Inspiring Hindi Story Archives - HamariSafalta.com https://www.hamarisafalta.com/tag/inspiring-hindi-story भारत की सबसे प्रेरणादायक हिंदी ब्लॉग Sat, 03 Apr 2021 06:10:59 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://www.hamarisafalta.com/wp-content/uploads/2017/08/hs.png Inspiring Hindi Story Archives - HamariSafalta.com https://www.hamarisafalta.com/tag/inspiring-hindi-story 32 32 121486502 बूढ़ी अम्मा का भरोसा Heart Touching Story on Faith in Hindi https://www.hamarisafalta.com/2021/04/heart-touching-story-on-faith-in-hindi.html https://www.hamarisafalta.com/2021/04/heart-touching-story-on-faith-in-hindi.html?noamp=mobile#respond Sat, 03 Apr 2021 05:06:42 +0000 https://hamarisafalta.com/?p=2694 Heart Touching Story on Faith in Hindi डॉ. पटनायक दिल्ली के सबसे बड़े हार्ट सर्जन में से एक थे, ये कहना गलत नहीं होगा कि उनके जैसा डॉक्टर वहां कोई नहीं था, काम में सबसे अनुभवी और जमीनी स्तर से जुड़े हुए वो बहुत ही विनम्र इंसान थे । एक बार डॉक्टर्स के बड़े समूह को अपने अनुभव उनके साथ बांटने के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया । डॉ. पटनायक 2 वर्षों से अमेरिका में अपनी सेवाएँ दे रहे थे […]

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Heart Touching Story on Faith in Hindi

डॉ. पटनायक दिल्ली के सबसे बड़े हार्ट सर्जन में से एक थे, ये कहना गलत नहीं होगा कि उनके जैसा डॉक्टर वहां कोई नहीं था, काम में सबसे अनुभवी और जमीनी स्तर से जुड़े हुए वो बहुत ही विनम्र इंसान थे । एक बार डॉक्टर्स के बड़े समूह को अपने अनुभव उनके साथ बांटने के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया । डॉ. पटनायक 2 वर्षों से अमेरिका में अपनी सेवाएँ दे रहे थे और जब पता चला कि उन्हें दिल्ली जाकर डॉक्टर्स के एक बड़े ग्रुप को संबोधित करना है और इस ग्रुप को बताना है कि वो गाँव-गाँव तक अपनी सेवाएँ कैसे पहुंचा सकते हैं, गाँव के लोगों को हॉस्पिटल से कैसे जोड़ सकते हैं और गांवों में हॉस्पिटल का निर्माण कर मुफ्त में अपनी सेवाएँ जन-जन तक कैसे पहुंचा सकते हैं । उन्हें जब इस बात का भी पता चला कि दिल्ली से कुछ दूर एक गाँव में डॉक्टर्स की मीटिंग रखी गई है तब वे बहुत खुश हुए क्योंकि डॉ पटनायक दिल्ली के अलावा कई गावों में अपनी मुफ्त सेवाएँ दे चुके थे और उन्हें गांवों के लोग बहुत मानते थे ।

उन्होंने अपनी फ्लाइट टिकिट बुक की, अपना सामान पैक किया और अगले ही दिन दिल्ली के लिए रवाना हो गए । देर शाम को उनकी फ्लाइट लैंड हुई, मौसम ने अपना रुख बदला हुआ था, आसमान से एक-दो बूंद टपकती पानी कब छोटे-छोटे ओले में बदल गए पता नहीं चला । मौसम बहुत ज्यादा ख़राब था । दिल्ली से एक जूनियर डॉ. शर्मा और उनका ड्राईवर मोहन उन्हें लेने के लिए एयरपोर्ट पर उपस्थित थे । अगली सुबह एक छोटे-से गाँव में डॉ. पटनायक को संबोधित करना था इसलिए उन्हें उसी रात ही उस गाँव के लिए निकलना था । कुछ देर इंतजार करने के बाद भी मौसम की स्थिति वैसी ही थी । डॉ. शर्मा ने मोहन से पूछा, “यदि आप गाड़ी चला सकें और रास्ते में किसी तरह की कोई असुविधा न हो तो क्या हम इस मौसम में भी यहाँ से निकल सकते हैं”

“हाँ, मैं कोशिश करूंगा लेकिन गाँव जाने के लिए हमें कच्चे रास्तों से होकर जाना पड़ेगा इसलिए अभी हम धीरे-धीरे आगे बढ़ सकते हैं।”- मोहन ने कहा ।

मोहन ने गाड़ी निकाली और तीनों गाँव की तरफ आगे बढ़ने लगे । रास्ता और मौसम दोनों बहुत ख़राब था इसलिए वे धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे । कुछ दुरी तय करने के बाद जब वे एक गाँव से गुजर रहे थे तब मोहन को महसूस हुआ कि उसके गाड़ी का एक टायर पंचर हो गया, उसनें गाड़ी रोकी और नीचे उतरकर बारिश में भीगते हुए उसनें टायर को चेक किया, टायर पंचर था ।

उस गाँव में बहुत अँधेरा था, मौसम खराब होने के कारण वहां बिजली नहीं थी लेकिन मोहन ने देखा कि पास ही के एक घर से रोशनी आ रही थी । मोहन ने डॉ. पटनायक और डॉ. शर्मा से कहा कि सर गाड़ी का टायर पंचर है और टायर बदलने में समय लग सकता है, इसलिए गाड़ी से उतरकर हमें पास के घर में अभी कुछ समय रुकना होगा, क्योंकि ऐसे बारिश में टायर बदलना भी संभव नहीं होगा ।

दोनों डॉक्टर्स गाड़ी से नीचे उतरे और पास के ही घर की तरफ जहाँ से रोशनी आ रही थी आगे बढ़ने लगे । उन्होंने घर का दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर से किसी भी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई । उन्होंने इस बार फिर दरवाजा खटखटाया और अबकी बार दरवाजे पर एक बूढ़ी अम्मा थीं जो बहुत उम्र की लग रही थीं ।

“माँ जी, हम शहर से आ रहे हैं, मौसम बहुत खराब है और यहाँ हमारी गाड़ी भी खराब हो गई है, यदि कुछ समय तक आप हमें यहाँ रुकने दें तो आपकी बड़ी मेहरबानी होगी ।” – डॉ. शर्मा ने बूढ़ी अम्मा से कहा ।

“क्यों नहीं, आप सब अंदर आइए मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ।” – बूढ़ी अम्मा ने जवाब देते हुए कहा ।

“ये बिस्तर पर यह छोटा बच्चा क्यों कराह रहा है, इसे क्या हुआ ?” – डॉ पटनायक ने बच्चे की कराह सुनी और बूढ़ी अम्मा से पूछा ।

