दो राजा थे लेकिन दोनोँ अलग अलग राज्य मेँ अपना शासन संभालते थे। और
दोनोँ राजा भाई थे।
बड़े राजा के राज्य मेँ प्रजा बहूत ही खुशहाल और संतुष्ट थी। उस राज्य मेँ सभी ओर शांति थी, तनाव का नामोनिशान नहीँ था। प्रजा, राजा के गुण गाती
थी। लेकिन छोटे भाई अर्थात् छोटे राजा के राज्य मेँ आए दिन झगड़े होते थे
और वहाँ प्रजा बहूत ही ज्यादा दुखी थी। जब छोटे राजा को पता चला कि उसके
बड़े भैया के राज्य मेँ ऐसी कोई भी परेशानी नहीँ है तब वह अपनेँ बड़े भाई
के पास गया और उनके राज्य की खुशहाली का रहस्य उनसे पुछा। तब बड़े भैया
नेँ उसे अपनेँ राज्य की खुशहाली का रहस्य बताते हुये कहा कि ‘भाई मेरे
राज्य मेँ शांति मेरे चार बेहतरीन दोस्तोँ के कारण है।’
इस बात को सुनते ही छोटे राजा की उत्सुकता और भी बढ़ गई। उसनेँ कहा- कौन
हैँ आपके वे मित्र?
क्या वे मेरी मदद करेँगे।
बड़े राजा नेँ कहा- जरूर कर सकते हैँ।
तो मैँ आपको मेरे पहले मित्र के बारे मेँ बता दुँ, मेरा पहला मित्र है-
‘सत्य।’ वह मुझे कभी असत्य बोलनेँ नहीँ देता है।
दुसरा मित्र है- ‘प्रेम।’ ये मुझे कभी घ्रिणा करनेँ का मौका ही नहीँ देता।
तीसरा मित्र है ‘ईमानदारी’ जो मुझे हमेशा लोभ और लालच से बचाता है और
बेईमानी को मुझ तक आनेँ नहीँ देता।
और मेरा चौथा मित्र है-‘ त्याग। त्याग की भावना मेरे अंदर कभी ईर्ष्या
पैदा होनेँ नहीँ देती और हमेशा मुझे ईर्ष्या से बचाती है।
ये चारोँ मित्र हमेशा मेरा साथ देते हैँ और हमारे राज्य की रक्षा भी करते हैँ।
छोटे राजा को सफलता का रहस्य समझ मेँ आ गया।
Friends इंसान को अपनेँ अंदर सदाचार की बातोँ को सुनकर जीवन मेँ उतारना
चाहिये और सद्गुणोँ को जीवन मेँ उतारते ही आदमी समझ जायेगा कि यही सच्ची
सफलता है।