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Positive Motivation से क्या समझते हैं ?

दोस्तों हर सिक्के के दो पहलु होते हैं । और बात यदि Motivation की हो तो उसमें भी हम कह सकते हैं कि इसके भी दो साइड होते हैं ।

एक बात मैं यहाँ clear करना चाहूँगा कि इन दोनों को ही हमारा Mind Accept करता है और उसी के According हम खुद को प्रेरित करते हैं ।

मैं इसके बारे में एक उदाहरण देकर आपको समझाना चाहता हूँ

रोहित और मोहित दो भाई थे । बचपन से ही दोनों ने अपने घर में बहुत दुःख झेला था । उनके पिता रोज रात को शराब के नशे में पूरे परिवार के साथ मारपीट करते और गालियाँ देते थे ।

उनकी माँ ने ही उन्हें बड़े प्यार से पाला था लेकिन पिता का प्यार रोहित और मोहित दोनों को ही नसीब नहीं हुआ !

जब दोनों भाई जवान हुए तो उनमें से एक जिसका नाम रोहित था वो बहुत बड़ा व्यापारी बन गया, उसने एक बड़ा घर ख़रीदा और शादी करके अपने बीवी-बच्चे और माँ के साथ खुशहाल जीवन जीने लगा । वहीँ दूसरा भाई मोहित अपने पिता के साथ शराबी और जुआरी बन गया । अब मोहित और उसके पिता साथ में बैठकर शराब पीते और सभी को साथ में गालियाँ देते थे ।

एक सज्जन व्यक्ति जो बचपन से ही रोहित और मोहित को एकसाथ बड़ा होते देख रहे थे उन्होंने दोनों से एक बात पूछी और दोनों ने चौका देने वाले जवाब दिए ।

उन्होंने मोहित से पूछा – “आप दिन-रात शराब के नशे में रहते हैं, कई बार आप पुलिस स्टेशन में बंद किये जा चुके हैं और आप अपनी पत्नी और बच्चों को भी मारते-पीटते हैं । आपको यह सब करने की प्रेरणा कहाँ से मिलती है ?”

मोहित ने जवाब दिया – “ये सब करने की प्रेरणा मुझे मेरे पिता से मिली है । बचपन से ही मैं यही सब तो देखता आया हूँ कि वो मेरी माँ और मुझे मारा करते थे । दिन-रात शराब में डूबे रहते थे । तो आप खुद ही बताएं कि मैं उन्हीं के जैसा नहीं बनूंगा क्या! उन्हीं वजहों से मैं भी शराबी और उनके जैसा बन गया ।”

दुसरे भाई रोहित से भी सज्जन ने पूछा- “आप इतने बड़े व्यापारी हैं और आपके व्यव्हार के लिए आपका बहुत लोग सम्मान करते हैं, आपकी प्रेरणा का स्रोत क्या है?”

रोहित ने जवाब दिया – “मैं जब छोटा था तब मेरे पिताजी शराब के नशे में मुझे और मेरी माँ को मारा करते थे, दिन-रात शराब में डूबे रहते थे । मैं अपनी माँ को मार खाता हुआ देखता था और वो सारे गलत काम करते देखता था जो उन्हें नहीं करना चाहिए । मैंने उसी समय यह निश्चय कर लिया था कि मैं कभी भी उनके जैसा नहीं बनूंगा।”

 

दोस्तों रोहित और मोहित दोनों भाइयों के एक ही प्रेरणास्रोत थे, उनके पिताजी । लेकिन एक ने इस Motivation का इस्तेमाल सही ढंग से किया तो दुसरे ने बहुत गलत ढंग से । जबकि दोनों के प्रेरणास्रोत एक ही थे ।

हम हर चीज में अच्छाई और बुराई दोनों खोज सकते हैं । मोटिवेशन के मामले में भी हम सकारात्मकता और नकारात्मकता का चुनाव स्वयं कर सकते हैं ।

धन्यवाद

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