“अब क्या बताएं साहब, गाँव में हॉस्पिटल की सेवाएँ नहीं हैं, हर छोटी-बड़ी बीमारी के लिए शहर जाना पड़ता है । यह मेरा इकलौता पौता है । शुरुआत में इसे खांसी थी, धीरे-धीरे इसकी छाती में दर्द होने लगा और जब मैंने इसके इलाज की प्रक्रिया पता की तो मुझे पता चला कि मेरा पोता एक बहुत बड़ी बीमारी से जूझ रहा है । इसके हार्ट में बड़ी समस्या है । कुछ डॉक्टर्स ने बताया कि दिल्ली के एक मशहूर डॉक्टर हैं जो आजकल अमेरिका में रहते हैं और कभी-कभी ही दिल्ली आते हैं । वही इसका इलाज कर सकते हैं । इलाज में भी बहुत खर्च है । मेरे पास इतने पैसे नहीं कि मैं अपने पोते का इलाज करा सकूँ । गरीबी और हॉस्पिटल न होने के चलते ही मैं अपने बेटे और बहु को भी नहीं बचा सकी, वो भी बीमारी से लड़ते हुए ही चल बसे । मेरे पोते के साथ ऐसा न हो, और वो जल्दी स्वस्थ हो जाए इसलिए मैं रोज हर समय भगवान के सामने दीए जलाए रखती हूँ, ताकि भगवान मेरे इस चिराग को बुझने न दें । मैं हर जो भगवान से प्रार्थना करती हूँ कि जब भी डॉ पटनायक दिल्ली आएं तो मुझे किसी के माध्यम से पता चल सके और मैं उनसे मेरे पोते की जान बचाने की भीख मांग सकूँ । अब सब मैंने भगवान पर छोड़ दिया है साहब… ऐसा कहकर बूढ़ी अम्मा रोने लगीं ।”

Heart Touching Story on Faith in Hindi
Heart Touching Story on Faith in Hindi

ये सब बातें जब डॉ. शर्मा, ड्राईवर मोहन ने सुना तो उनके चेहरे पर एक अलग ही चमक दिख रही थी, डॉ. शर्मा बूढ़ी अम्मा के पास गए और उन्होंने उनका हाथ पकड़ते हुए कहा, “माँ जी आप जिन डॉ. पटनायक की बात कर रही हैं वो आपके सामने ही खड़े हैं।” डॉ. पटनायक ने बूढ़ी अम्मा से उनके गाँव वाले कार्यक्रम के बारे में पूरी बात बताई और यह भी विश्वास दिलाया कि उनके पोते का वो मुफ्त में इलाज करेंगे और गाँव-गाँव तक चिकित्सा की सेवाएँ पहुंचाएंगे ।

यह सुनने के बाद बूढ़ी अम्मा को विश्वास हो गया कि इस दुनिया में विश्वास कितना जरूरी है, और उस भगवान पर विश्वास कितना जरूरी है जो आपकी दिल से निकली दुआओं और प्रार्थनाओं को कबूल करते हैं ।

अगली सुबह सभी डॉक्टर्स को डॉ. पटनायक ने संबोधित किया और उन्हें गाँव-गाँव में हॉस्पिटल और चिकित्सा से जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास जो वो सब कर सकते हैं इसके लिए कहा ।  बूढ़ी अम्मा के पोते का इलाज हुआ और वो अब स्वस्थ है, गाँव-गाँव तक डॉक्टर्स पहुंचे और हॉस्पिटल खुलने लगे ।

 

दोस्तों इस कहानी से हम क्या सीख सकते हैं

उस भगवान पर भरोसा रखिये जो आपके साथ कभी गलत होने नहीं देगा । वो किसी न किसी रूप में आकर आपका साथ देगा । अपनी हिम्मत को टूटने मत दीजिये ।

अफजल-इमाम

 

 

 

 

 

 

 

 

Afzal Imam

Blog : www.fixxgroup.in

मै (अफजल इमाम) एक student और part time ब्लॉगर हुँ। मेरे ब्लॉग का नाम “fixxgroup.in” है। यहाँ आप motivational story, quotes, education और career से संबंधित विभिन्न विषयों पर विस्तृत जानकारी हिंदी मे पा सकते हैं।


We are grateful to Afzal Imam Ji for sharing this Heart Touching  Story on Faith in Hindi.

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डाकू खड़गसिंह का आतंक | बच्चों के लिए प्रेरक कथा https://www.hamarisafalta.com/2019/05/story-for-kids-in-hindi-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be.html https://www.hamarisafalta.com/2019/05/story-for-kids-in-hindi-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be.html?noamp=mobile#respond Thu, 30 May 2019 02:22:55 +0000 https://hamarisafalta.com/?p=2353 Story for Kids in Hindi | बच्चों के लिए प्रेरक कथा | बाल कथा | लघु कहानी बहुत समय पहले की बात है एक बार खड़गसिंह नाम का एक डाकू अपने राज्य में लूट-मार करके अपने घर जा रहा था।  वह जंगल से होता हुआ अपने घर की तरफ आगे बढ़ ही रहा था कि उसे पत्थर पर लेटे हुए एक साधू-महात्मा नजर आए। खड़गसिंह उस साधू के पास गया और बोला- “क्या तुम्हें मुझसे डर नहीं लगता! तुम्हें पता […]

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Story for Kids in Hindi | बच्चों के लिए प्रेरक कथा | बाल कथा | लघु कहानी

बहुत समय पहले की बात है एक बार खड़गसिंह नाम का एक डाकू अपने राज्य में लूट-मार करके अपने घर जा रहा था।  वह जंगल से होता हुआ अपने घर की तरफ आगे बढ़ ही रहा था कि उसे पत्थर पर लेटे हुए एक साधू-महात्मा नजर आए। खड़गसिंह उस साधू के पास गया और बोला- “क्या तुम्हें मुझसे डर नहीं लगता! तुम्हें पता भी है, मैं कौन हूँ! सारे शहर और राज्य के लोग मेरे नाम से कांपते हैं, मैं ही वो खड़गसिंह हूँ जिसनें हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया और मेरे क्रोध से सभी परिचित हैं।” वह अपने बारे में एक छोटा-सा परिचय साधू के सामने दे रहा था। लेकिन इन सब बातों का साधू पर कोई भी असर नहीं पड़ा और वे ज्यों के त्यों उस पत्थर पर ही लेटे रहे।

आपको कम सुनाई देता है क्या, सूना नहीं मैं कौन हूँ और क्या करता हूँ! – खड़गसिंह फिर से चिल्लाते हुए बोला।

साधू ने कहा, “तुम खून खराबा क्यों करते हो!”

