SHORT AND SWEET BEST HINDI STORY Archives - HamariSafalta.com https://www.hamarisafalta.com/tag/short-and-sweet-best-hindi-story भारत की सबसे प्रेरणादायक हिंदी ब्लॉग Fri, 28 Aug 2015 04:50:00 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://www.hamarisafalta.com/wp-content/uploads/2017/08/hs.png SHORT AND SWEET BEST HINDI STORY Archives - HamariSafalta.com https://www.hamarisafalta.com/tag/short-and-sweet-best-hindi-story 32 32 121486502 सच्ची प्रार्थना Inspirational Hindi Kahani https://www.hamarisafalta.com/2015/08/true-prayer-sachhi-prarthna-hindi-kahani.html https://www.hamarisafalta.com/2015/08/true-prayer-sachhi-prarthna-hindi-kahani.html?noamp=mobile#respond Fri, 28 Aug 2015 04:50:00 +0000 http://www.hamarisafalta.org/2015/08/28/true-prayer-sachhi-prarthna-hindi-kahani/   चीन में एक बहुत ही प्रसिध्द और महान दार्शनिक हुए जिनका नाम है- कन्फ्यूशियस। कन्फ्यूशियस एक बार उनके शिष्यों के साथ सैर पर निकले, आधे रास्ते पर पहुँचते ही कुछ शिष्यों ने जिज्ञासावश पूछा- गुरुदेव! बहुत दिनों से हमारे मन में एक प्रश्न था, आज आपसे पूछना चाहते हैं! कृपया हमें यह बताएं कि किसकी प्रार्थनाएं सही मायने में सच्ची होती हैं? कन्फ्यूशियस ने तुरंत जवाब देते हुए कहा- “मेरी नजर में लिंची ही एक सच्चा साधक है जिसकी […]

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चीन में एक बहुत ही प्रसिध्द और महान दार्शनिक हुए जिनका नाम है- कन्फ्यूशियस।

कन्फ्यूशियस एक बार उनके शिष्यों के साथ सैर पर निकले, आधे रास्ते पर पहुँचते ही कुछ शिष्यों ने जिज्ञासावश पूछा- गुरुदेव! बहुत दिनों से हमारे मन में एक प्रश्न था, आज आपसे पूछना चाहते हैं! कृपया हमें यह बताएं कि किसकी प्रार्थनाएं सही मायने में सच्ची होती हैं?

कन्फ्यूशियस ने तुरंत जवाब देते हुए कहा- “मेरी नजर में लिंची ही एक सच्चा साधक है जिसकी प्रार्थनाएं भगवान रोज सुनते हैं। ”

सभी शिष्यों के मन में लिंची का नाम सुनते ही उनसे मिलने की इच्छा और उत्सुकता हुई . अगले ही सुबह कुछ शिष्य लिंची से मिलने उसके गांव  के लिए निकल पड़े। जब उन्होंने देखा कि लिंची एक साधारण-सा किसान है तो शिष्यों के मन में थोड़ी आशंका हुई लेकिन कन्फ्यूशियस के शिष्यों को तो प्रार्थना के मंत्र ही चाहिए थे। इसी उद्देश्य से सभी शिष्य लिंची के पास बैठे रहे और उस घडी का इंतजार करते रहे कि कब वो प्रार्थना करेंगे तो उसे हम लिख लेंगे और उसका आगे अभ्यास करेंगे।  सुबह होते ही लिंची अपने खेत पर पहुंचा और ऊपर आसमान की तरफ मुंह करके बोला – “हे भगवान! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने मुझे इतना अच्छा जीवन दिया है।  इस सृष्टि में सब कुछ कितना अच्छा है . आपने मुझे इंसान के रूप में जन्म देकर मेरे ऊपर बहुत बड़ा उपकार किया है, प्रभु मैं हमेशा आपका ऋणी रहूँगा।”

और इतना कहते हुए लिंची अपने खेत में काम करने लगा .

