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Importance of Motivation in Hindi

Importance of Motivation in Hindi

संदीप माहेश्वरी कहते हैं कि इस जहां में न कुछ मुश्किल है और न ही कुछ आसान है. मुश्किल और सरल होना सिर्फ हमारी सोच पर निर्भर है. जो व्यक्ति यह सोचता है की कोई काम उसके लिए मुश्किल है तो वह काम सच में उसके लिए मुश्किल बन जाती है भले ही वह काम आसान ही क्यों न हो लेकिन जो इंसान मानता है की कोई काम मुश्किल नही है तो हर मुश्किल से मुश्किल काम भी उसे आसान लगने लगती है.

Image Credit : pixabay.com

दोस्तों आज मै आपसे    Motivation की Importance के बारे में बात करना चाहती हूँ. जैसा कि सभी लोग motivation के बारे में बोलते रहते हैं, खुद को मोटिवेट करने के लिए तत्पर रहते हैं पर क्या उन्हें सच में पता है की motivation वास्तव में है क्या? Motivation की हमारी लाइफ में क्या अहमियत है? यह हमारे लिए क्या मायने रखता है? और अगर हमें सच में इन प्रश्नों के जवाब नहीं पता तो क्या कभी आपने इनके उत्तर जानने की कोशिश की है? नही न! आज मै आपको इन्हीं सवालों के जवाब दूंगी लेकिन इसे समझाने के लिए मैं आपके साथ एक कहानी share करना चाहती हूँ.

दोस्तों, ये कहानी है एक गरीब बच्चे की है जो बहुत कम पढ़ा-लिखा होने के बावजूद सिर्फ अपने विश्वास और self motivation के दम पर अरबों रूपए का साम्राज्य खड़ा कर देता है. आज से 125 साल पहले जापान के एक छोटे से गांव में एक किसान के घर जन्मा एक बच्चा, जिसका नाम कोनोसुक रखा गया. कोनोसुक केवल 9 वर्ष का था जब उसके पिता को कुछ आर्थिक परेशानियों की वजह से अपने गावं की सारी जमीन बेचनी पड़ी और अपना गावं के घर को भी छोड़ना पड़ा. उन्होंने अपना सब कुछ खो दिया था. इसके बाद वे लोग शहर आ गए और कोनोसुक के पिता, परिवार चलाने के लिए छोटा मोटा काम करने लगे . उस छोटे से बच्चे कोनोसुक को भी अपनी पढाई छोड़ कर एक दुकान में काम करना पड़ा. वो सुबह से ही दुकान में काम करने चला जाता. सुबह दुकान में सफाई करने के बाद दूकान के कुछ छोटे मोटे काम करता . इसके बाद वह मालिक के बच्चों की सेवा और देखभाल में लग जाता . कुछ माह तक तो ये सिलसिला यूँ ही चलता रहा पर इसके बाद किसी कारण से कोनोसुक को मालिक ने दुकान से निकाल दिया…इसके बाद कोनोसुक ने एक साईकिल बेचने वाली दुकान पर नौकरी शुरू कर दी . उस ज़माने में साईकिल एक विलासिता मानी जाती थी और UK  से मंगाई जाती थी. इस जॉब पर साईकिल बेचने के साथ-साथ कुछ मेटल वर्क का काम भी होता था और कोनोसुक को वहां अन्य कामों के साथ-साथ अन्य Technical tools  के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला. कोनोसुक ने यहाँ लगभग 5 वर्ष तक काम किया और 15 वर्ष की उम्र में वो कुछ नया ढूंढने लगा, जहां काम के साथ साथ वो कुछ नया सीख सके और भविष्य में बिजली की बढती संभावनाओं को देखते हुए उसे लगा कि उसे इसी क्षेत्र में कोई नौकरी ढूंढ लेनी चाहिए और एक दिन उसे ओसाका Electric light company का एक विज्ञापन मिला जिसमे कंपनी को कुछ नए employees की जरुरत थी. कोनोसुक ने वहां apply कर दिया, जिससे उसको वहां नौकरी भी मिल गयी. काम के दौरान वहां हर रोज़ उसे काफी कुछ सीखने को मिलने लगा. धीरे-धीरे समय बीतने लगा और समय के साथ-साथ कोनोसुक अपने काम के दौरान बहुत कुछ सीखने भी लगा था वहीँ दूसरी ओर वह खाली समय में Electricity से सम्बंधित बहुत-सी किताबे पढ़ने लगा और साथ में कुछ छोटे-मोटे प्रयोग भी करता रहा. 20 साल की उम्र में कोनोसुक की शादी हो गयी. 22 साल की उम्र में कोनोसुक अपनी काबिलियत से कम्पनी में Technical inspector बन गया जो उस समय एक बहुत बड़ी पोजीशन मानी जाती थी. इसी दौरान उसने एक नया improved electrical सॉकेट बनाया और उसे अपने बॉस को दिखाया लेकिन उसके बॉस को आईडिया पसंद नही आया और बॉस ने उसे ये कहकर रिजेक्ट कर दिया की ये मार्केट में नही चल पायेगा लेकिन उसे अपने उस सॉकेट पर पूरा भरोसा था. उसे यह विश्वास था की उसका यह सॉकेट मार्केट में बहुत अच्छे से चलेगा. उसका यह विश्वास ही था जो उसे अन्दर से motivate करता था और अपने इसी motivation के दम पर उसने अपनी वो नौकरी छोड़ दी और अपना खुद का काम करने की ठान ली. इसके लिए उसने अपने दोस्तों से बातचीत की पर उसके दोस्तों ने नौकरी को छोड़कर खुद का काम शुरू करने के विचार को पागलपन कहा. सभी उस पर हंसने लगे लेकिन उसे खुद पर और अपने product पर पूरा भरोसा था तो उसने नौकरी छोड़ दी और अपनी छोटी-सी जमा पूंजी से कुछ बेसिक टूल्स खरीद लिए और घर पर ही अपने भाई और पत्नी के साथ मिलकर सॉकेट बनाने लगा तथा खुद ही बेचने लगा . लेकिन कुछ ही महीनो में उसे यह अहसास होने लगा की उसका यह काम ज्यादा दिन तक नहीं चलने वाला क्योंकि लोग उसके बनाये सॉकेट को रिजेक्ट कर देते . उसे हर जगह हार और रिजेक्शन मिलने लगी और उसका गुजारा करना भी मुश्किल हो रहा था. सब उससे यह कहने लगे की वह इस काम को छोड़ दे और अपनी पुरानी नौकरी फिर से शुरू कर ले लेकिन उसे खुद पर और अपने product पर पूरा भरोसा था और वह इसे ही motivation बना कर आगे काम करने लगा. एक दिन अचानक उसकी कंपनी को 1000 प्रोडक्ट का पहला आर्डर मिला जिससे उसके बिज़नस ने एक रफ़्तार पकड़ ली और उसकी कंपनी तेजी से तरक्की करने लगी और उसे कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा और आज उस कंपनी में ढाई लाख से भी जादा लोग काम करते है जिसका सालाना टर्न ओवर लगभग 70 बिलियन डॉलर है ये सब उसी व्यक्ति ने किया जिसके पास न ज्यादा पैसा था , न ज्यादा शिक्षा थी और न ही किसी का सपोर्ट. उसके पास थी तो बस एक चीज़ और वो थी motivation जो उसने खुद के अन्दर इस कदर जगाई थी की आज वो इतनी बड़ी कंपनी का मालिक है जिसे हम आज Panasonic के नाम से जानते हैं. दोस्तों कोनोसुके को सक्सेस सिर्फ खुद पर अटल विश्वास के चलते ही मिल पाई .