ताकि मैं इस राज्य पर कब्ज़ा कर सकूँ और एक दिन मेरे आतंक से देश भी काँपे। – डाकू खड़गसिंह बोला।

फिर इससे क्या होगा? – साधू ने पूछा।

मेरे पास सभी सुख सुविधाएं होंगी, सब लोग मुझसे डरेंगे, मेरे आगे सिर झुकाएँगे, मेरे पास बड़े-बड़े घर, नौकर-चाकर, सम्पत्ति, गहने, और सभी ऐसो आराम की चीजें होंगी। – डाकू ने कहा।

फिर इससे क्या होगा! – साधू ने पुनः प्रश्न किया।

डाकू ने उत्तर देते हुए कहा कि ये सब करने के बाद मैं सुकून और शांति के साथ रहूँगा।

साधू ने जवाब देते हुए कहा, – “खड़गसिंह, तुम इतना सब करने के बाद शांति और सुकून से रहोगे, लेकिन मैं तो अभी भी वैसे ही आराम से रह रहा हूँ, अभी भी मैं शांति और सुकून के साथ अपना जीवन यापन कर रहा हूँ।” साधू ने पत्थर पर लेटे-लेटे ही उत्तर देते हुए कहा और दूसरी करवट लेकर सोने लगा।

यह जवाब सुनकर डाकू खड़गसिंह को पहली बार यह अहसाह हुआ कि वह एक मूर्खतापूर्ण और गलत अभियान पर निकला है। उस दिन के बाद से उसने अपना अभियान हमेशा के लिए त्याग दिया। वह इस बात को अब समझ चूका था कि सुकून और आराम पाने के लिए उसका रास्ता कभी उचित नहीं था। वह हिंसा, क्रोध, किसी को डराकर कभी भी शांति हासिल नहीं कर सकता।

 

दोस्तों शांति का मार्ग दूसरों को दुःख देकर, किसी की खुशियों में आग लगाकर आप कभी हासिल नहीं कर सकते हैं। किसी को डरा-धमकाकर किसी का प्यार नहीं पाया जा सकता। क्रोध, हिंसा, दुश्मनी ये सब गलत भावनाएं हैं, इससे आप कभी सुखी नहीं होंगे और दूसरों को भी हमेशा दुःख का सामना करना होगा।

कृपया आप हमें बताएं कि आपने इस बाल-कथा से क्या सीखा? अपने सुझाव, कमेन्ट के माध्यम से हम तक पहुंचाएं अथवा हमें hamarisafalta@gmail.com पर अपनी प्रतिक्रिया, शिकायत, सुझाव, प्रश्न मेल करें।

धन्यवाद 🙂

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ईमानदारी पर 4 प्रेरणादायक कहानियाँ https://www.hamarisafalta.com/2018/11/story-on-honesty-with-moral-in-hindi.html https://www.hamarisafalta.com/2018/11/story-on-honesty-with-moral-in-hindi.html?noamp=mobile#respond Fri, 23 Nov 2018 09:52:44 +0000 https://hamarisafalta.com/?p=2121 Story on Honesty in Hindi मुर्ख गधा भोला एक व्यापारी था और उसके पास एक गधा था जिस पर वह नमक की बोरी लादकर शहर ले जाया करता था। 2 साल हो चुके थे, इस बीच भोला ने एक बात गौर की थी कि उसका गधा धीरे-धीरे बहुत आलसी होता जा रहा है। एक बार की बात है, भोला हमेशा की तरह गधे की पीठ पर नमक लादे उसके आगे चल रहा था, गधा धीरे-धीरे भोला के पीछे चलता जा […]

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Story on Honesty in Hindi

मुर्ख गधा

भोला एक व्यापारी था और उसके पास एक गधा था जिस पर वह नमक की बोरी लादकर शहर ले जाया करता था। 2 साल हो चुके थे, इस बीच भोला ने एक बात गौर की थी कि उसका गधा धीरे-धीरे बहुत आलसी होता जा रहा है। एक बार की बात है, भोला हमेशा की तरह गधे की पीठ पर नमक लादे उसके आगे चल रहा था, गधा धीरे-धीरे भोला के पीछे चलता जा रहा था। जैसे ही वह एक नदी के पुल पर पहुंचा, गधे ने नदी में छलांग लगा दी जिससे कि नमक की बोरी पानी में जा घुली। इससे भोला को बहुत नुकसान हुआ लेकिन इस बार उसका गधा बहुत खुश था क्योंकि उसे मेहनत नहीं करनी पड़ रही थी और वह अपने पीठ को खाली महसूस कर रहा था। यही सिलसिला 3-4 दिन चलता रहा। भोला नदी की पूल पर पहुँचता और गधा नदी में गिर जाता। एक दिन भोला ने गधे को सबक सिखाने की सोची, उसनें गधे की पीठ पर नमक के बोरी की जगह रूई से भरी बोरी लद दी। अब जैसा कि गधे का स्वभाव हो चूका था कि नदी पास आते ही उसे पानी में गिरना है। इस बार भी ठीक वैसा ही हुआ, भोला नदी के पास जब पहुंचा तो गधे ने छलांग लगा दी। लेकिन इस बार ठीक उलटा हुआ, गधे की पीठ और भी ज्यादा भारी होने लगी क्योंकि बोरी नमक की जगह रुई से भरी हुई थी। गधे को आज एक बड़ी सबक मिली थी।

शिक्षा – हमेशा ईमानदारी के साथ काम करें, आलस्य से दूर रहें।

ईमानदार लकड़हारा

एक गाँव में मोहन नाम का एक लकड़हारा रहता था। वह गाँव के सबसे गरीब व्यक्ति में से एक था। उसके परिवार को दो वक्त का खाना भी इसी काम से मिल रही थी। एक दिन मोहन अपने पास के नदी किनारे लगे पेड़ को काट रहा था, तभी उसकी कुल्हाड़ी उस नदी में जा गिरी। मोहन पेड़ से उतरा ही था कि उसके सामने नदी की देवी सोने की कुल्हाड़ी लेकर उसके सामने खड़ी हो गयीं। देवी ने कहा, पुत्र! मैं नदी की देवी हूँ, तुम्हारी कुल्हाड़ी गिरने से तुम परेशान हो रहे थे इसलिए मैं तुम्हारी कुल्हाड़ी लेकर आई हूँ। मोहन ने कहा, माता! क्षमा करें लेकिन यह सोने की कुल्हाड़ी मेरी नहीं है। नदी की देवी, इस बार चाँदी की कुल्हाड़ी लिए मोहन के पास आई, पर मोहन ने चाँदी की कुल्हाड़ी को भी लेने से इनकार करते हुए कहा कि वह भी उसकी कुल्हाड़ी नहीं है। इस बार नदी की देवी ने लोहे का कुल्हाड़ी जो मोहन के स्वयं का था वह उसे दिया और इस बार मोहन ने प्रसन्नता के साथ उस कुल्हाड़ी को स्वीकार करते हुए देवी को धन्यवाद कहा। नदी की देवी, मोहन की ईमानदारी से बहुत प्रसन्न थी, इतना गरीब होने के पश्चात् भी मोहन ने लालच नहीं दिखाया, इस पर देवी ने मोहन को इनाम स्वरुप सोने और चाँदी से बनें दोनों कुल्हाड़ी पुरूस्कार के तौर पर दिए। ईमानदारी का पुरूस्कार पाकर मोहन आज बहुत खुश था।

शिक्षा- लालच न करें, ईमानदारी से अपना काम करते जाएँ जिंदगी आपको एक दिन पुरूस्कार देती है।

