प्रतिस्पर्धा नहीं, अनुस्पर्धा| #परीक्षापरचर्चा

प्रतिस्पर्धा नहीं, अनुस्पर्धा

हमारी सबसे अच्छी स्पर्धा है – अपने आप से ही स्पर्धा। मतलब हमारा Competition खुद से ही होना चाहिए।

कई बार ऐसा होता है जब आप गणित का कोई सवाल हल कर रहे होते हैं और वह आपसे बन ही नहीं रहा होता, आप उलझे हुए होते हैं तब आप खुद से यह सवाल कर सकते हैं कि आपको कौन-सी स्थिति में सबसे अधिक आनन्द आता है, किसी ऐसे प्रश्न को सॉल्व करने में जिसे आप स्वयं ही हल नहीं कर पा रहे थे या फिर ऐसे सवाल को हल करने में जिसे आपके क्लासमेट सॉल्व नहीं कर पा रहे। हमें हमेशा खुद को दूसरों से Compare या Compete करने के बजाय स्वयं से ही मुकाबला करना चाहिए। चंद शब्दों में कहें तो प्रतिस्पर्धा नहीं अनुस्पर्धा कीजिए।

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हमें रेगुलर खुद को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए, अपने स्किल्स को बेटर बनाने की कोशिश करते रहना चाहिए। ये सब हम कड़ी मेहनत और लगन से अपने स्किल्स, ज्ञान, और अपनी Capability का विस्तार कर सकते हैं। Preparation के दौरान उन आयामों पर ज्यादा ध्यान दें जिसमें आपको सुधार की आवश्यकता है। अपने आप से कुछ सवाल पूछिये –

  • क्या मैं मैथ्स के प्रश्नों को पहले की comparision में जल्दी सॉल्व कर पा रहा हूँ?
  • क्या मेरा फोकस एक जगह पर स्थिर रहता है, और मैं अपनी एकाग्रता कैसे बढ़ा सकता हूँ?
  • क्या मुझे अपना Vocabulary बढ़ाने की आवश्यकता है?
  • क्या मैं खुद को दूसरों से compare करके दुखी होता हूँ।

जाने माने एथलीट सर्गेई बुबका को आप जानते ही होंगे, उन्होंने पुरुषों की Pole Vault ‘बाँस कूद’ प्रतियोगिता में स्वयं के ही विश्व रिकॉर्ड को एक या दो बार नहीं बल्कि 35 बार तोड़ा है।

Competition में जब हम किसी दुसरे से प्रतिस्पर्धा करते हैं तो तीन प्रमुख संभावनाएं होती हैं –

  1. या तो आप उससे बेहतर हैं!
  2. या उससे ख़राब!
  3. या फिर उसके बराबर हैं!
  4. अगर आप दुसरे से बेहतर हैं तो यह जरूर होगा कि आप बेपरवाह से भर जाएँगे और हो सकता है कि आपके अन्दर ओवर कांफिडेंस भी आ जाए।
  5. अगर आप उसके कम्पेरिशन ख़राब हैं तब आप दुखी, निराश व हताश हो सकते हैं। यह भी संभव है कि आपके अन्दर आत्मविश्वास खत्म हो जाए और आप आगे कोशिश ही न करें।
  6. और यदि बराबरी के हैं तो आप कभी भी यह नहीं देखेंगे कि आपको किन सुधारों की आवश्यकता है। आप कभी सुधार की आवश्यकता को महसूस नहीं करेंगे।

इन सबके Opposite जब आप खुद से ही मुकाबला करते हैं तब आप हमेशा खुद को बेहतर बनाने पर जोर देंगे। और यही असल में मायने रखता है कि आप खुद को बेटर बनाते हुए आगे बढ़ते जाएं।

कई बार Competition एक अच्छी दोस्ती को भी खत्म कर देती है इसलिए प्रतिस्पर्धा नहीं अनुस्पर्धा पर जोर दें।

याद रखिये, आपको हमेशा खुद के रिकार्ड्स ब्रेक करने हैं, सफल लोग हमेशा खुद से मुकाबला करते हैं, वो दूसरों को देखते व सीखते जरूर हैं लेकिन जब बात प्रतियोगिता की आती है तब वे इस बात को बखूबी जानते व समझते हैं कि दूसरों से मुकाबला करके वो एक बार तो जीत सकते हैं लेकिन दूर की सोच रखने के कारण वे इस बात को समझते हैं कि खुद से मुकाबला कर वे हमेशा खुद को बेटर पाएँगे और पहले की तुलना में ज्यादा सफल होंगे।

श्री नरेन्द्र मोदी के कथनों से प्रेरित व एग्जाम वॉरियर्स से प्रेरित लेख…

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धन्यवाद 🙂

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