जब उसने दिन भर कोई प्रार्थना नहीं की तो   शिष्य निराश होकर अपने गुरु कन्फूशियस के पास लौट गए और सभी ने बोला- “गुरुजी! आपने हमें किस इंसान के पास भेज दिया था, लिंची ने तो बस एक ही वाक्य प्रार्थना के लिए इस्तेमाल किया और न तो उसने पूजा-अर्चना की और न ही किसी प्रकार का बड़ा पाठ किया।”

कन्फ्यूशियस मुस्कुराते हुए बोले- “बच्चों! जब किसी व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रार्थना बन जाता है तो उसे किसी प्रकार का बाहरी दिखावा करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती।  सच्ची प्रार्थना तो मनुष्य के अंदर जन्म लेती है और वह मनुष्य के विवेक पर प्रकाश डालती है और आगे वही ऊपर वाले भगवान, ईश्वर या कहें परमात्मा तक पहुँचती है।

मित्रों, हमारे  ईश्वर, प्रार्थना के  नहीं बल्कि प्रेम के भूखे हैं . उनके लिए हमारे मुंह से निकले प्रेम के दो शब्द भी उन्हें प्रिय हैं. किसी प्रकार का ढोंग जब हमारे अंतर्मन को बहुत ख़राब लगता है तो वह उस ईश्वर को कितना ख़राब लगता होगा जिसने हमें बनाया है।  उसे बड़े-बड़े मन्त्रों, पूजा पाठ, उपवास व्रत की आवश्यकता नहीं। उन्हें तो बस प्रेम चाहिए क्योंकि यह उनकी सच्ची भक्ति और सच्चे प्रार्थना का प्रमाण है। इसलिए दिन में बस एक बार उस ऊपरवाले को अपने अनमोल जीवन के लिए धन्यवाद जरूर कहिये और बस अपना कर्म करते जाइये क्योंकि अंतर्मन से निकला एक छोटा-सा शब्द भी सच्ची प्रार्थना है।

धन्यवाद !

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सबसे बड़ी गलती Motivational Story in Hindi https://www.hamarisafalta.com/2015/08/hindi-story-on-self-improvemen.html https://www.hamarisafalta.com/2015/08/hindi-story-on-self-improvemen.html?noamp=mobile#respond Tue, 18 Aug 2015 11:01:00 +0000 http://www.hamarisafalta.org/2015/08/18/hindi-story-on-self-improvemen/   सुधार जारी है ! पिताजी एक अच्छे चित्रकार थे, वे प्रतिदिन अच्छे-अच्छे चित्र बनाकर बाजार में बेचने जाया करते थे… उन्होंने अपने बेटे को भी यह कला सिखाई थी. दोनों ही मिलकर चित्र बनाते और उसे बाजार में शाम को बेचने के लिए ले जाते. पिता की मूर्तियां तो हर दिन बेटे से जल्दी और अच्छे दाम में बिक जाती थीं पर बेटे की मेहनत कुछ खास रंग नहीं ला पा रही थी.. जब दोनों बाजार से लौट रहे […]

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सुधार जारी है !

पिताजी एक अच्छे चित्रकार थे, वे प्रतिदिन अच्छे-अच्छे चित्र बनाकर बाजार में बेचने जाया करते थे… उन्होंने अपने बेटे को भी यह कला सिखाई थी. दोनों ही मिलकर चित्र बनाते और उसे बाजार में शाम को बेचने के लिए ले जाते. पिता की मूर्तियां तो हर दिन बेटे से जल्दी और अच्छे दाम में बिक जाती थीं पर बेटे की मेहनत कुछ खास रंग नहीं ला पा रही थी.. जब दोनों बाजार से लौट रहे थे, तो बेटे ने पिता से पूछा- “पिताजी हम दोनों ही चित्र बनाने में बराबर मेहनत करते हैं लेकिन आपकी चित्रकारी बहुत जल्दी और दस रूपये की दर से बिकतीं हैं लेकिन मेरी मूर्तियां बहुत कम बिकतीं हैं और जो उन्हें खरीदता है वो मेरी चित्रकारी के सिर्फ 1-2 रूपये ही देते हैं, ऐसा हमेशा मेरे साथ ही क्यों होता है?”

