गुण अवगुण पर प्रेरणादायक हिंदी कहानी
दो विद्वान मित्र एक प्रतिष्ठित सेठ के यहाँ उनके निमंत्रण पर पूजा-पाठ करने के लिए गए। सुबह के समय उनमें से एक विद्वान मित्र पूजा करने के लिए जाता था। एक सुबह सेठ जी ने विनम्र स्वभाव के साथ हाथ जोड़कर विद्वान से कहा, महाराज जी आपके मित्र तो बहुत ही नेक इंसान हैं। इतना सुनते ही उसने सेठ को जवाब देते हुए कहा, ‘वह तो निरा बैल है।’ किसी भी चीज की जानकारी नहीं है उसे। मेरे साथ रहता है इसलिए उसे थोड़ा-बहुत सम्मान मिल जाता है।
अगली सुबह जब दूसरा मित्र हवन करने के लिए आया, तब सेठ ने वही बात उस विद्वान मित्र के सामने भी कही। इस पर दुसरे मित्र ने भी जवाब देते हुए कहा, ‘वह तो निरा गधा है। वह तो मेरे साथ इसलिए है ताकि मेरा सामान ढो सके। उसे मैंने अपनी सेवा करने के लिए अपने साथ रखा हुआ है।’
सेठ जी को दोनों मित्रों का ऐसा जवाब सुनकर बहुत ही आश्चर्य हुआ।
एक शाम जब दोनों की पूजा समाप्त हो गई और वे एक साथ खाना खाने के लिए सेठ जी के यहाँ आए तब सेठ ने दोनों की थाली में हरी घास रख दी और उनसे कहा, महाराज इस भोजन को स्वीकार करें।
दोनों मित्र गुस्से से आग-बबूला हो उठे। इसके बाद सेठ जी ने उनके सामने हाथ जोड़ते हुए कहा, महाराज! आप दोनों मित्रों ने ही एक दुसरे को गधा और बैल बताया है। और मुझे लगता है कि आप हरी घास, गधे और बैल के लिए प्रिय भोजन होना चाहिए।
दोनों मित्र इस बात के लिए बहुत शर्मिंदा थे और उन्हें बहुत पछतावा हो रहा था।
दोस्तों यदि हर व्यक्ति अपने अंदर अवगण देखना और दूसरों में गुण देखना शुरू कर दे तो वह इस प्रकार के व्यवहार से बच सकता है। हमें दूसरों में कमियां या गलतियां खोजना बंद कर देना चाहिए। आप खुद में कितनी गलतियां या कमियां खोज निकालते हैं और उन्हें सही करते हैं ये मायने रखता है।
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