जीवन में ख़ुशी का रहस्य – अंदरूनी प्रेरणा

जीवन में ख़ुशी का रहस्य – अंदरूनी प्रेरणा

इमेजिन कीजिये, कि आप एक सुबह बहुत खुशमिजाज़ के साथ सोकर उठें और आपके किसी दोस्त ने फ़ोन करके आपसे कहा, ‘तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो और मैं बहुत खुश हूँ कि दुनिया का सबसे अच्छा इंसान मेरा दोस्त है, मुझे सभी लोगों को बताकर बहुत गर्व महसूस होता है कि तुम मेरे दोस्त हो।’ वो ये सब बातें ईमानदारी से आपसे कह रहा होता है। आप बताएं, ऐसी बातें सुनकर आप कैसा महसूस करेंगे? किसी भी व्यक्ति को ऐसी बातें बहुत पसंद आएंगी, जाहिर-सी बात है आपको भी बहुत अच्छा लगेगा।

अब इमेजिन करें कि आप उसके अगली सुबह बहुत खुशमिजाज़ के साथ सोकर उठें और आपके किसी दोस्त ने फ़ोन करके आपसे कहा, ‘तुम सबसे बेकार आदमी हो, मुझे तुम्हें अपना दोस्त कहते हुए भी शर्म महसूस होती है और तुम इस दुनिया के सबसे घटिया इंसान हो, मैं आज अपनी दोस्ती हमेशा के लिए ख़त्म करता हूँ।’ ऐसा कहकर वह फोन रख देता है। आप बताएं, ऐसी बातें सुनकर आप कैसा महसूस करेंगे? किसी भी व्यक्ति को ऐसी बातें बहुत बुरी लगेंगी, और जाहिर है आपको भी बहुत बुरा लगेगा।

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अब दोनों दिन की घटनाओं को Compare करें और देखें कि हम अपनी लाइफ में कैसे खुश और दुखी होती हैं। जब पहले दिन आपकी तारीफ़ की गयी और आपको सबसे अच्छा आदमी बताया गया, उस दिन आपने बहुत अच्छा महसूस किया, आपका पूरा दिन अच्छा गया और आप उस दिन ख़ुशी से झूम रहे थे। अगले ही दिन जब आपसे यह कहा गया कि आप एक घटिया इंसान हैं तो आपने बहुत बुरा महसूस किया, आप दुखी हुए और आपका पूरा दिन इसी ख़राब फीलिंग की वजह से बहुत बुरा गया।

जरा आप ध्यान से सोचिये, आपके खुश और दुखी होने पर आपकी लाइफ का कंट्रोल कौन  कर रहा है? यकीनन वही इंसान जिसनें आपसे ऐसी बातें कही थी। तो क्या आप अपनी पूरी लाइफ ऐसी ही गुजारना पसंद करेंगे क्योंकि लाइफ के हर मोड़ पर आपको ऐसे example मिलेंगे। यह है बाहरी असर है जिसे हम अपने अन्दर महसूस करते हैं लेकिन याद रखें यह सिर्फ बाहरी दबाव है।

ऐसी परिस्थिति आने पर क्या करें

जब उस आदमी के पास फोन आया और उसे एक अच्छा व्यक्ति कहा गया, तो सुनने में यह बातें उसे बहुत अच्छी लगी। लेकिन अगर सामने वाला आदमी फोन पर उसकी तारीफ़ नहीं भी करता तो क्या वह अपनी नजरों में एक अच्छा इंसान नहीं है। यदि अगले दिन उसकी बुराई की गयी, उसके शब्द भले ही उसे बहुत बुरे लगे हों लेकिन वो आपके अन्दर कभी भी छोटेपन का एहसास पैदा नहीं कर सकता है क्योंकि आप अब भी अपनी नजरों में एक बहुत अच्छे इंसान हैं । तो आप अंदरूनी प्रेरणा से चलने वाला व्यक्ति बनिए। एलिनोर रूजवेल्ट ने कहा था कि आपकी इजाजत के बगैर, आपको कोई भी बुरा, हीन या छोटा महसूस नहीं करा सकता। आपको ऐसा इंसान बनना है जो खुद की नजरों में ऊपर उठा हुआ होना चाहिए। जब आप खुद की नजरों में ऊपर उठ जाते हैं, तो दुनिया का कोई भी इंसान आपको गिरा नहीं सकता और न ही दुखी कर सकता है। खुश होने और दुखी होने दोनों का कंट्रोल आपके अन्दर ही है इसलिए दूसरों को अपनी लाइफ का कंट्रोल मत दीजिये। कोई कुछ भी कहे आप अपने अन्दर से खुश रहिये।