पिता ने बेटे की बात को गंभीरता से लेते हुए कहा- “बेटे! मुझे पता है कि तुम चित्रकारी के लिए बहुत मेहनत करते हो लेकिन तुम्हारी कला में अभी भी बहुत सारी गलतियाँ हैं और तुम उसे हमेशा सुधारने का प्रयास करो. जब तक तुम अपनी गलतियाँ सुधार नहीं लेते तब तक चित्र बिकने की उम्मीद करना भी बेकार है.”

लड़का बहुत समझदार था उसने तुरंत ही पिता की बातें गाँठ बाँध लीं और गलतियाँ सुधारने में लग गया.

वक्त बीतते गये और अब उसकी मेहनत रंग लाने लगी.., बेटे की चित्रकारियां जल्दी से और 5 रूपये की दर से बिकने लगी. अब वह पहले से खुश था. उसने यह खुशी अपने पिताजी के साथ साझा की. पिताजी ने बेटे को खुश देखते हुए कहा- “बेटा! तुम मेहनती हो लेकिन अभी भी कुछ गलतियाँ रह गई हैं इसलिए पुनः उन्हें सुधारने का प्रयत्न करो.”

और सुधारने की प्रक्रिया उसने जारी रखी, और धीरे से उसकी चित्रकारियां भी अब 10 रूपये की दर से बिकने लगी, और इसी गति से अब वह कार्य करने लगा. जिसकी बदौलत अब वह पिता से भी आगे जा निकला, उसकी चित्रकारी अब बाजार में 20 रूपये की दर से बहुत जल्दी बिक जाती थी.

एक रोज जब वे दोनों बाजार से लौट रहे थे तो बेटे ने पिता से कहा- “पिताजी अब तो मेरी चित्रकारी आपसे भी जल्दी और दोगुने दाम में बिक जाती है।

पिताजी मुस्कुराते हुए बोले- “ये तो बहुत ख़ुशी की और अच्छी बात है बेटा! लेकिन अभी भी इसमें बहुत सुधार की आवश्यकता है।  इसलिए तुम अपनी गलतियां  हमेशा सुधारने का प्रयास करो, खुद को और भी बेहतर बनाने के प्रयास करो।

बेटे के चेहरे पर थोड़ी उदासी-सी छा गयी यह देख पिताजी ने पूछा- क्यों क्या हुआ ?

पिताजी आप हमेशा खुद में हमेशा अच्छा बदलाव लाने और सुधार की बात ही क्यों करते हैं? अब जबकि मैं आपसे भी अच्छे चित्र बना लेता हूँ।  और मुझे आपसे भी ज्यादा पैसे मिलते हैं।

पिताजी नम्र भाव से बोले- बेटे! जीवन में कभी भी अपने अंदर अहम की भावना आने मत देना।  जब मैं तुम्हारे उम्र का था तब तुम्हारे दादाजी ने भी मुझे यह बात सिखाई थी कि हमेशा गलतियों को सुधारने का प्रयास करो और अपनी कला के साथ खुद में भी अच्छा परिवर्तन लाने  का प्रयास करो तभी तुम अपने जीवन में कुछ बड़ा कर पाओगे।  लेकिन मैंने उनकी बात को अनसुना कर दिया जिस कारण मैं आज वहीँ का वहीँ ठहर कर रह गया लेकिन मैं नहीं चाहता की जो गलती मैंने अपने जीवन में दोहराई है वो तुम अपने जीवन में कभी करो।  इसलिए यदि तुम्हें जिंदगी में कुछ बड़ा करना है आगे बढ़ते रहना है तो  अपनी कला को निखारना, उसमें लगातार अच्छे बदलाव लाना ये सभी तुम्हारी जिम्मेदारी है इसलिए यदि तुम्हें एक ही जगह ठहर कर नहीं रहना है तो आज  से ही अपनी गलतियां सुधारने का प्रयास करो।

अब बेटे को अपनी सबसे बड़ी गलती का ज्ञान हो गया था और उसने ठान लिया  की अब वह लगातार बदलाव के साथ कार्य करेगा।  उसने पिताजी को  धन्यवाद कहा और दोनों अपने घर जाने लगे…

