग सकता है यदि मैं एक अच्छी पोस्ट आपके लिए लिखूं, लेकिन बावजूद इसके मैं दुसरे काम में बिजी हूँ करके खुद से बहाने बनाता हूँ और पोस्ट लिखने के काम को कल पर टाल देता हूँ । interest होने के बावजूद मैं नियमित लिख नहीं पाता ।
इसके पीछे बस एक ही कारण है वह है मेरे अन्दर लगन का अभाव ।
मैं हर दिन सुबह 7 बजे ही उठता था, एक दिन मैंने निश्चय किया कि अब से मैं रेगुलर 5 बजे उठूँगा और सुबह 5 से 7 बजे तक अपनी बॉडी को टाइम दूंगा, इस बीच मैं मॉर्निंग वाक पर जाऊंगा और मेरे शरीर को मैं किस तरीके से fit रख सकता हूँ, इस पर ही मैं 2 घंटे टाइम दूंगा । फिट रखने से मेरा मतलब है कि किस तरह से बॉडी को मेंटली और फिजिकली दोनों तरह से फिट रखना है… ।
और 20-25 दिन हो चुके हैं मैं हर दिन सुबह 4.45 तक उठ जाता हूँ और 5 बजे से 7 बजे तक खुद को वक्त देता हूँ… इस बीच मैंने कोई बहाना नहीं बनाया, बल्कि मैं इसे अपनी एक आदत बना रहा हूँ और इसमें मेरी लगन का एक बड़ा role है जो मुझे यह करने पर मजबूर कर देता है ।
मुझे लगता है कि अपने अन्दर लगन को विकसित करने के लिए 4 बड़े स्टेप की आवश्यकता होती है :
- एक निश्चित लक्ष्य जिसको हासिल करने के लिए मन और मस्तिष्क में एक प्रबल इच्छा हो । जैसे – सुबह 5 बजे उठना, मेरे लिए एक निश्चित लक्ष्य है । मैंने अपने दिमाग में इस बात को बैठा लिया है कि चाहे कुछ भी हो जाए, या मैं कितनी ही देरी से क्यों न सोऊं मुझे सुबह 5 बजे उठकर अपने शरीर को फिट रखने के लिए 2 घंटे ही देना ही है । मेरे मस्तिष्क में यह एक प्रबल इच्छा है कि जब तक मैं इसे अपनी अच्छी आदतों में शामिल नहीं कर लेता मैं इसे continue करता ही रहूँगा ।
- एक निश्चित प्लान जिस पर काम करना जरूरी है, तब तक काम करना जरूरी है जब तक कि हम उसे अपनी आदत और Repeat होने वाले काम में शामिल नहीं कर लेते । जैसे : मैंने जिस दिन अपना एक लक्ष्य सेट किया कि सुबह 5 बजे उठना है और 7 बजे तक खुद को टाइम देना है, ये बात तो मेरे माइंड में क्लियर थी.. लेकिन बिना सही प्लानिंग के सुबह जल्दी उठना या मेरे लक्ष्य को भेद पाना संभव नहीं था… इसके लिए प्लानिंग बहुत जरूरी थी… कुछ दिन तक मैंने अपने दोनों मोबाइल में सुबह 4.45 का अलार्म लगाया, ताकि दो फ़ोन की घंटी एकसाथ कान पर पड़ने से मैं उठ तो सकूँ… इस प्लान को मैंने कुछ दिन तक Apply किया… इस बीच मैंने एक सावधानी भी बरती.. Actually मैं और मेरा बड़ा भाई Ratnakar हम दोनों एक ही रूम में सोते हैं और फ़ोन के अलार्म की घंटी देर तक बजने से उसकी नींद ख़राब हो सकती थी.. इसलिए जैसे ही फ़ोन की घंटी बजने की शुरुआत होती थी, मुझे तुरंत अपनी आँख खोलकर उसे बंद करना होता था और इसके लिए तुरंत उठना ही होता था नहीं तो सुबह-सुबह दोनों भाइयों में मार-पीट/लड़ाई शुरू हो जाती । रात में देर से सोने वाली एक बुरी आदत को भी मैंने सही किया ताकि मेरी नींद पूरी हो सके और मैं समय से उठ जाऊं ।
- Negativity और Discouraged जो आपके माइंड में आकर आपसे कहता है “तुम यह नहीं कर सकते !” इन सभी से छुटकारा पाने के लिए अपने दिमाग का दरवाजा बंद करें । ऐसे रिश्तेदार, दोस्त या कोई भी व्यक्ति जो आपके अन्दर Negativity को बढ़ाने में अपना योगदान दे रहा है उससे दूरी बना लें, कोशिश करें कि Contacts सर्कल से ही वह गायब हो जाए । मेरी लाइफ में ज्यादा दोस्त नहीं हैं, कई बार मुझे इस बात का दुःख भी होता है लेकिन मैं खुद को समझा लेता हूँ कि मेरा बेस्ट फ्रेंड मैं खुद ही हूँ । एक नकारात्मक दोस्त को अपने साथ रखने से बेहतर है आप अकेले ही रहें और पॉजिटिव एनेर्जी को अपने पास आने का मौका दें । उन लोगों के साथ रहें जो आपके सपनों को समझते हों, जो आपका हौसला बढ़ाते हों, और आपके आत्मविश्वास को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हों ! ज़िन्दगी में हम कभी न कभी निराश होते ही हैं, कभी-कभी ऐसा भी लगता है कि सब ख़त्म हो गया ! अब करने के लिए कुछ भी नहीं बचा.. उस वक्त ऐसा कौन है जो आपको Inspire करता है, जो आपको बताता है कि आगे सब अच्छा होगा.. और वह हमेशा आपके साथ है… उस आदमी को ढूंढें जो आपकी लगन को फिर से पैदा करने में आपकी मदद करता है..