जादुई छड़ी

एक बड़े सेठ के यहाँ 10 नौकर काम किया करते थे। सेठ के दूकान पर आए दिन कुछ न कुछ सामान गायब हो जाता था और किसी को भी इस बात की खबर तक नहीं होती थी। सेठ जी परेशान थे क्योंकि बहुत बार कई कीमती सामान दूकान से गायब हो चुके थे। एक दिन सेठ ने सभी नौकरों को बुलाया और सबसे पूछताछ की व सबकी तलाशी भी हुई पर सभी नौकर खुद को ईमानदार ही बताते रहे, तलाशी में भी कुछ नहीं निकला। सेठ जी दूकान में हो रही चोरी से बहुत परेशान थे, उन्होंने अपने एक सम्बन्धी को बुलाया जो बहुत बुद्धिमान था और सारी घटना बताई। अगले दिन उस बुद्धिमान व्यक्ति को लेकर वे दूकान पहुँचे। बुद्धिमान व्यक्ति, 10 छड़ी अपने साथ लाये हुए था, और उन्हें सभी नौकरों को देते हुए बोला, यह एक जादुई छड़ी है। जो भी व्यक्ति चोर होगा, अगली सुबह उसकी छड़ी 3 इंच तक बढ़ जाएगी। आप सभी को सुबह छड़ी के साथ उपस्थित होना है।

अगली सुबह सभी नौकर छड़ी के साथ उपस्थित थे, बुद्धिमान व्यक्ति ने सभी छड़ी की जांच की, जांच करते हुए उन्होंने पाया कि एक व्यक्ति की छड़ी 3 इंच कम है। उन्होंने सेठ के सामने चोरी करने वाले उस व्यक्ति को पेश किया जिसकी छड़ी 3 इंच कम थी। उस नौकर ने भी अपना गुनाह कबुल किया।

यदि वह व्यक्ति ईमानदार होता तो वह छड़ी के विकास को लेकर कभी नहीं डरता, उस नौकर ने पहले से ही अपनी छड़ी 3 इंच कम कर दी थी क्योंकि उसे डर था कि कहीं अगली सुबह उसकी छड़ी लम्बी न हो जाए।

शिक्षा – ईमानदार व्यक्ति को किसी बात का डर नहीं होता, वह रात में चैन की नींद ले सकता है और सिर उठाकर अपना जीवन व्यतीत कर सकता है।

राजा का उत्तराधिकारी

एक समय की बात है, एक राजा हुआ करता था जो बहुत बुढ़ा हो चूका था। राजा के तीन बेटे थे। वह चिंतित था कि उसके पुत्रों में कौन उत्तराधिकारी होना चाहिए। उसके लिए अपने तीन बेटों के बीच अगला राजा चुनना बहुत मुश्किल था क्योंकि वह उन सभी से बहुत प्यार करता था। एक दिन उसके मन में विचार आया, उसनें अपने तीनों बेटों को बुलाया और उनसे कहा, “मैं आपमें से प्रत्येक को एक बीज दे रहा हूँ, आप गमले में इसे लगायेंगे और जिसका पौधा सबसे अच्छा और खुबसूरत होगा उसे ही राजा चुना जाएगा।’

बेटों ने बीज लिया और वहां से चले गये। तीनों अब उसकी देखभाल में लग गये। वे समय-समय पर खाद और पानी देते रहते थे। कुछ महीनों के बाद, दो भाइयों के पास खूबसूरत फूलों और हरी पत्तियों के साथ गमलों पर सुन्दर पौधे नजर आ रहे थे लेकिन सबसे छोटे बेटे का गमला खाली था। हालांकि उसने अपने बीज और गमले की बहुत अच्छी देखभाल की लेकिन उसके गमले में कोई पौधे नहीं बढ़े। जब उसने देखा कि उनके भाइयों के पौधे बहुत सुंदर दिख रहे हैं तब वह बहुत दुखी और चिंतित हो गया कि वह अपने पिता को क्या दिखाएगा। एक दिन राजा ने सभी भाइयों को अपने पौधे दिखाने के लिए बुलाया।

“पिताजी देखो हमारे पौधे कितने सुंदर हैं”। उन बेटों ने कहा जिनके गमलों पर पौधे थे।

राजा ने सबसे छोटे बेटे से पूछा, “आपका पौधा कहां है? आपका गमला खाली है।” बेटे ने जवाब दिया, “पिताजी, मैं माफी चाहता हूं, मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की लेकिन मेरे गमलों में पौधे नहीं बढ़े”।

राजा ने कहा, “नहीं! तुम्हें खेद नहीं होना चाहिए” क्योंकि मैंने जो बीज तुम सबको दिए थे वे उबले हुए बेकार बीज थे, उन बीजों की मदद से कोई पौधा उगाया नहीं जा सकता था.. तुम्हारे भाइयों ने मुझसे झूठ बोला। जब उन्होंने देखा कि उनके पौधे नहीं बढ़ रहे थे, उन्होंने अपने गमलों में अन्य बीज लगा दिए। उनके पौधे अन्य बीजों से हैं। लेकिन आप ईमानदार थे और आपने मुझे सच बताया । राजा के सबसे महत्वपूर्ण गुणों में से एक यह है कि वह ईमानदार होना चाहिए तो मेरे प्यारे बेटे, आप अगले राजा होंगे।”

शिक्षा – ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।

 

ईमानदारी पर ये कहानियाँ आपको कैसी लगीं कृपया कमेन्ट के माध्यम से हमें जरूर बताएं अथवा हमें hamarisafalta@gmail.com पर मेल करें।

धन्यवाद 🙂

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Michael Jordan Inspirational Story in Hindi https://www.hamarisafalta.com/2018/11/michael-jordan-inspirational-story-in-hindi.html https://www.hamarisafalta.com/2018/11/michael-jordan-inspirational-story-in-hindi.html?noamp=mobile#respond Thu, 22 Nov 2018 05:36:22 +0000 https://hamarisafalta.com/?p=2110 Michael Jordan Inspirational Story in Hindi Michael Jeffrey Jordan  का जन्म 17 फरवरी 1963 को Brooklyn, New York में हुआ था। वे बहुत गरीब परिवार में पैदा हुए थे, उनके पेरेंट्स पर चार बच्चों की जिम्मेदारी थी। उनके माता-पिता घर चलाने में असमर्थ थे, क्योंकि उनके पिता की तनख्वाह 20 डॉलर महीने से भी कम थी। झोंपड पट्टी में पला बढ़ा माइकल बड़े सपने देखता था, और यही आशा करता था कि उसकी लाइफ भी बेहतर हो। जब Michael Jordan […]

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Michael Jordan Inspirational Story in Hindi

Michael Jeffrey Jordan  का जन्म 17 फरवरी 1963 को Brooklyn, New York में हुआ था। वे बहुत गरीब परिवार में पैदा हुए थे, उनके पेरेंट्स पर चार बच्चों की जिम्मेदारी थी। उनके माता-पिता घर चलाने में असमर्थ थे, क्योंकि उनके पिता की तनख्वाह 20 डॉलर महीने से भी कम थी। झोंपड पट्टी में पला बढ़ा माइकल बड़े सपने देखता था, और यही आशा करता था कि उसकी लाइफ भी बेहतर हो। जब Michael Jordan 13 वर्ष के हुए तब उनके पिता ने उन्हें अपने पास बुलाया और एक पुरानी-सी टी शर्ट की तरफ इशारा करते हुए कहा, बेटा माइकल! ये जो सामने टी शर्ट तुम देख रहे हो वह कितने की होगी?  पापा शायद 1 डॉलर, माइकल ने कहा।

