दोस्तों लाइफ में हमें कई बार हार का सामना करना पड़ता है, और यह जरूरी भी नहीं कि हम हर बार जीतें। लेकिंन हर बार जीतने के लिए हम आखिर दम तक कोशिश जरूर कर सकते हैं।
सफलता और असफलता में फर्क इस बात का होता है कि असफलता, बाधा, निराशाजनक स्थितियों और हतोत्साहित करने वाली बातों के प्रति आपका रवैया क्या है।
ऊपर लिखे वाक्य का साधारण अर्थ यह है कि आप हारने के बाद क्या उठ खड़े होते हैं, या बस हारने की तैयारी ही करते हैं, मतलब जब आप असफल होते हैं तो आप अपनी उस बुरी परिस्थिति में खुद की सफलता के लिए कोई ठोस कदम लेते हैं कि नहीं….
आइये इस पोस्ट में हम एकदम शोर्ट में हार को जीत में बदलने वाली इन पांच सिद्धांतों के बारे में बात करेंगे जो आपके जीतने के लेवल को बढ़ाएगी।।।
१. अपनी असफलता का पूरी गहनता के साथ अध्ययन करें, ताकि आप सफलता की राह पर बढ़ सकें। जब आप हारें, तो उस हार से सबक सीखें और फिर अगली बार जीतने की तैयारी करें।
ये इतना आसान नहीं होगा, क्योंकि आपको आईने के सामने खुद से बात करने का साहस करना होगा, आपको हीरो बनना होगा… अपनी हार की जिम्मेदारी खुद पर लेनी होगी, यदि आप इसके लिए दूसरों को ब्लेम करेंगे तो सफलता के रास्ते पर चढ़ना मुश्किल हो जाएगा…. इसलिए पीठ दिखाने की बजाये पूरे साहस के साथ अपनी जीत के लिए तैयारी कीजिये।
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२. अपने खुद के रचनात्मक आलोचक बनने का साहस रखें। अपनी गलतियाँ और कमजोरियां खोजें और फिर उन्हें सुधारें। इससे आप प्रोफेशनल बन जाएँगे।
ऊपर लिखे शब्दों का साधारण अर्थ यदि समझें तो इसका मतलब है, खुद की कमजोरियों को हमेशा खोजते रहें, उन्हें सुधारने के लिए हमेशा अपना वक्त निकालें और खुद पर हँसने का साहस रखें। जब आप खुद के सामने खुद की कमजोरियों पर हँसते हैं, तब आप उसे सुधारने के लिए भी तैयार रहते हैं तब आपको वाकई लगता है कि आप “कर सकते हैं ” इसलिए खुद के वक्त निकालिए, आपको अपने अंदर सिर्फ अच्छाईयां नजर आती हैं, लेकिन जो बुराइयां आपके अंदर हैं, जो आपको कमजोर बनाती हैं उन्हें खोजना और जड़ से उखाडना भी आपको ही है…..
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३. किश्मत को दोष देना बंद कर दें। अपनी हर असफलता का विश्लेषण करें। यह पता लगाएं कि आखिर गलती कहाँ हुई थी। याद रखिये तक़दीर को दोष देने से कोई व्यक्ति वहाँ नहीं पहुंचा, जहाँ वह पहुंचना चाहता था।
इस दुनिया में किश्मत है भी या नहीं इस बड़े से विवाद में पड़ना मेरे लिए सबसे बड़ी मूर्खता होगी, लेकिन हाँ मैं इतने यकीन से कह सकता हूँ कि आपके द्वारा दिल से किया गया एक प्रयास आपकी असफलता को कहीं पीछे छोड़ सकता है, यदि आप पूरे धैर्य के साथ सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
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४. लगनशीलता के साथ प्रयोगशीलता का समन्वय कर लें। अपने लक्ष्य से भटकें नहीं, बल्कि अपने लक्ष्य को बनाये रखें। लेकिन इसका मतलब यह हरगिज नहीं है कि आप पत्थर की दीवार से अपना सिर टकराते रहें। नई शैलियों का प्रयोग करें। प्रयोगशील बनें।
यदि आप अपने क्षेत्र में बार-बार असफल हो रहे हों, और आप अपने काम करने के तरीके को ही नहीं बदलना चाहते हों तो आप सफलता के लिए कितनी दूरी तक जा सकता हैं…. यकीनन हर कोई आपको हमेशा की तरह फ़ैल होते हुए ही देखेगा, इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि आप उस काम को ही छोड़ दें।
साधारण शब्दों में आपको बस इतना देखना है कि फ़ैल होने के पीछे कौन सी गडबडियां हैं। आपको बस उन गडबडियों को सुधारना है, आपको काम करने के तरीके में बस बदलाव लाना है। हमेशा बदलाव के लिए तैयार रहना है। जब आप बदलाव के लिए तैयार रहते हैं तो आप कुछ बड़ा करने के लिए तैयार रहते हैं। इसलिए हमेशा अपने लक्ष्य के लिए नए रास्ते खोजिये, क्योंकि भेड़ चाल सबको चलनी आती है।
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५. याद रखें, हर स्थिति का एक अच्छा पहलु होता है। इसे खोजें, अच्छे पहलु को देखें और आप एक बार फिर उत्साह से भर जायेंगे।
जब आप किसी के अंदर पोजिटिव चीजों को देखते हैं या कहीं भी पोजिटिव खबर सुनते हैं तो आपके आँखों में एक अलग सी चमक ही होती है, तो आप खुद के लिए इतना नकारात्मक क्यों हो जाते हैं। मैं मानता हूँ कि आप सैकड़ों, हजारों बार फ़ैल हुए होंगे या हारे होंगे लेकिन हारने की एक वजह से आप जीतने के दस तरीके निकाल सकते हैं। वाकई ये इतना मुश्किल भी नहीं है। आप बस अपने अंदर के उजले पहलुओं को देखिये, जीत के लिए तैयारी शुरू कर दीजिए, सामने कितना भी बड़ा प्रतियोगी होगा आप उसे हरा देंगे।
बस खेल में उतरिये, जीतने के लिए तैयार रहिये और जीत जाइए…
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नोट:- यह आर्टिकल The Magic of Thinking Big किताब से प्रेरित है, जिसके लेखक डेविड जे. श्वार्ट्ज हैं .
धन्यवाद !