और वह चाहता है कि ये लगन हमेशा जिन्दा रहे कभी भी मरे नहीं!! जो सचमुच चाहता है कि आप जिस काम को पूरे दिल से कर रहे हैं वह Continue… बना ही रहे… जैसे : एक दिन मुझे किसी काम से घर जाना पड़ा था, और वहां दो दिन रुकना पड़ा था तब मेरे एक दोस्त ने मुझे कॉल करके पूछा कि तुम सुबह 5 बजे घर में भी उठ रहे हो कि घोड़े बेचकर सो रहे हो.. तो उन लोगों के साथ रहिये जो सही मायने में आपके सच्चे दोस्त हैं.. जो आपके लक्ष्य को पूरा करने में आपकी मदद करते हैं.. जो इस बात पर भी नजर रखे हुए होते हैं कि कहीं आप अपने लक्ष्य से भटक तो नहीं रहे…
- Mood नहीं है ! इस बड़े बहाने के शिकार तो नहीं हैं न आप ? मैं अपने दादाजी से काफी प्रभावित हूँ जो अपना काम पूरे लगन से करते हैं । उनका गुड़ का व्यवसाय था, हांलाकि वो अपने बिजनेस को बड़ा नहीं कर पाए लेकिन वे अपने काम में किसी तरह का कोई बहाना नहीं बनाते थे… आजकल हमारे Age ग्रुप के ज्यादातर लोग, जिसमें आप मुझे तो गिन ही सकते हैं जो Mood नहीं है का बहाना बनाते नहीं थकते… या यह कहते नहीं थकते कि यार Mood Off हो गया… बड़े-बुजुर्ग ऐसे बहानों से हमेशा बचते आ रहे हैं .. वो कभी मूड का बहाना नहीं बनाते.. मेरे दादाजी ने 365 दिन काम किया है… वे कभी बीमार भी नहीं हुए.. पूरे लगन के साथ वो लगे रहे… लेकिन आज हम एक काम शुरू करते हैं और कुछ दिन तक उसे करने के बाद कहते हैं, अरे! आज तो मूड ही नहीं है… पता नहीं ये Mood शब्द हमारे लाइफ की Dictionary में कैसे घुस गया…. यदि आपको कुछ बड़ा करना है तो मूड को साइड में रखिये, काम करके मूड बनाइए, उसी लगन के साथ काम कीजिये, कि ऐसा लगे कि आज भी आपने शुरुआत ही की है… उस दिन को याद कीजिये जब आपने अपने किसी काम की पहली शुरुआत की थी, तब कोई लगन नहीं था न ही मूड नहीं है वाला कोई बहाना… आपने बस शुरू कर दिया था… लेकिन आप बीच में ही क्यों रूक रहे हैं… उसी जोश के साथ बस लगे तो रहिये…
चलिए मैं आपसे कुछ सवाल पूछता हूँ : आपको तैरना बिलकुल भी नहीं आता और आप तालाब में डूब रहे हैं तो क्या उस वक्त यह कहेंगे कि आज मुझे ‘बचाओ, बचाओ’ चिल्लाने का मूड नहीं है…
आपको बहुत जोर से प्यास लगी है, एक गिलास पानी आपके ठीक सामने है.. उस वक्त आप खुद से यह कहेंगे कि ‘आपका पानी पीने का मूड नहीं है..’
आप रास्ते से जा रहे हैं, अचानक एक पागल कुत्ता आपको देखकर भौकते हुए दौड़ाने की शुरू कर देता है तब आप खुद से यह कहेंगे कि ‘आओ मुझे काट लो, क्योंकि मेरा तो भागने का मूड नहीं है ।’
अपनी ज़िन्दगी को यदि हमें सँवारना है तो मूड नहीं है वाले इस शब्द को अपने डिक्शनरी से निकाल फेंकना होगा । हम कभी भी अपने अन्दर लगन को विकसित कर ही नहीं सकते, यदि हमने ऐसे शब्दों को अपनी लाइफ में जगह दिया हो!
यदि हम ज्यादा अमीर बनना चाहते हैं तो शायद ऊपर दिए गये 4 स्टेप को हमें फ़ॉलो करना चाहिए…. ये चार पॉइंट्स हमें लाइफ के हर फील्ड में कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, अच्छे अवसर का लाभ लेने में ये हमारी मदद करेंगी । हमारे सपनों को साकार करने में ये सहायक साबित हो सकती हैं ।
यदि आप एक लगनशील व्यक्ति हैं तो आप बड़ी से बड़ी मुश्किलों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं और अपने सफलता की सीढ़ी चढ़ सकते हैं ।
दोस्तों, ऊपर लिखे सभी स्टेप्स को मैंने अपने उदाहरण के माध्यम से आपको समझाने की कोशिश की है और मैं उम्मीद करता हूँ कि आप भी इसे अपनी लाइफ में उपयोग करके देखेंगे । मैं अगले महीने से रेगुलर आपके लिए अच्छी से अच्छी पोस्ट लिखूंगा और जल्दी ही Youtube पर भी हम Continue Videos पब्लिश करेंगे…
यदि आप इस पोस्ट पर अपनी राय व्यक्त करना चाहते हैं तो कृपया मुझे hamarisafalta@gmail.com पर लिखें अथवा कमेन्ट करके बताएं यह पोस्ट आपको कैसी लगी ।
धन्यवाद !