दोस्तों स्टीव जॉब्स ने इस कहानी का सार बस एक छोटे से वाक्य में समेटकर रख दिया – उन्होंने स्टे हंगरी और स्टे फूलिश की बात सामने रखी।  और यह शत प्रतिशत सच है यदि आपको जीवन में बड़े मुकाम तक पहुंचना है तो हमेशा अपने काम में नयापन लाने की कोशिश कीजिये।  कुछ नया सिखने के लिए भूके रहिये।  कुछ नया करने के लिए अज्ञानि बनिए  क्योंकि जब तक आप दिमाग को यह सन्देश नहीं देंगे की अभी सिखने, करने और जानने के लिए बहुत कुछ बाकी है तो आपका कदम आगे कैसे बढ़ेगा ? इसलिए अच्छे बदलाव के लिए खुद को तैयार करिये, अपनी गलतियों को सुधारने का प्रयास कीजिये . याद रखिये गलतियों को सुधारने का प्रयास न करना और कुछ नया करने की कोशिश न करना ही आपकी सबसे बड़ी गलती है।

धन्यवाद !

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औरों की परवाह… https://www.hamarisafalta.com/2014/09/auron-kii-parwah-short-story-in-hindi.html https://www.hamarisafalta.com/2014/09/auron-kii-parwah-short-story-in-hindi.html?noamp=mobile#respond Wed, 03 Sep 2014 11:48:00 +0000 http://www.hamarisafalta.org/2014/09/03/auron-kii-parwah-short-story-in-hindi/ एक दिन एक दस साल का बच्चा एक आइसक्रीम की दुकान पर गया और टेबल पर बैठ कर एक महिला वेटर से पूछा , ” एक कोन आइसक्रीम कितने की है ?” उसने कहा , ” पचहत्तर सेंट की। ” बच्चा हाथ में पकड़े सिक्कों को गिनने लगा , फिर उसने पूछा कि छोटी कप वाली आइसक्रीम कितने की है ? वेटर ने बेसब्री से कहा, ” पैंसठ सेंट की। ” लड़का बोला, ” मुझे छोटा कप ही दे दो। ” […]

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एक दिन एक दस साल का बच्चा एक आइसक्रीम की दुकान पर गया और टेबल पर बैठ कर एक महिला वेटर से पूछा , ” एक कोन आइसक्रीम कितने की है ?” उसने कहा , ” पचहत्तर सेंट की। ” बच्चा हाथ में पकड़े सिक्कों को गिनने लगा , फिर उसने पूछा कि छोटी कप वाली आइसक्रीम कितने की है ? वेटर ने बेसब्री से कहा, ” पैंसठ
सेंट की। ” लड़का बोला, ” मुझे छोटा कप ही दे दो। ”
लड़का अपना आइसक्रीम खाया, उसने पैसे दिए और चला गया।  जब वेटर खली प्लेट उठाने के लिए आई तो उसने जो देखा, वह बात उसके मन को छू गयी।  वहां दस सेंट्स ‘टिप’ के रखे हुए थे।  उस छोटे बच्चे ने उस वेटर  का ख्याल किया।  उसने संवेदनशीलता दिखाई थी। उसने खुद से पहले दूसरे के बारे में सोचा।

दोस्तों यह भले ही एक छोटी सी कहानी है पर इस कहानी में एक बेहतरीन बात छिपी है।  अगर हम सब एक दूसरे के लिए उस छोटे से बच्चे की तरह सोचें तो इस दुनिया में एक बहुत सकारात्मक परिवर्तन आएगा ये दुनिया और भी हसींन लगने लगेगी।  दूसरों की  ख़ुशी की बारे में सोचना एक अच्छा एहसास है। दूसरों का ख्याल रखना सचमुच यह दिखाता है कि हम उनकी कितनी परवाह करते हैं।  इसलिए दोस्तों अपनी ख़ुशी के साथ- साथ दूसरों की खुशियों के बारे में भी सोचिये साथ ही दूसरों का ख़याल कीजिये।  क्योँकि एक महान आदमी की सोच कहती है “अपने लिए ही जीये तो क्या जीये ।”

 

 

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