कविता Archives - HamariSafalta.com https://www.hamarisafalta.com/tag/कविता भारत की सबसे प्रेरणादायक हिंदी ब्लॉग Sat, 29 May 2021 02:53:04 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://www.hamarisafalta.com/wp-content/uploads/2017/08/hs.png कविता Archives - HamariSafalta.com https://www.hamarisafalta.com/tag/कविता 32 32 121486502 गाँव चला कोई – Heart Touching Poem on Lockdown https://www.hamarisafalta.com/2020/05/heart-touching-poem-on-lock-down-in-hindi.html https://www.hamarisafalta.com/2020/05/heart-touching-poem-on-lock-down-in-hindi.html?noamp=mobile#respond Fri, 29 May 2020 01:52:31 +0000 https://hamarisafalta.com/?p=2549 Heart Touching Poem on Lockdown in Hindi देख अपने लाल की हालत, भारत माँ भी रोई । भूखा पेट,पाँव में छाले, लिए गाँव चला कोई ।। कांधे में बच्चे उठाये, तपे धूप में चलते जाए । गरम सड़क में छाले जलते, नीर नयन से बहते जाए ।। हे!दाता इतना बता, ये त्रास खतम कब होई । भूखा पेट, पाँव में छाले, लिए गाँव चला कोई ।। हे!पद के सत्ताधारी,तुम्हें पीड़ा की नहीं जानकारी। अहसास करो तुम पीड़ा को, तपन जलन […]

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Heart Touching Poem on Lockdown in Hindi

heart touching poem on lockdown

देख अपने लाल की हालत, भारत माँ भी रोई ।
भूखा पेट,पाँव में छाले, लिए गाँव चला कोई ।।
कांधे में बच्चे उठाये, तपे धूप में चलते जाए ।
गरम सड़क में छाले जलते, नीर नयन से बहते जाए ।।
हे!दाता इतना बता, ये त्रास खतम कब होई ।
भूखा पेट, पाँव में छाले, लिए गाँव चला कोई ।।
हे!पद के सत्ताधारी,तुम्हें पीड़ा की नहीं जानकारी।
अहसास करो तुम पीड़ा को, तपन जलन और भूखमारी ।।
भारत देश की राजनीति, क्यों कुम्भकर्ण सी सोई ।
भूखा पेट, पाँव में छाले, लिए गाँव चला कोई ।।
हे!सरकार सहारा दो, तिनके को किनारा दो ।
अपने कंधे शीश झुकाकर, आँसू पोंछ सहारा दो ।।
महाभारत के इस रण में, किशन बनो रे कोई ।
भूखा पेट, पाँव में छाले, लिए गाँव चला कोई ।।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Anup Naik

Raigarh Chhattisgarh

Mob. : +91-98930 24995

मेरा नाम अनुप नायक है । मैं जलगढ़ (सरिया) गाँव रायगढ़ जिले का रहने वाला हूँ ।
मेरा मानना है कि शब्दों को तुकबंदियों में जमाना और एक सार्थक लय देने की कला सब में होती है, बस प्रयास की जरूरत है । इसी कड़ी में मेरा कविता लिखने का एक प्रयास आपके सामने है । पढ़िए और जरूर बताइये की यह प्रयास सफलता प्राप्त करेगी या नहीं ।

 

We are grateful to Mr. Anup Naik Ji for sharing this heart touching poem on lockdown in hindi. Thanks Anup.

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धन्यवाद 🙂

इन कविताओं को भी जरूर पढ़ें : 

  1. तुम मुझको कब तक रोकोगे 
  2. संघर्ष की मिसाल
  3. हारने वाला जीतेगा, यह सूत्र आम है
  4. मंज़िल की ओर
  5. वो मैं हूँ

Heart Touching Poem on Lockdown गाँव चला कोई By Anup Naik.

Image courtesy : Khabar NDTV.