इस कहानी से आपको पता चल ही गया होगा की अगर आपको खुद पर विश्वास हो तो आप हर मुश्किल से मुश्किल काम कर सकते हो .

Motivation  भी हमारी ज़िन्दगी में उतना ही important role प्ले करता है क्योकि सभी सफल लोगों की सफलता के पीछे कोई तो प्रेरणा जरुर रही है . यह हमें हमारे लक्ष्य तक पहुँचने में रास्ते के सहारे का काम करता है. हर कोई किसी काम को continuously  full एनर्जी के साथ नहीं कर सकता. कभी न कभी उसे पीछे हटने का मन करता है या ज़िन्दगी की जंग उससे लड़ा नहीं जाता तो उस समय motivation उसकी लाइफ में सहारा का काम करती है और वह फिर से आगे बढ़ने के लिए खड़ा हो जाता है .

motivation से हमें किसी काम को कर गुजरने की हिम्मत मिलती है. आप ही सोचिये की क्या आप किसी काम को लगातार बिना रुके कर सकते हो ? नही न! लेकिन अगर आप किसी चीज़ से Inspire होते हो तो आप वही काम बड़ी आसानी से कर सकते हो…

Friends ये जरुरी नहीं की आपको किसी काम को करने के लिए बार-बार बाहरी motivation लेना पड़े. आप self motivation के ज़रिये भी अपनी मंजिल तक आसानी से पहुँच सकते हो. आपको खुद को बस यह समझाना है की आपको सिर्फ अपना कर्म करते जाना है और फल की आशा नही करनी तभी आप अपनी लाइफ में सफल हो पाओगे और सफलता की सीढियाँ आपके कदम चूमेंगी.

हर व्यक्ति की लाइफ में एक मकसद जरूर होता है, हम जिस मकसद को हासिल करना चाहते हैं वही हमारी सेल्फ-मोटिवेशन है.. याद रखिए, हमारी सबसे बड़ी मोटिवेशन हमारे अन्दर का विश्वास होता है, जैसे-जैसे हम कदम आगे बढ़ाते जाते हैं हमारा विश्वास अपने आप बढ़ते जाता है.. इसलिए कैसी भी परिस्थिति हो रुकिए मत, चलते जाइए.. स्वयं पर विश्वास कीजिए और सफलता पाइए..

धन्यवाद 🙂

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रिया पाल

घाटसिला (झारखंड)

Class – 11th

Email : paulpriya716@gmail.com

We are grateful to Priya Paul for sharing Importance of Motivation in Hindi.

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