कुछ बनने के नहीं, कुछ करने के सपने देखिए – नरेन्द्र मोदी
लोग मुझसे अक्सर पूछते हैं, ‘मोदीजी’ अपनी युवावस्था में आपने कभी विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रधानमंत्री बनने का सपना देखा था?,
सच पूछो तो प्रधानमन्त्री बनने का सपना देखना तो दूर.. मैं तो कभी अपनी कक्षा का मॉनिटर तक नहीं बना।
जीवन भर मैं एक सरल मन्त्र के साथ जिया हूँ- कुछ बनने के नहीं, कुछ करने के सपने देखो।
सामान्यतः कुछ बनने की इच्छा कई चीजों से प्रभावित होती है। कहीं परिवार की अपेक्षाएं तो कभी चकाचौंध से भरे करियर का आकर्षण या फिर साथियों से प्रतिस्पर्धा का दबाव, कभी प्रसिद्धि, तो कभी पैसा और रूतबे की कोरी कल्पनाएँ। इससे आप अपनी विलक्षणता से दूर हो जाते हैं और धीरे-धीरे यह आपकी स्वाभाविक प्रतिभा को खत्म कर देती है।
लेकिन कुछ बनने के बजाय कुछ करने की इच्छा, जीवन के प्रयोजन का बोध कराती है। डॉक्टर, इंजीनियर या वकील बनने के सपने के परे यह सोचिये ‘मैं क्या करूँ’ कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकूँ’। यही आपके जीवन का प्रेरणा-मन्त्र बनें।
जब कुछ बनना जीवन में हावी रहता है तो जीवन हर समय अधूरा लगता है, हम हमेशा ही ‘Waiting Mode’ में जीते हैं। जब जीवन में ‘बनने’ के बजाय ‘करना’ महत्वपूर्ण हो जाता है, तब हर पल कुछ करने का संतोष तो देता ही है और करते-करते by-product के तौर पर हम कुछ बन भी जाते हैं।
आइये, ‘बनने के बोझ’ के बजाए ‘करने के संतोष’ के साथ जीवन को नई ऊँचाइयों पर ले जाएं।
दोस्तों, हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कितनी अच्छी बातें कही हैं। यकीनन उनकी बातें हमें अन्दर से Inspire करने वाली हैं। हमें कुछ बनने के नहीं कुछ करने के सपने देखने होंगे। हमें अपनी लाइफ Waste नहीं करनी, हमें कुछ करना है, समाज के लिए, देश के लिए, अपनी फैमिली के लिए । इसके लिए बहुत जरूरी है कि हम अपनी जिम्मेदारियों को समझें तभी हम अपनी लाइफ में कुछ कर सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं।
इस छोटे-से लेख को हमने श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा लिखी किताब एग्जाम वॉरियर्स से लिया है।
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धन्यवाद 🙂