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हरिवंश राय बच्चन की 2 प्रेरणादायक कविताएँ https://www.hamarisafalta.com/2018/10/%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%82%e0%a4%b6-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%af-%e0%a4%ac%e0%a4%9a%e0%a5%8d%e0%a4%9a%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a4%be%e0%a4%8f%e0%a4%81.html https://www.hamarisafalta.com/2018/10/%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%82%e0%a4%b6-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%af-%e0%a4%ac%e0%a4%9a%e0%a5%8d%e0%a4%9a%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a4%be%e0%a4%8f%e0%a4%81.html?noamp=mobile#respond Tue, 09 Oct 2018 07:28:35 +0000 https://hamarisafalta.com/?p=1877 अग्निपथ – हरीवंशराय बच्चन वृक्ष हों भले खड़े, हों घने हों बड़े, एक पत्र छाँह भी, माँग मत, माँग मत, माँग मत, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ। तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ। यह महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है, अश्रु स्वेद रक्त से, लथपथ लथपथ लथपथ, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ। —————————- बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर – हरिवंशराय बच्चन बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर । […]

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अग्निपथ – हरीवंशराय बच्चन

वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु स्वेद रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

—————————-

बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर – हरिवंशराय बच्चन

बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर ।
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है ।।
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा।
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना ।।
ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है।
पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है।।
जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्योंकि!
एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले ।।

एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली।
वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे ।।
सोचा था घर बना कर बैठूँगा सुकून से,
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला ।।
सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब।
बचपन वाला ‘इतवार’ अब नहीं आता ।।
शौक तो माँ-बाप के पैसों से पूरे होते हैं।
अपने पैसों से तो बस ज़रूरतें ही पूरी हो पाती हैं ।।
जीवन की भाग-दौड़ में।
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है ।।
एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम,
और;
आज कई बार बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है ।
कितने दूर निकल गए,
रिश्तों को निभाते निभाते,
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते ।।

लोग कहते है हम मुस्कुराते बहुत हैं।
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते ।।
खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ।
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह करता हूँ ।
मालूम है कोई मोल नहीं मेरा,
फिर भी,
कुछ अनमोल लोगों से
रिश्ता रखता हूँ ।

—————————-

रुके न तू, थके न तू – कवि प्रसून जोशी

धरा हिला गगन गुंजा

नदी बहा पवन चला

विजय तेरी हो जय तेरी

ज्योति सी जला जला

भुजा भुजा फड़क फड़क

रक्त में धड़क धड़क

धनुष उठा प्रहार कर

तू सबसे पहले वार कर

अग्नि सा धधक धधक

हिरण सा सजग सजग

सिंह सी दहाड़ कर

शंख सी पुकार कर

रुके न तू थके न तू

झुके न तू थमे न तू

सदा चले रुके न तू

रुके न तू झुके न तू

रचयिता: कवि प्रसून जोशी


 

रुके ने तू झुके न तू के रचयिता कवि प्रसून जोशी जी हैं. Prasoon Joshi, a writer poet and Padamshri awardee is the original creator of this poem which he has written many years ago.

हमारे द्वारा इस पोस्ट को 29 May 2021 को अपडेट किया जा रहा है. रुके न तू झुके ने तू के रचयिता हरिवंश राय बच्चन जी नहीं हैं, इसको प्रकाशित करने में हमसे त्रुटि हुई थी इसके लिए हम इनके रचयिता प्रसून जोशी जी से क्षमा चाहते हैं.

Amitabh Bachchan Ji tweeted Ruke Na Tu, dated  5th August 2020 at 10:45 PM, crediting the poem to his Late father, Harivansh Rai Bachchan Ji.

However, he later clarified with his following tweet, 6th August 2020 at 10:35 AM, that this was a mistake and further gave the correct credit to  the poet Prasoon Joshi.

 

हरिवंश राय बच्चन जी और प्रसून जोशी जी की ये कविताएँ जिंदगी बदलने वाली हैं । आइये उनकी इन कविताओं से हम सब भी प्रेरणा लें और जीवन में आगे बढ़ें ।

धन्यवाद 🙂

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https://www.hamarisafalta.com/2018/10/%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%82%e0%a4%b6-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%af-%e0%a4%ac%e0%a4%9a%e0%a5%8d%e0%a4%9a%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a4%be%e0%a4%8f%e0%a4%81.html/feed 0 1877
मंज़िल की ओर – Motivational Poem in Hindi https://www.hamarisafalta.com/2018/10/%e0%a4%ae%e0%a4%82%e0%a4%9c%e0%a4%bc%e0%a4%bf%e0%a4%b2-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%93%e0%a4%b0.html https://www.hamarisafalta.com/2018/10/%e0%a4%ae%e0%a4%82%e0%a4%9c%e0%a4%bc%e0%a4%bf%e0%a4%b2-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%93%e0%a4%b0.html?noamp=mobile#respond Fri, 05 Oct 2018 05:43:33 +0000 https://hamarisafalta.com/?p=1866 मंज़िल की ओर… सफर   जारी   है   मंज़िल   को   पाने   की। जंग   से   लड़ना   ही   रीत   है   जहां   की।। बैठे   रहने   से   कुछ   भी   नसीब   नहीं । नसीब    के  भरोसे   अकर्मण्यों    ने   ज़िन्दगी   जियी।। कर    पूजन   कर्म   का   तू। मन   में   रख   कर   हौंसला । । हौंसला   यदि   हो   […]