जाओ इसे बाजार से 2 डॉलर का बेचकर आओ, पिता ने कहा और चुप हो गये। माइकल ने पिता से कोई सवाल नहीं किया, क्योंकि उनके घर की स्थिति बहुत ख़राब थी, खाने तक के लाले पड़े हुए थे। माइकल ने टी शर्ट लिया, उसे घर में अच्छी तरह से धोया, सुखाया और बढ़िया तरह से फोल्ड करके अगले दिन अपने नजदीक के रेलवे-स्टेशन पहुँच गया। 6-7 घंटों की कड़ी मेहनत के बाद वह टी शर्ट किसी व्यक्ति ने ख़रीदा। माइकल 2 डॉलर हाथ में पकड़े ख़ुशी के मारे भागते हुए अपने पिता के पास पहुंचा। उसके पिता यह देखकर बहुत खुश हुए। अब हर रोज पिता उसे ऐसी टी-शर्ट देते और माइकल उसे 2 डॉलर में बेचकर आते थे। 15 दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा। एक दिन पिता ने माइकल को बुलाया और कहा, बेटे! तुम हर दिन ऐसी पुराणी टी शर्ट को 2 डॉलर में बेचकर आते हो। आज यही टी शर्ट तुम 20 डॉलर का बेचकर आओगे, तुम्हें 2 डॉलर नहीं बल्कि इसे 20 डॉलर का बेचना है।

यह सोचकर माइकल चौक गया, लेकिन उसनें यह नहीं सोचा कि यह संभव नहीं है, उसने यह सोचा कि इसे कैसे संभव बनाया जा सकता है।

उसनें टी शर्ट ली, धोया और उसे सुखाया, लेकिन इस बार क्योंकि अमाउंट बड़ा था इसलिए उसनें सोचा कि अपने प्रोडक्ट को वह कैसे बेहतर बना सकता है। टी शर्ट को वह अपने किसी दोस्त के पास लेकर गया और उस दोस्त की मदद से उसनें एक मिकी माउस की स्टीकर टी शर्ट पर किसी तरह से चिपका दी। मिकी माउस बच्चों का फेवरेट कार्टून था इसलिए वह उस टी शर्ट को पकड़कर एक ऐसे स्कूल के सामने खड़ा हो गया जहाँ अमीर बच्चे ही पढ़ते थे, एक बच्चे को वह टी शर्ट बहुत ज्यादा पसंद आई और उसनें 20 डॉलर में उसे खरीद लिया और 5 डॉलर बतौर टीप भी दिए।

इस बार 25 डॉलर लेकर वह अपने पिता के सामने खड़ा था, पिता ख़ुशी से झूम रहे थे क्योंकि 25 डॉलर उनके महीने की तनख्वाह से भी ज्यादा था। अगली सुबह पिता ने ठीक वैसा ही Use किया हुआ टी शर्ट माइकल को देते हुआ कहा कि अब इसे 200 डॉलर में तुम्हें बेचकर दिखाना है।

माइकल इतना बड़ा टारगेट सुनकर हिल गया लेकिन उसनें खुद पर भरोसा करना सीख लिया था, उसनें टी शर्ट उठाई और अपने कमरे में जाकर सोचने लगा कि 1 डॉलर के टी शर्ट को 200 डॉलर का कैसे बेचा जाए। तभी उसे पता चला कि Hollywood की सबसे खुबसूरत Actress, Farrah Fawcett उसके पास के शहर में आई हुई है। उसनें ट्रेन पकड़ा, कुछ पोस्टर्स बनाएं और Farrah Fawcett के सामने सिक्यूरिटी को तोड़ते हुए, भीड़ के बीचों बीच से गुजरकर पहुँच गया और उस खुबसूरत एक्ट्रेस से बोला, क्या आप इस टी शर्ट पर अपना ऑटोग्राफ दे सकती हैं? 13 साल के उस मासूम से बच्चे को देखकर वह मना नहीं कर पाई और ऑटोग्राफ दे दिया।

माइकल, टी शर्ट को लेकर पास के ही एक बड़े से बाजार में जा पहुंचा और जोर जोर से चिल्लाने लगा, सबसे खुबसूरत Actress, Farrah का ऑटोग्राफ किया हुआ टी शर्ट सिर्फ 200 डॉलर में। उसके पोस्टर को देखकर जिसमें उसनें सिर्फ 200 डॉलर में Farrah का ऑटोग्राफ किया हुआ टी शर्ट लिखा हुआ था और उसकी आवाज को सुनकर बहुत ज्यादा भीड़ इकठ्ठा हो गयी। वहां पर एक ऑक्शन शुरू हो गया। देखते ही देखते 200 डॉलर से उस टी शर्ट की दाम 2000 डॉलर तक पहुँच गयी और एक बड़े बिजनेसमैन ने 2000 डॉलर पर उस टी शर्ट को खरीद लिया।

इस बार 2000 डॉलर लिए माइकल अपने पिता के सामने खड़े थे। पिता के आँखों में ख़ुशी के आंसू थे। पिता ने माइकल से एक सवाल किया, बेटा! तुमने इतने दिनों तक क्या सीखा? माइकल ने कहा, पापा! “जहाँ चाह है वहां राह है।” पिता ने मुस्कुराते हुए कहा, तुम ठीक कह रहे हो लेकिन मैं तुम्हें कुछ और ही बताना चाहता हूँ, मेरा मकसद सिर्फ और सिर्फ यह था कि जब हम उस 1 डॉलर के पुराने कपड़े की कीमत बढ़ा सकते हैं, तो हम तो भगवान का सबसे बड़ा क्रिएशन हैं, एक इंसान हैं। हमारे अन्दर सोचने और विचार करने की क्षमता है तो फिर हम अपनी कीमत क्यों नहीं बढ़ा सकते!

इस कहानी से हम कुछ बड़ी बातें सीख सकते हैं :

  • शुरुआत में छोटे लक्ष्य बनाएं। जैसे-जैसे लेवल बढ़ता जाता है आपके अन्दर आत्मविश्वास भी बढ़ता जाता है।
  • नहीं होगा की जगह, कैसे होगा पर जोर दें। जब हम कैसे होगा के साथ शुरुआत करते हैं तब हमारा दिमाग उस काम को करने के हजार तरीके हमारे सामने रख देता है। खुद से प्रश्न करें, रास्ते मिलते जाएंगे।
  • अपनी कीमत कभी भी कम मत आंकिये। आपका जन्म कुछ बड़ा करने के लिए हुआ है, भले ही आप अभी 1 डॉलर वाले टी शर्ट की तरह हों लेकिन एक 2000 डॉलर वाले टी शर्ट का सफ़र आपको तय करना है।
  • आप कुछ भी कर सकते हैं, एक 13 साल का छोटा बच्चा, मन में कुछ ठानकर उसे पूरा करता है और बड़ा होकर बास्केटबाल का भगवान कहलाता है, गरीब होकर भी वह बहाने नहीं बनाता, जब वो कर सकता तब हम क्यों नहीं कर सकते, वह भी इन्सान ही है।
  • बड़े लक्ष्यों से न घबराएँ, जब कदम बढ़ते जाते हैं तब अपने आप ही हमारा विश्वास बढ़ते जाता है और हम लक्ष्य के नजदीक पहुँचते जाते हैं।

