हर पिता यह याद रखे Archives - HamariSafalta.com https://www.hamarisafalta.com/tag/हर-पिता-यह-याद-रखे भारत की सबसे प्रेरणादायक हिंदी ब्लॉग Fri, 17 Jul 2020 14:00:59 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://www.hamarisafalta.com/wp-content/uploads/2017/08/hs.png हर पिता यह याद रखे Archives - HamariSafalta.com https://www.hamarisafalta.com/tag/हर-पिता-यह-याद-रखे 32 32 121486502 फ़ादर फ़ॉरगेट्स – हर पिता यह याद रखे https://www.hamarisafalta.com/2020/07/%e0%a4%b9%e0%a4%b0-%e0%a4%aa%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a4%be-%e0%a4%af%e0%a4%b9-%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%b0%e0%a4%96%e0%a5%87.html https://www.hamarisafalta.com/2020/07/%e0%a4%b9%e0%a4%b0-%e0%a4%aa%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a4%be-%e0%a4%af%e0%a4%b9-%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%b0%e0%a4%96%e0%a5%87.html?noamp=mobile#respond Fri, 17 Jul 2020 14:00:59 +0000 https://hamarisafalta.com/?p=2572 हर पिता यह याद रखे – डब्ल्यू. लिविंगस्टन लारनेड  सुनो बेटे! मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।  तुम गहरी नींद में सो रहे हो।  तुम्हारा नन्हा सा हाथ तुम्हारे नाजुक गाल के नीचे दबा है।  और तुम्हारे पसीना-पसीना ललाट पर घुँघराले बाल बिखरे हुये हैं।  मैं तुम्हारे कमरे में चुपके से दाखि़ल हुआ हूँ, अकेला।  अभी कुछ मिनट पहले जब मैं लाइब्रेरी में अख़बार पढ़ रहा था, तो मुझे बहुत पश्चाताप हुआ।  इसीलिये तो आधी रात को मैं तुम्हारे पास […]

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हर पिता यह याद रखे – डब्ल्यू. लिविंगस्टन लारनेड 

सुनो बेटे! मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।  तुम गहरी नींद में सो रहे हो।  तुम्हारा नन्हा सा हाथ तुम्हारे नाजुक गाल के नीचे दबा है।  और तुम्हारे पसीना-पसीना ललाट पर घुँघराले बाल बिखरे हुये हैं।  मैं तुम्हारे कमरे में चुपके से दाखि़ल हुआ हूँ, अकेला।  अभी कुछ मिनट पहले जब मैं लाइब्रेरी में अख़बार पढ़ रहा था, तो मुझे बहुत पश्चाताप हुआ।  इसीलिये तो आधी रात को मैं तुम्हारे पास खड़ा हूँ, किसी अपराधी की तरह।

जिन बातों के बारे में मैं सोच रहा था, वे ये हैं, बेटे : मैं आज तुम पर बहुत नाराज हुआ।  जब तुम स्कूल जाने के लिये तैयार हो रहे थे, तब मैंने तुम्हें खूब डाँटा… तुमने टॉवेल को चहरे पर केवल एक बार थपकाया था।  तुम्हारे जूते गंदे थे, इस बात पर भी मैंने तुम्हें कोसा।  तुमने फर्श पर इधर-उधर चीज़ें फेंक रखी थीं… इस पर मैंने तुम्हें भला-बुरा कहा।

नाश्ता करते वक़्त भी मैं तुम्हारी एक के बाद एक ग़लतियाँ निकालता रहा।  तुमने डाइनिंग टेबल पर खाना बिखरा दिया था।  खाते समय तुम्हारे मुँह से चपड़-चपड़ की आवाज़ आ रही थी।  मेज़ पर तुमने कोहनियाँ भी टिका रखी थी।  तुमने ब्रेड पर बहुत सारा मक्खन भी चुपड़ लिया था।  यही नहीं जब मैं ऑफिस जा रहा था और तुम खेलने जा रहे थे और तुमने मुड़कर हाथ हिलाकर ‘‘गुडबाय, डैडी’’ कहा था, तब भी मैंने भृकुटी तानकर टोका था, ‘‘अपने कन्धों को तानकर रखो!’’

शाम को भी मैंने यही सब किया।  ऑफिस से लौटकर मैंने देखा कि तुम दोस्तों के साथ मिट्टी में घुटने टेके कंचे खेल रहे थे।  तुम्हारे कपड़े गंदे थे, तुम्हारे मोज़ों में छेद हो गये थे।  मैं तुम्हें पकड़कर ले गया और तुम्हारे दोस्तों के सामने तुम्हें अपमानित किया।  मोज़े महँगे हैं – जब तुम्हें ख़रीदने पड़ेंगे तब तुम इनका ज्यादा ध्यान रखोगे! ज़रा सोचो तो सही, एक पिता अपने बेटे का इससे ज़्यादा दिल किस तरह दुखा सकता है?