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मंज़िल की ओर…
सफर   जारी   है   मंज़िल   को   पाने   की।
जंग   से   लड़ना   ही   रीत   है   जहां   की।।
बैठे   रहने   से   कुछ   भी   नसीब   नहीं ।
नसीब    के  भरोसे   अकर्मण्यों    ने   ज़िन्दगी   जियी।।
कर    पूजन   कर्म   का   तू।
मन   में   रख   कर   हौंसला । ।
हौंसला   यदि   हो   बुलन्द।
तय   होगा   हर   फासला।।
ज़िन्दगी   समय   से   है , समय   ही   ज़िन्दगी ।
यूं   न   जाने   दो   समय   को  ,  नहीं   मिलेगी   कोई   ख़ुशी।।
कर   हर   काम   समय   पर   ,  ज़िन्दगी   तुम्हे   आसमान   पर   ला   देगी ।
सफलता   की   सीढिया   कदमों   पर   झुका   देगी।।
लड़ो   ज़िन्दगी   की   हर   एक   जंग   से ।
न   हारो   वक़्त   रूपी   तुरंग   से।।
पल   पल   अनमोल   है   ज़िन्दगी   की ।
केवल   परिश्रम  हो   तो   मिलेगी   हर   ख़ुशी।।
मंज़िल   को   पाना   आसान   नहीं ।
पर   मंज़िल   को   ही   छोड़   देना   हल   नहीं । ।
पार   कर   राहों   के   कांटो   को ।
बढ़ते   रहो   मंज़िल   की   ओर।।

धन्यवाद!

Priya Paul.

Class – 11th.

Ghatsila, Jharkhand.

 

We are grateful to Priya Paul for sharing very inspiring poem Manzil Ki Oar.  Thanks Priya 🙂

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वो मैं हूँ… Inspirational Poem in Hindi https://www.hamarisafalta.com/2018/09/inspirational-poem-in-hindi.html https://www.hamarisafalta.com/2018/09/inspirational-poem-in-hindi.html?noamp=mobile#respond Tue, 25 Sep 2018 05:36:14 +0000 https://hamarisafalta.com/?p=1836 वो कौन है,जो मेरा हाथ थामेगा ! वो कौन है,जो हौसला बढ़ाएगा कौन है,जो मैं गिर जाऊँ तो फिर मुझको उठाएगा ? वो मैं हूँ… मैं खुद का हाथ थामूंगा मैं  खुद का हौसला बढ़ाऊँगा. मैं गिर भी जाऊँगा तो खुद ही संभल, उठ, खड़ा हो जाऊँगा। वो मैं हूं… जो आसमान को चीर दिखाऊँगा अपने सारे अरमानों को हकीकत बनाऊँगा मुझको जीवन मिला है, तो इस जीवन में ही कुछ कर जाऊँगा,मैं कुछ कर जाऊँगा । वो मैं हूं… जिसको […]

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वो कौन है,जो मेरा हाथ थामेगा !