 

कृपया इस प्रेरणादायक हिंदी कहानी पर अपने विचार कमेन्ट के माध्यम से हम तक पहुंचाएं अथवा हमें hamarisafalta@gmail.com पर मेल करें।

धन्यवाद 🙂

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बिना मेहनत का फ़ल Short Moral Story in Hindi https://www.hamarisafalta.com/2016/10/short-moral-story-in-hindi.html https://www.hamarisafalta.com/2016/10/short-moral-story-in-hindi.html?noamp=mobile#respond Fri, 21 Oct 2016 00:34:00 +0000 http://www.hamarisafalta.org/2016/10/21/short-moral-story-in-hindi/ एक बार एक गाँव में संत कालिदास जी का आगमन हुआ। वो अपने प्रवचनों के माध्यम से लोगों के अंदर नयी चेतना विकसित करते थे ।  संध्या के समय जब उनका प्रवचन खत्म होने को था तब रामू नाम का एक किसान उनके पास पहुंचा और उनसे आग्रह करते हुए बोला- महात्मन! मैं एक गरीब मजदूर हूँ, किसी तरह खेतों में काम करके अपने परिवार का पेट भरता हूँ । मुझे खेत में बीज बोना पड़ता है और हल चलाकर […]

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एक बार एक गाँव में संत कालिदास जी का आगमन हुआ। वो अपने प्रवचनों के माध्यम से लोगों के अंदर नयी चेतना विकसित करते थे ।  संध्या के समय जब उनका प्रवचन खत्म होने को था तब रामू नाम का एक किसान उनके पास पहुंचा और उनसे आग्रह करते हुए बोला- महात्मन! मैं एक गरीब मजदूर हूँ, किसी तरह खेतों में काम करके अपने परिवार का पेट भरता हूँ । मुझे खेत में बीज बोना पड़ता है और हल चलाकर मुझे फसल पैदा करनी रहती है और जब फसल पक जाता है उसके बाद ही मैं अपना और अपने परिवार का पालन पोषण कर पाता हूँ ।

आप संत और ज्ञानी पुरूष हैं, और मैं आपसे मार्गदर्शन चाहूँगा कि आप मुझे कोई ऐसा रहस्य बताएं जिससे मैं एक बार जब खेत में काम शुरू कर दूँ तो वहाँ से मुझे हमेशा फल प्राप्त होते रहें, जो कभी भी खत्म न हो!

रामू की बात सुनते ही संत कालिदास मुस्कुराये और बोले- रामू! तुम एक नेक इंसान हो और तुम्हें कभी न खत्म होने वाले फल की प्राप्ति भी होगी लेकिन इसके लिए सबसे पहले तुम्हें अपने मन-मस्तिष्क में बीज बोना होगा ।

ये सुनते ही रामू स्तब्ध रह गया और बोला- महाराज! ये आप क्या कह रहे हैं? मैं अपने मन में किस प्रकार से बीज बो सकता हूँ और उस बीज से मुझे कैसे फल प्राप्त हो सकेंगे?

कालिदास उत्तर देते हुए बोले- रामू! यह बिलकुल ही संभव है । ये बीज कोई साधारण बीज जैसे नहीं होंगे, ये बहुत अद्भुत होंगे जो तुम्हारे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में अपना योगदान देंगे ।

रामू जिज्ञासा लिए बोला- महात्मन! कृपया मुझे बताएं कि मैं अपने मन-मस्तिष्क में यह बीज कैसे बो सकता हूँ ?

संत ने जवाब देते हुआ कहा- प्रिय! तुम अपने मन में आत्मविश्वास का बीज बोओ, विवेक, संयम और सूझ-बूझ का हल चलाओ, अपने विद्या या ज्ञान के पानी से उसे सींचो और अंत में उसमे शिष्टाचार और नम्रता का खाद डालो इस तुम्हें कभी न खत्म होने वाले फल की प्राप्ति होगी, जो कि कभी भी खत्म नहीं होगी ।

संत कालिदास की बातें, रामू समझ चूका था और जान चूका था कि जीवन में कभी न खत्म होने फल की प्राप्ति सिर्फ और सिर्फ सद्विचारों के द्वारा ही संभव है ।

धन्यवाद!

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Heart Touching Hindi Story on Internal Motivation https://www.hamarisafalta.com/2016/08/heart-touching-hindi-story-on-internal-motivation-short-hindi-kahani.html https://www.hamarisafalta.com/2016/08/heart-touching-hindi-story-on-internal-motivation-short-hindi-kahani.html?noamp=mobile#respond Mon, 01 Aug 2016 08:23:00 +0000 http://www.hamarisafalta.org/2016/08/01/heart-touching-hindi-story-on-internal-motivation-short-hindi-kahani/ एक लड़का फूटबाल खेलने की प्रैक्टिस करने लगातार आता था, लेकिन वह कभी भी टीम में शामिल नहीं हो सका।  जब वह प्रैक्टिस करता था, तो उसके पिता मैदान के किनारे बैठ कर उसका इंतजार करते रहते थे। मैच शुरू हुए तो वह लड़का चार दिन तक प्रैक्टिस करने नहीं आया। वह क्वार्टर फायनल और सेमी फायनल मैचों के दौरान भी नहीं दिखा।  लेकिन वह लड़का फायनल मैच के दिन आया और उसने कोच के पास जाकर कहा, आपने मुझे […]

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एक लड़का फूटबाल खेलने की प्रैक्टिस करने लगातार आता था, लेकिन वह कभी भी टीम में शामिल नहीं हो सका।  जब वह प्रैक्टिस करता था, तो उसके पिता मैदान के किनारे बैठ कर उसका इंतजार करते रहते थे।

मैच शुरू हुए तो वह लड़का चार दिन तक प्रैक्टिस करने नहीं आया।

वह क्वार्टर फायनल और सेमी फायनल मैचों के दौरान भी नहीं दिखा।  लेकिन वह लड़का फायनल मैच के दिन आया और उसने कोच के पास जाकर कहा, आपने मुझे हमेशा रिजर्व खिलाडियों में रखा और  कभी टीम में खेलने नही दिया लेकिन कृपा करके आज मुझे खेलने दें।

कोच ने कहा, बेटा! मुझे दुःख है कि तुम्हें यह मौका नहीं दे सकता।  टीम में तुमसे अच्छे खिलाडी मौजूद हैं।  इसके अलावा यह फायनल मैच है।  स्कूल की इज्जत दाव पर लगी है, मैं तुम्हें मौका देकर खतरा मोल नहीं ले सकता।

लड़के ने मिन्नत करते हुए कहा, सर मैं आपसे वादा करता हूँ कि मैं आपके विश्वास को नहीं तोडूंगा, मेरी आपसे विनती है कि मुझे खेलने दें।

कोच ने इससे पहले लड़के को कभी इस तरह विनती करते हुए नहीं देखा था।  उसने कहा, ठीक है बेटे जाओ, खेलो। लेकिन याद रखना कि मैंने यह निर्णय अपने ही बेहतर फैसले के खिलाफ लिया है और स्कूल की इज्जत दाव पर लगी है, मुझे शर्मिंदा न होना पड़े।

खेल शुरू हुआ और लड़का तूफ़ान की तरह खेला, उसे जब भी गेंद मिली उसने गोल मार दिया।  कहना न होगा कि वह उस मैच का हीरो बन गया।  उसकी टीम को शानदार जीत मिली।

खेल खत्म होने के बाद कोच ने उस लड़के के पास जाकर कहा, बेटा, मैं इतना गलत कैसे हो सकता हूँ?

