पाँच व्यक्ति, सन्यासी बनने के लिए अपने घर से निकल गए वे सब संसार से मोक्ष पाना चाह रहे थे. उन्होंने विचार किया कि यदि वो सन्यास ग्रहण कर लेंगे तो उन्हें इस संसार से मुक्ति मिल जायगी.
वे सभी घर से बहुत दूर निकल आये और एक तालाब के किनारे नीम के पेड़ के नीचे बैठ गए और अपने-अपने मन की बातें एक दूसरे से शेयर करने लगे. नीम का बूढ़ा पेड़ उन सबकी बातों को बहुत ध्यानपूर्वक सुन रहा था.. एक व्यक्ति ने कहा- मित्रों हम हर दिन जप-तप करेंगे, हवन-कुण्ड करेंगे और ऐसा करने से जब भगवान प्रसन्न होंगे तो हम उन्हें क्या वरदान मांगेंगे?
दूसरा व्यक्ति बोल पड़ा- “मित्रों, जब भगवान प्रसन्न हो जायेंगे तो हम उन्हें बल मांगेंगे क्योंकि यदि हमारे पास बल अधिक रहेगा तो हम बिना भोजन किये भी अधिक समय तक और भी अपनी ईच्छाओं की पूर्ति के लिए तप कर पायेंगे!”
तीसरे ने कहा- “हमें उनसे बुद्धि मांगनी चाहिए ताकि हम कभी भी इस संसार में किसी के धोखे में न आये और कोई हमें ठग न पाए.”
चौथा बोल पड़ा- “नहीं-नहीं! हम तो आत्मशांति ही मांगेंगे ताकि हम शांतिपूर्वक उस ईश्वर का ध्यान कर पायेंगे जिससे वो हमें इस संसार से मुक्ति दे दें..”
पांचवा कैसे चुप रह सकता था इसलिए उसने कहा- “अरे! मूर्खों तुम सब चुप हो जाओ. हमें तो भगवान से सीधा स्वर्ग का अधिकार मांग लेना है ताकि हमें इस संसार से मुक्ति तो मिले ही साथ ही हम स्वर्ग पर भी अपना आधिपत्य जमा सकें तथा स्वर्ग में ही हमें सब चीजें एक साथ ही मिल जाएँगी.
वह नीम का पेड़ जोर-जोर से ठहाका लगाकर हँसने लगा और बोल पड़ा- कितने मुर्ख हो तुम सब! मेरी बात ध्यान से सुनों.. तुमसे न तो तप होगा और न तुमको कोई वरदान मिलेगा.. यदि तुम्हारे भीतर इतना ही मनोबल होता तो तुम सब इस संसार से भागते नहीं फिर रहे होते. यदि तुम्हें अपनी ईच्छाओं की प्राप्ति चाहिए तो इसी संसार को ही अपना तपोवन बना लो.. सबके साथ प्रेम से व्यवहार करो. प्रेम बांटों, प्रेम मिलेगा.. दुखियों के दुखों को दूर करने का प्रयास करो.. दूसरों की सेवा में और प्राणिमात्र की आराधना में लगे रहो.. जीवन को खुलकर जीओ और दूसरों को भी जीने के लिए प्रेरित करो, कई लोग आज अपने जीवन की परेशानियों से तंग आकर आत्महत्या कर ले रहे हैं तुम सब उनका हौसला बनो.. सन्यासी बनकर भी स्वार्थपूर्ण जीवन जीना इस संसार का सबसे बड़ा पाप है इसलिए अपने जीवन को इसी संसार के लोगों के लिए, अपने परिवार के लिए समर्पित कर दो.. फिर देखना जब तुम सब ऐसा करोगे तो वो ऊपरवाला भी तुम्हारी सबकी सारी ईच्छाएँ पूरी करेंगे और सबसे ज्यादा प्रसन्न होंगे..
पाँचों आदमी, बूढ़े नीम की बात समझ गए और उन्होंने ठान लिया कि सन्यासी होने से अच्छा है कि समाज में रहकर ही लोगों की सेवा करना भगवान को खुश करने का सबसे बड़ा रहस्य है..
मित्रों, भगवान को खुश करने का सबसे बड़ा रहस्य यही है कि हम सब प्राणिमात्र की सेवा करें, जरूरतमंदों की मदद करें, लोगों को अच्छा करने के लिए हमेशा प्रेरित करें और एक दिन ऐसा भी आयेगा जब भगवान ऊपर बैठे हमारी खूब प्रशंसा करेंगे कि हम अपने लिए ही नहीं बल्कि दूसरों के लिए भी कुछ अच्छा करने के लिए जी रहे हैं..
धन्यवाद!