वो कौन है,जो हौसला बढ़ाएगा
कौन है,जो मैं गिर जाऊँ
तो फिर मुझको उठाएगा ?
वो मैं हूँ…
मैं खुद का हाथ थामूंगा
मैं  खुद का हौसला बढ़ाऊँगा.
मैं गिर भी जाऊँगा
तो खुद ही संभल, उठ, खड़ा हो जाऊँगा।
वो मैं हूं…
जो आसमान को चीर दिखाऊँगा
अपने सारे अरमानों को हकीकत बनाऊँगा
मुझको जीवन मिला है,
तो इस जीवन में ही कुछ कर जाऊँगा,मैं कुछ कर जाऊँगा ।
वो मैं हूं…
जिसको अपनी मंजिल के लिए किसी का आसरा नहीं,
मेरे अंदर अनंत ऊर्जा है,जिसमें किसी का बाखरा नहीं,
पहचानूंगा मैं अपनी शक्ति,
अपनी  शक्ति के बदौलत मैं वीर बनूंगा,
वो कौन है,जो मेरे दुख बांटेगा,
वो कौन है,जो मेरी गलतियों पे मुझे डांटेगा.
वो कौन है,जो मुझे जीतने की उम्मीद देगा,
वो कौन है,जो मेरे अंदर की आवाज सुनेगा.
वो मैं हूं…
मैं खुद से खुद का दुख बांटूगा
अपनी गलतियों से खुद सीखूंगा.
मैं अपनी जीत की उम्मीद खुद लाऊँगा,
कोई सुने न सुने ,मैं अपने दिल की आवाज सुनूंगा.
वो मैं हूँ…
जिसमें बंजर भूमि को ऊपजाऊ बनाने की शक्ति है,
जो नदियां मोड़ सकता है,जिसमें पर्वत हिलाने की शक्ति है,
जिसके कद के आगे आकाश बौना है,
जिसमें खास बात है, कुछ कर दिखाने की शक्ति है.
वो मैं हूं…
जो जीवन के क्रिकेट का तेंदुलकर बन दिखाऊँगा,
अपनी सफलता का हेलिकाॅप्टर गगन में उड़ाऊंगा,
कहने वाले कुछ भी कहते रहे,
सारी दुनिया को मैं अपने सपनों का दूरदर्शन दिखाऊँगा….
                                                                                              

Raj Kumar Yadav

Email : rajkumaryadav.rky123@gmail.com

Gopalganj Bihar.

राज कुमार यादव जी गोपाल गंज बिहार के रहने वाले हैं । बहुत कम उम्र में ही इन्होंने कविताएं लिखना शुरू कर दिया था। इनका सपना है कि ये भविष्य में बॉलीवुड के लिए लिरिक्स लिखें और अपनी एक नई पहचान कायम करें। 18 वर्ष के इस छोटी-सी उम्र में एक बड़ा सपना लिए ये आगे बढ़ रहे हैं और एक से बढ़कर एक नई कविताएँ लिखते जा रहे हैं। हमारी सफलता की पूरी टीम उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं। राज जी आप ऐसे ही कविताएँ लिखें और एक दिन इतिहास रचें 🙂

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने HamariSafalta.com पर अपनी Motivational Poem साझा की.

यदि आपको राज कुमार यादव जी की ये Poem अच्छी लगी तो कृपया कमेन्ट करके हमें जरूर बताएं । यदि आप इनके द्वारा लिखी कविताएँ इस साईट पर पढ़ना चाहते हैं तो हमें कमेन्ट करके अथवा hamarisafalta@gmail.com पर लिखें । हम इनकी ज्यादा से ज्यादा कविताएँ इस साईट पर प्रकाशित करेंगे ।

Thanks 🙂

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तुम मुझको कब तक रोकोगे… https://www.hamarisafalta.com/2018/09/%e0%a4%a4%e0%a5%81%e0%a4%ae-%e0%a4%ae%e0%a5%81%e0%a4%9d%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%95%e0%a4%ac-%e0%a4%a4%e0%a4%95-%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%87.html https://www.hamarisafalta.com/2018/09/%e0%a4%a4%e0%a5%81%e0%a4%ae-%e0%a4%ae%e0%a5%81%e0%a4%9d%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%95%e0%a4%ac-%e0%a4%a4%e0%a4%95-%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%87.html?noamp=mobile#respond Mon, 03 Sep 2018 05:08:35 +0000 https://hamarisafalta.com/?p=1819 तुम मुझको कब तक रोकोगे  मुठ्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं । दिल में है अरमान यही, कुछ कर जाएं… कुछ कर जाएं… । । सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे । सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे… अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे…तुम मुझको कब तक रोकोगे… । ।   मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है… मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने […]

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तुम मुझको कब तक रोकोगे 

मुठ्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं ।

दिल में है अरमान यही, कुछ कर जाएं… कुछ कर जाएं… । ।

सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे ।

सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे…

अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे…तुम मुझको कब तक रोकोगे… । ।

 

मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है…

मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है …

बंजर माटी में पलकर मैंने…मृत्यु से जीवन खींचा है… ।

मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ… मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ ..

शीशे से कब तक तोड़ोगे..