क्या तुम्हें याद है जब मैं लाइब्रेरी में पढ़ रहा था तब तुम रात को मेरे कमरे में आये थे, किसी सहमे हुये हिरण के बच्चे की तरह।  तुम्हारी आँखें बता रही थीं कि तुम्हें कितनी चोट पहुँची है।  और मैंने अख़बार के ऊपर से देखते हुये पढ़ने में बाधा डालने के लिय तुम्हें झिड़क दिया था, “कभी तो चैन से रहने दिया करो।  अब क्या बात है?” और तुम दरवाजे़ पर ही ठिठक गये थे।  तुमने कुछ नहीं कहा।  तुम बस भागकर आये, मेरे गले में बाँहे डालकर मुझे चुमा और ‘‘गुडनाइट’’ करके चले गये।  तुम्हारी नन्ही बाँहों की जकड़न बता रही थी कि तुम्हारे दिल में ईष्वर ने प्रेम का ऐसा फूल खिलाया था जो इतनी उपेक्षा के बाद भी नहीं मुरझाया।  और फिर तुम सीढि़यों पर खट-खट करके चढ़ गये।

हर पिता यह याद रखे

तो बेटे, इस घटना के कुछ ही देर बाद मेरे हाथों से अख़बार फिसल गया और मुझे बहुत आत्मग्लानि हुई।  यह आदत मेरे साथ क्या कर गई? ग़लतियाँ ढूँढने की, डाँटने-डपटने की आदत सी पड़ती जा रही है मुझे।  अपने बच्चों के बचपने का मैं यह पुरस्कार दे रहा हूँ।  ऐसा नहीं है, बेटे, कि मैं तुम्हें प्यार नहीं करता, पर मैं एक बच्चे से ज़रूरत से ज़्यादा उम्मीदें लगा बैठा था।  मैं तुम्हारे व्यवहार को अपने समय के पैमाने से तौल रहा था।

और तुम बहुत ही प्यारे हो, उतने ही अच्छे और सच्चे हो।  तुम्हारा नन्हा सा दिल इतना बड़ा है जैसे चौड़ी पहाडि़यों के पीछे से उगता सूरज।  तुम्हारा बड़प्पन इसी बात से साबित होता है कि दिन भर डाँटते रहने वाले पापा को भी तुम रात को ‘‘गुडनाइट किस’’ देने आये।  आज की रात और कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं है, बेटे।  मैं अँधेरे में तुम्हारे सिरहाने आया हूँ और मैं यहाँ घुटने टिकाये बैठा हूँ, शर्मिंदा!

यह एक कमज़ोर पश्चाताप है; मैं जानता हूँ कि अगर मैं तुम्हें जगाकर यह सब कहूँगा, तो शायद तुम नहीं समझोगे।  पर कल से मैं सचमुच तुम्हारा प्यारा पापा बनकर दिखाऊँगा।  मैं तुम्हारे साथ खेलूँगा, तुम्हारी मजेदार बातें मन लगाकर सुनूँगा, तुम्हारे साथ खुलकर हँसूँगा और तुम्हारी तकलीफ़ों को बाँटूँगा।  आगे से जब भी मैं तुम्हें डाँटने के लिये मुँह खोलूँगा, तो इसके पहले अपनी जीभ को अपने दाँतों में दबा लूँगा।  मैं बार-बार किसी मंत्र की तरह यह दोहराऊंगा, “वह तो अभी बच्चा है… छोटा सा बच्चा!”

मुझे अफ़सोस है कि मैंने तुम्हें बच्चा नहीं, बड़ा मान लिया था।  परंतु आज जब मैं तुम्हें सिकुड़कर और थके हुए पलंग पर सोया देख रहा हूँ।  बेटे, तो तुझे एहसास होता है कि तुम अभी बच्चे ही तो हो।  कल तक तुम अपनी माँ की बाँहो में थे, उसके कंधे पर सिर रखे।  मैंने तुमसे बहुत ज़्यादा उम्मीदें की थीं, बहुत ज़्यादा!


 

हर पिता यह याद रखे, यह लेख डेल कार्नेगी की किताब How to Win Friends & Influence People के हिंदी अनुवाद लोक व्यवहार किताब से ली गई है जो बातचीत की कला सिखाने और जीवन में आगे बढ़ने में मदद के लिए एक बेहतरीन किताब है। यदि आपने यह किताब नहीं पढ़ी है तो मैं Recommend करूँगा कि आप डेल कार्नेगी की यह बुक जरूर पढ़ें।

बहुत-बहुत धन्यवाद 🙂

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