Story for Kids in Hindi | बच्चों के लिए प्रेरक कथा | बाल कथा | लघु कहानी
बहुत समय पहले की बात है एक बार खड़गसिंह नाम का एक डाकू अपने राज्य में लूट-मार करके अपने घर जा रहा था। वह जंगल से होता हुआ अपने घर की तरफ आगे बढ़ ही रहा था कि उसे पत्थर पर लेटे हुए एक साधू-महात्मा नजर आए। खड़गसिंह उस साधू के पास गया और बोला- “क्या तुम्हें मुझसे डर नहीं लगता! तुम्हें पता भी है, मैं कौन हूँ! सारे शहर और राज्य के लोग मेरे नाम से कांपते हैं, मैं ही वो खड़गसिंह हूँ जिसनें हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया और मेरे क्रोध से सभी परिचित हैं।” वह अपने बारे में एक छोटा-सा परिचय साधू के सामने दे रहा था। लेकिन इन सब बातों का साधू पर कोई भी असर नहीं पड़ा और वे ज्यों के त्यों उस पत्थर पर ही लेटे रहे।
आपको कम सुनाई देता है क्या, सूना नहीं मैं कौन हूँ और क्या करता हूँ! – खड़गसिंह फिर से चिल्लाते हुए बोला।
साधू ने कहा, “तुम खून खराबा क्यों करते हो!”
ताकि मैं इस राज्य पर कब्ज़ा कर सकूँ और एक दिन मेरे आतंक से देश भी काँपे। – डाकू खड़गसिंह बोला।
फिर इससे क्या होगा? – साधू ने पूछा।
मेरे पास सभी सुख सुविधाएं होंगी, सब लोग मुझसे डरेंगे, मेरे आगे सिर झुकाएँगे, मेरे पास बड़े-बड़े घर, नौकर-चाकर, सम्पत्ति, गहने, और सभी ऐसो आराम की चीजें होंगी। – डाकू ने कहा।
फिर इससे क्या होगा! – साधू ने पुनः प्रश्न किया।
डाकू ने उत्तर देते हुए कहा कि ये सब करने के बाद मैं सुकून और शांति के साथ रहूँगा।
साधू ने जवाब देते हुए कहा, – “खड़गसिंह, तुम इतना सब करने के बाद शांति और सुकून से रहोगे, लेकिन मैं तो अभी भी वैसे ही आराम से रह रहा हूँ, अभी भी मैं शांति और सुकून के साथ अपना जीवन यापन कर रहा हूँ।” साधू ने पत्थर पर लेटे-लेटे ही उत्तर देते हुए कहा और दूसरी करवट लेकर सोने लगा।
यह जवाब सुनकर डाकू खड़गसिंह को पहली बार यह अहसाह हुआ कि वह एक मूर्खतापूर्ण और गलत अभियान पर निकला है। उस दिन के बाद से उसने अपना अभियान हमेशा के लिए त्याग दिया। वह इस बात को अब समझ चूका था कि सुकून और आराम पाने के लिए उसका रास्ता कभी उचित नहीं था। वह हिंसा, क्रोध, किसी को डराकर कभी भी शांति हासिल नहीं कर सकता।
दोस्तों शांति का मार्ग दूसरों को दुःख देकर, किसी की खुशियों में आग लगाकर आप कभी हासिल नहीं कर सकते हैं। किसी को डरा-धमकाकर किसी का प्यार नहीं पाया जा सकता। क्रोध, हिंसा, दुश्मनी ये सब गलत भावनाएं हैं, इससे आप कभी सुखी नहीं होंगे और दूसरों को भी हमेशा दुःख का सामना करना होगा।
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