मिटने वाला मैं नाम नहीं… तुम मुझको कब तक रोकोगे… तुम मुझको कब तक रोकोगे…।।

 

इस जग में जितने ज़ुल्म नहीं, उतने सहने की ताकत है…

इस जग में जितने ज़ुल्म नहीं, उतने सहने की ताकत है ….

तानों  के भी शोर में रहकर सच कहने की आदत है । ।

 

मैं सागर से भी गहरा हूँ.. मैं सागर से भी गहरा हूँ…

तुम कितने कंकड़ फेंकोगे ।

चुन-चुन कर आगे बढूँगा मैं… तुम मुझको कब तक रोकोगे…तुम मुझको कब तक रोकोगे..।।

 

झुक-झुककर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शौक नहीं..

झुक-झुककर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शौक नहीं..

अपने ही हाथों रचा स्वयं.. तुमसे मिटने का खौफ़ नहीं…

तुम हालातों की भट्टी में… जब-जब भी मुझको झोंकोगे…

तब तपकर सोना बनूंगा मैं… तुम मुझको कब तक रोकोगे…तुम मुझको कब तक रोक़ोगे…।।

 

इस वेबसाइट पर प्रकाशित सभी प्रेरणादायक लेखों को इस लिंक पर क्लिक करके जरूर पढ़ें 

श्री अमिताभ बच्चन जी द्वारा कौन बनेगा करोड़पति के मंच पर एक प्रेरणादायक और दिल को छू लेने वाली हिंदी कविता…

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धन्यवाद !

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ऐ मेरे मौला तू मालिक है सबका – प्रेरणादायक गजल https://www.hamarisafalta.com/2018/07/inspirational-ghazal-in-hindi.html https://www.hamarisafalta.com/2018/07/inspirational-ghazal-in-hindi.html?noamp=mobile#respond Tue, 10 Jul 2018 16:04:29 +0000 https://hamarisafalta.com/?p=1796 ऐ मेरे मौला तू मालिक है सबका । सारा जहाँ में है, तेरा ही तो दपका । । मेरे गरीब नवाज तुम्हीं ही सहारा । गर तुम न होते तो मर जाते कबका । ।     तेरे बगैर इजाजत क्या हिलेगा ये पत्ता । ये गुलशन गुलिस्तां है मेरे ही रब का । । इंसानियत का कहीं नहीं है नामो निशां । बड़ा ख़राब जमाना आ गया है अबका । ।   काबिले तारीफ़ है दुनिया बनाने वाले । […]

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ऐ मेरे मौला तू मालिक है सबका ।

सारा जहाँ में है, तेरा ही तो दपका । ।

मेरे गरीब नवाज तुम्हीं ही सहारा ।

गर तुम न होते तो मर जाते कबका । ।

 

 

तेरे बगैर इजाजत क्या हिलेगा ये पत्ता ।

ये गुलशन गुलिस्तां है मेरे ही रब का । ।

इंसानियत का कहीं नहीं है नामो निशां ।

बड़ा ख़राब जमाना आ गया है अबका । ।

 

काबिले तारीफ़ है दुनिया बनाने वाले ।

इंसान को बनाया है बड़ा ही ग़जब का । ।

अपने आपको खुद खुदा समझ बैठा ।

इंसान नाम लेना भूल गया है रब का । ।

 

ऐ मेरे मालिक काली कमली वाले ।

तेरा ही शान शौकत है सारे मजहब का । ।

तेरे ही उम्मीद पर टिकी है वरना ।

ये दुनिया दलदल में डूब जाता कब का । ।

 

शमा से क्या पूछे, ये ‘चितवा’ बेचारा ।

रंग रूप अनेक पर, एक ही खुदा है सबका । ।

त्रिभुवन सिंह ‘चितवा’

रायगढ़ (छ.ग.)

जन्म तिथि : 25-12-1950

मो. नं. +91-9589365566

 

त्रिभुवन सिंह चितवा,  गढ़भीतर गली राजा पारा के निवासी हैं और इनके द्वारा दस वर्षों से कविताएँ लिखी जा रही हैं और कविताओं में छत्तीसगढ़ी, हिंदी और गजल का समावेश है जिसे विभिन्न पत्रिकाओं के माध्यम से प्रकाशित किया जाता है जिसे हजारों लोगों द्वारा पढ़ा जाता है ।

 

हम त्रिभुवन सिंह जी के आभारी हैं जिन्होंने इतनी सुन्दर गज़ल हमारे साथ साझा की ।

 

 

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