Inspirational Poem in Hindi by Anup Naik
बढ़ चढ़ी है साँस लेकिन, थककर नहीं गिरूँगा ।
थोड़ा रुकके साँस लेके, आगे जरूर बढूंगा ।।
काँटे कंकड़ हटाकर मैंने, रस्ता खुद बनाया है ।
गिरा-सम्भला-उठा-बैठा, खुद को चलना सिखाया है ।।
आये नहीं थे पँख मेरे, तब से उड़ रहा हूँ।
भले ही तेज़ उड़ न पाऊँ, पर नीचे नहीं गिरा हूँ ।।
बत्तीस मेरे दाँत न थे, तब से चूल्हा जलाता हूँ ।
चाहे खुद मैं भूखा रहूँ, लेकिन सबको खिलाता हूँ ।।
साथी मेरे जब थक जाते, तब भी मैं चलता था ।
जब सभी फूलों पे चलते, काँटों पे मैं चलता था ।।
दुखों से मैं ठोकर खाके, खुद से टूटा नहीं हूँ ।
बहुत खुश हूँ ए जिंदगी, तुझसे रूठा नहीं हूँ ।।
मंजिल मेरी शिखर पर है, पर्वत जरूर चढूँगा ।
थोड़ा रुकके साँस लेके, आगे जरूर बढूंगा ।।
Anup Naik
Raigarh Chhattisgarh
Mob. : +91-98930 24995
मेरा नाम अनुप नायक है । मैं जलगढ़ (सरिया) गाँव रायगढ़ जिले का रहने वाला हूँ ।
मेरा मानना है कि शब्दों को तुकबंदियों में जमाना और एक सार्थक लय देने की कला सब में होती है, बस प्रयास की जरूरत है । इसी कड़ी में मेरा कविता लिखने का एक प्रयास आपके सामने है । पढ़िए और जरूर बताइये की यह प्रयास सफलता प्राप्त करेगी या नहीं ।
We are grateful to Mr. Anup Naik Ji for sharing this short inspirational poem in hindi. Thanks Anup.
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