मैंने तुम्हें पहले इस तरह कभी खेलते हुए नहीं देखा! यह चमत्कार कैसे हुआ? तुम इतना अच्छा कैसे खेल गए?

लड़के ने जवाब दिया, कोच आज मेरे पिताजी मुझे खेलते हुए देख रहे थे !

कोच ने मुड़कर उस जगह को देखा जहाँ उसके पिताजी बैठा करते थे।  लेकिन वहाँ पर कोई नहीं बैठा था।

उसने पूछा – बेटा! तुम जब भी प्रैक्टिस करने आते थे, तो तुम्हारे पिताजी वहाँ बैठा करते थे।  लेकिन आज मैं वहाँ पर किसी को नहीं देख रहा हूँ।

लड़के ने उत्तर दिया – “कोच मैंने आपको यह कभी नहीं बताया कि मेरे पिताजी अंधे थे।  चार दिन पहले उनकी मृत्यु हो गयी।  आज पहली बार वह मुझे ऊपर से देख रहे हैं।”

यह Short Motivational Hindi Story “You Can Win” के हिंदी Translation Book जीत आपकी से प्रेरित है जिसके लेखक शिव खेड़ा जी हैं। 

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सच्ची प्रार्थना Inspirational Hindi Kahani https://www.hamarisafalta.com/2015/08/true-prayer-sachhi-prarthna-hindi-kahani.html https://www.hamarisafalta.com/2015/08/true-prayer-sachhi-prarthna-hindi-kahani.html?noamp=mobile#respond Fri, 28 Aug 2015 04:50:00 +0000 http://www.hamarisafalta.org/2015/08/28/true-prayer-sachhi-prarthna-hindi-kahani/   चीन में एक बहुत ही प्रसिध्द और महान दार्शनिक हुए जिनका नाम है- कन्फ्यूशियस। कन्फ्यूशियस एक बार उनके शिष्यों के साथ सैर पर निकले, आधे रास्ते पर पहुँचते ही कुछ शिष्यों ने जिज्ञासावश पूछा- गुरुदेव! बहुत दिनों से हमारे मन में एक प्रश्न था, आज आपसे पूछना चाहते हैं! कृपया हमें यह बताएं कि किसकी प्रार्थनाएं सही मायने में सच्ची होती हैं? कन्फ्यूशियस ने तुरंत जवाब देते हुए कहा- “मेरी नजर में लिंची ही एक सच्चा साधक है जिसकी […]

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चीन में एक बहुत ही प्रसिध्द और महान दार्शनिक हुए जिनका नाम है- कन्फ्यूशियस।

कन्फ्यूशियस एक बार उनके शिष्यों के साथ सैर पर निकले, आधे रास्ते पर पहुँचते ही कुछ शिष्यों ने जिज्ञासावश पूछा- गुरुदेव! बहुत दिनों से हमारे मन में एक प्रश्न था, आज आपसे पूछना चाहते हैं! कृपया हमें यह बताएं कि किसकी प्रार्थनाएं सही मायने में सच्ची होती हैं?

कन्फ्यूशियस ने तुरंत जवाब देते हुए कहा- “मेरी नजर में लिंची ही एक सच्चा साधक है जिसकी प्रार्थनाएं भगवान रोज सुनते हैं। ”

सभी शिष्यों के मन में लिंची का नाम सुनते ही उनसे मिलने की इच्छा और उत्सुकता हुई . अगले ही सुबह कुछ शिष्य लिंची से मिलने उसके गांव  के लिए निकल पड़े। जब उन्होंने देखा कि लिंची एक साधारण-सा किसान है तो शिष्यों के मन में थोड़ी आशंका हुई लेकिन कन्फ्यूशियस के शिष्यों को तो प्रार्थना के मंत्र ही चाहिए थे। इसी उद्देश्य से सभी शिष्य लिंची के पास बैठे रहे और उस घडी का इंतजार करते रहे कि कब वो प्रार्थना करेंगे तो उसे हम लिख लेंगे और उसका आगे अभ्यास करेंगे।  सुबह होते ही लिंची अपने खेत पर पहुंचा और ऊपर आसमान की तरफ मुंह करके बोला – “हे भगवान! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने मुझे इतना अच्छा जीवन दिया है।  इस सृष्टि में सब कुछ कितना अच्छा है . आपने मुझे इंसान के रूप में जन्म देकर मेरे ऊपर बहुत बड़ा उपकार किया है, प्रभु मैं हमेशा आपका ऋणी रहूँगा।”

और इतना कहते हुए लिंची अपने खेत में काम करने लगा .

जब उसने दिन भर कोई प्रार्थना नहीं की तो   शिष्य निराश होकर अपने गुरु कन्फूशियस के पास लौट गए और सभी ने बोला- “गुरुजी! आपने हमें किस इंसान के पास भेज दिया था, लिंची ने तो बस एक ही वाक्य प्रार्थना के लिए इस्तेमाल किया और न तो उसने पूजा-अर्चना की और न ही किसी प्रकार का बड़ा पाठ किया।”

कन्फ्यूशियस मुस्कुराते हुए बोले- “बच्चों! जब किसी व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रार्थना बन जाता है तो उसे किसी प्रकार का बाहरी दिखावा करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती।  सच्ची प्रार्थना तो मनुष्य के अंदर जन्म लेती है और वह मनुष्य के विवेक पर प्रकाश डालती है और आगे वही ऊपर वाले भगवान, ईश्वर या कहें परमात्मा तक पहुँचती है।

मित्रों, हमारे  ईश्वर, प्रार्थना के  नहीं बल्कि प्रेम के भूखे हैं . उनके लिए हमारे मुंह से निकले प्रेम के दो शब्द भी उन्हें प्रिय हैं. किसी प्रकार का ढोंग जब हमारे अंतर्मन को बहुत ख़राब लगता है तो वह उस ईश्वर को कितना ख़राब लगता होगा जिसने हमें बनाया है।  उसे बड़े-बड़े मन्त्रों, पूजा पाठ, उपवास व्रत की आवश्यकता नहीं। उन्हें तो बस प्रेम चाहिए क्योंकि यह उनकी सच्ची भक्ति और सच्चे प्रार्थना का प्रमाण है। इसलिए दिन में बस एक बार उस ऊपरवाले को अपने अनमोल जीवन के लिए धन्यवाद जरूर कहिये और बस अपना कर्म करते जाइये क्योंकि अंतर्मन से निकला एक छोटा-सा शब्द भी सच्ची प्रार्थना है।

धन्यवाद !