 

आपने एक कहानी जरूर सुनी होगी, उसे हम यहाँ दोहराना चाहेंगे

एक साधू महात्मा अपने रास्ते कहीं जा रहे थे, रास्ते में उन्हें एक व्यक्ति मिला और जोर-जोर से गालियाँ देने लगा। साधू के सभी शिष्य गुस्से से आग-बबूले हो रहे थे लेकिन साधू महात्मा बिना-कुछ बात किये आगे बढ़े चले जा रहे थे। जैसे-जैसे साधू आगे की तरफ अपने कदम बढ़ाते वैसे वह आदमी उन्हें गालियाँ देने लगता। इस बार उस व्यक्ति से साधू ने कहा- ‘मुझे बताओ, अगर किसी की दी हुई चीज हम न लेना चाहें तो तो वह चीज किसके पास रह जाएगी?’ उस आदमी ने कहा, कि वह चीज तो देने वाले के पास ही रह जाएगी। इस बार साधू ने कहा, “तुम ये जो गालियाँ दे रहे हो, इस देन को लेने से मैं इनकार करता हूँ।” ऐसा कहकर साधू वहां से आगे बढ़ गये और वह आदमी सिर पकड़कर वहीँ बैठ गया और पछताने लगा। साधू महात्मा का खुद पर अंदरूनी कंट्रोल था और इसी अंदरूनी प्रेरणा के कारण उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ा।

 

जब भी आप दुखी हों, परेशान हों, गुस्सा हों तब उसी वक्त खुद से प्रश्न करें कि आप दुखी क्यों हैं? आप नाराज क्यों हैं, आप गुस्से में क्यों हैं, आप परेशान क्यों हैं? खुद से ऐसे प्रश्न करने से आप इन्हें काबू पाने के तरीकों के बारे में समझने लगते हैं, आपको अपनी समस्याओं से सम्बन्धित उपाय सूझने लगते हैं।

ख़ुशी, हमारी एक अंदरूनी प्रेरणा है । हम सभी को इसे अपने अन्दर खोजना चाहिए। जिस प्रकार एक कस्तूरी हिरण कस्तूरी की खुशबु को जंगल में ढूंढता फिरता है जबकि वह सुगंध उसे उसकी ही अपनी नाभि में व्याप्त कस्तूरी से मिल रही होती है लेकिन वह जान नहीं पाता.. ऐसी ही ख़ुशी हमारे अन्दर है और हम इसे बाहर ढूंढते फिर रहे होते हैं। अगर आपकी लाइफ में सब कुछ है, लेकिन जरूरी नहीं कि सब कुछ होने पर आप खुश हों । लेकिन अगर आपकी लाइफ में कुछ भी नहीं फिर भी आप हमेशा खुश रह सकते हैं।

ख़ुशी एक तितली की तरह है, इसके पीछे जितना दौडोगे वह उतनी ही तेजी से आगे उड़ती चली जाएगी । बेहतर होगा कि आप एक जगह पर चुपचाप खड़े हो जाएँ, वही तितली आप कंधे पर खुद-ब-खुद आकर बैठ जाएगी।

जिस दिन आप खुश रहने का फैसला कर लेंगे उस दिन से आप दुखी नहीं होंगे। ख़ुशी को अन्दर से महसूस कीजिए, अपने हर परिस्थिति का भरपूर आनन्द उठाइए। छोटी-छोटी चीजों में खुशियाँ तलाशिये, इस बात को हमेशा याद रखिये, कि समय कभी एक जैसा नहीं होता, लाइफ में उतार-चढ़ाव तो लगे ही रहते हैं और ये भी तो हमारी लाइफ का एक बड़ा पार्ट है । खुश रहिये और दूसरों को भी खुश रखिए।

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धन्यवाद 🙂

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