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निशाना – लक्ष्य भेदने पर प्रेरक कथा – Short Story

एक बार गुरू द्रोणाचार्य अपने सभी शिष्यों की परीक्षा ले रहे थे। उन्होंने कारीगर से एक नकली लकड़ी का चिड़िया बनवाया और लक्ष्य के रूप में उसे एक पेड़ पर टांग दिया। इसके बाद उन्होंने अपने सभी राजकुमारों को बुलवाया और कहा कि उन सभी को उस चिड़िया के आँख पर निशाना लगाना है।

उन्होंने युधिष्टिर को सबसे पहले बुलाया और निशाना लगाने के लिए कहा। जब युधिष्टिर निशाना साध रहे थे तब द्रोणाचार्य ने उनसे पूछा, “युधिष्ठिर, तुम्हें क्या दिख रहा है?”

युधिष्ठिर ने कहा, “मैं पेड़, टहनियां, पत्तियां, आकाश, चिड़िया और उसका आँख देख रहा हूँ।”

द्रोणाचार्य ने जवाब सुनकर युधिष्ठिर को इंतजार करने के लिए कहा।

इसके बाद उन्होंने दुर्योधन और बाकी राजकुमारों से भी वही प्रश्न किया, लेकिन वे सभी इसी तरह के ही उत्तर दे रहे थे। आखिर में उन्होंने अर्जुन को बुलाया और उससे पूछा, “क्या तुम्हें पेड़ दिख रहा है, क्या तुम्हें चिड़िया दिख रही है?” अर्जुन ने जवाब दिया, “नहीं गुरुदेव! मुझे सिर्फ चिड़िया की आँख ही दिखाई दे रही है।” गुरू द्रोणाचार्य बेहद खुश हुए और उन्होंने, “अब बाण चला दो।” अर्जुन ने बाण चला दी और वह बाण सीधा जाकर चिड़िया के आँख में लगी।

Image Credit : pixabay.com

दोस्तों ऐसा व्यक्ति असफल हो ही नहीं सकता जिसे अपना लक्ष्य इतनी स्पष्टता से दिख रहा हो। जब आपको भी अपना लक्ष्य इतनी स्पष्टता से दिखने लग जाए तो आप भी सफल हो जाएँगे।

हमेशा अपनी आँखें अपने लक्ष्य पर ही जमाए रहिए, क्योंकि आपका लक्ष्य आपको दिशा से भटकने नहीं देगा। अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर आगे बढ़ते जाएं और सफलता पायें।

धन्यवाद 🙂

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