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सबसे बड़ी गलती Motivational Story in Hindi https://www.hamarisafalta.com/2015/08/hindi-story-on-self-improvemen.html https://www.hamarisafalta.com/2015/08/hindi-story-on-self-improvemen.html?noamp=mobile#respond Tue, 18 Aug 2015 11:01:00 +0000 http://www.hamarisafalta.org/2015/08/18/hindi-story-on-self-improvemen/   सुधार जारी है ! पिताजी एक अच्छे चित्रकार थे, वे प्रतिदिन अच्छे-अच्छे चित्र बनाकर बाजार में बेचने जाया करते थे… उन्होंने अपने बेटे को भी यह कला सिखाई थी. दोनों ही मिलकर चित्र बनाते और उसे बाजार में शाम को बेचने के लिए ले जाते. पिता की मूर्तियां तो हर दिन बेटे से जल्दी और अच्छे दाम में बिक जाती थीं पर बेटे की मेहनत कुछ खास रंग नहीं ला पा रही थी.. जब दोनों बाजार से लौट रहे […]

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सुधार जारी है !

पिताजी एक अच्छे चित्रकार थे, वे प्रतिदिन अच्छे-अच्छे चित्र बनाकर बाजार में बेचने जाया करते थे… उन्होंने अपने बेटे को भी यह कला सिखाई थी. दोनों ही मिलकर चित्र बनाते और उसे बाजार में शाम को बेचने के लिए ले जाते. पिता की मूर्तियां तो हर दिन बेटे से जल्दी और अच्छे दाम में बिक जाती थीं पर बेटे की मेहनत कुछ खास रंग नहीं ला पा रही थी.. जब दोनों बाजार से लौट रहे थे, तो बेटे ने पिता से पूछा- “पिताजी हम दोनों ही चित्र बनाने में बराबर मेहनत करते हैं लेकिन आपकी चित्रकारी बहुत जल्दी और दस रूपये की दर से बिकतीं हैं लेकिन मेरी मूर्तियां बहुत कम बिकतीं हैं और जो उन्हें खरीदता है वो मेरी चित्रकारी के सिर्फ 1-2 रूपये ही देते हैं, ऐसा हमेशा मेरे साथ ही क्यों होता है?”

पिता ने बेटे की बात को गंभीरता से लेते हुए कहा- “बेटे! मुझे पता है कि तुम चित्रकारी के लिए बहुत मेहनत करते हो लेकिन तुम्हारी कला में अभी भी बहुत सारी गलतियाँ हैं और तुम उसे हमेशा सुधारने का प्रयास करो. जब तक तुम अपनी गलतियाँ सुधार नहीं लेते तब तक चित्र बिकने की उम्मीद करना भी बेकार है.”

लड़का बहुत समझदार था उसने तुरंत ही पिता की बातें गाँठ बाँध लीं और गलतियाँ सुधारने में लग गया.

वक्त बीतते गये और अब उसकी मेहनत रंग लाने लगी.., बेटे की चित्रकारियां जल्दी से और 5 रूपये की दर से बिकने लगी. अब वह पहले से खुश था. उसने यह खुशी अपने पिताजी के साथ साझा की. पिताजी ने बेटे को खुश देखते हुए कहा- “बेटा! तुम मेहनती हो लेकिन अभी भी कुछ गलतियाँ रह गई हैं इसलिए पुनः उन्हें सुधारने का प्रयत्न करो.”

और सुधारने की प्रक्रिया उसने जारी रखी, और धीरे से उसकी चित्रकारियां भी अब 10 रूपये की दर से बिकने लगी, और इसी गति से अब वह कार्य करने लगा. जिसकी बदौलत अब वह पिता से भी आगे जा निकला, उसकी चित्रकारी अब बाजार में 20 रूपये की दर से बहुत जल्दी बिक जाती थी.

एक रोज जब वे दोनों बाजार से लौट रहे थे तो बेटे ने पिता से कहा- “पिताजी अब तो मेरी चित्रकारी आपसे भी जल्दी और दोगुने दाम में बिक जाती है।

पिताजी मुस्कुराते हुए बोले- “ये तो बहुत ख़ुशी की और अच्छी बात है बेटा! लेकिन अभी भी इसमें बहुत सुधार की आवश्यकता है।  इसलिए तुम अपनी गलतियां  हमेशा सुधारने का प्रयास करो, खुद को और भी बेहतर बनाने के प्रयास करो।

बेटे के चेहरे पर थोड़ी उदासी-सी छा गयी यह देख पिताजी ने पूछा- क्यों क्या हुआ ?

पिताजी आप हमेशा खुद में हमेशा अच्छा बदलाव लाने और सुधार की बात ही क्यों करते हैं? अब जबकि मैं आपसे भी अच्छे चित्र बना लेता हूँ।  और मुझे आपसे भी ज्यादा पैसे मिलते हैं।

पिताजी नम्र भाव से बोले- बेटे! जीवन में कभी भी अपने अंदर अहम की भावना आने मत देना।  जब मैं तुम्हारे उम्र का था तब तुम्हारे दादाजी ने भी मुझे यह बात सिखाई थी कि हमेशा गलतियों को सुधारने का प्रयास करो और अपनी कला के साथ खुद में भी अच्छा परिवर्तन लाने  का प्रयास करो तभी तुम अपने जीवन में कुछ बड़ा कर पाओगे।  लेकिन मैंने उनकी बात को अनसुना कर दिया जिस कारण मैं आज वहीँ का वहीँ ठहर कर रह गया लेकिन मैं नहीं चाहता की जो गलती मैंने अपने जीवन में दोहराई है वो तुम अपने जीवन में कभी करो।  इसलिए यदि तुम्हें जिंदगी में कुछ बड़ा करना है आगे बढ़ते रहना है तो  अपनी कला को निखारना, उसमें लगातार अच्छे बदलाव लाना ये सभी तुम्हारी जिम्मेदारी है इसलिए यदि तुम्हें एक ही जगह ठहर कर नहीं रहना है तो आज  से ही अपनी गलतियां सुधारने का प्रयास करो।

अब बेटे को अपनी सबसे बड़ी गलती का ज्ञान हो गया था और उसने ठान लिया  की अब वह लगातार बदलाव के साथ कार्य करेगा।  उसने पिताजी को  धन्यवाद कहा और दोनों अपने घर जाने लगे…

दोस्तों स्टीव जॉब्स ने इस कहानी का सार बस एक छोटे से वाक्य में समेटकर रख दिया – उन्होंने स्टे हंगरी और स्टे फूलिश की बात सामने रखी।  और यह शत प्रतिशत सच है यदि आपको जीवन में बड़े मुकाम तक पहुंचना है तो हमेशा अपने काम में नयापन लाने की कोशिश कीजिये।  कुछ नया सिखने के लिए भूके रहिये।  कुछ नया करने के लिए अज्ञानि बनिए  क्योंकि जब तक आप दिमाग को यह सन्देश नहीं देंगे की अभी सिखने, करने और जानने के लिए बहुत कुछ बाकी है तो आपका कदम आगे कैसे बढ़ेगा ? इसलिए अच्छे बदलाव के लिए खुद को तैयार करिये, अपनी गलतियों को सुधारने का प्रयास कीजिये . याद रखिये गलतियों को सुधारने का प्रयास न करना और कुछ नया करने की कोशिश न करना ही आपकी सबसे बड़ी गलती है।

धन्यवाद !

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