चाइना वाले ने कुम्फु कराटे के द्वारा केवल 50 प्रतिशत ही केंकड़ों को टोकरी के अंदर किया।
जापान वालोँ ने अपने टेकनोलोजी के द्वारा मात्र 65 प्रतिशत केकड़े ही टोकरी में जमा कर पाए।
भारत का जो व्यक्ति Competition मेँ हिस्सा लिया था, वह चुपचाप कोनेँ मेँ खड़ा होकर चना खाये जा रहा था, और सिर्फ तमाशा देख रहा था। और भारत के उस अकेले व्यक्ति को छोड़कर सभी देशों के लोग केंकड़ों को पकड़नेँ मेँ लगे हुए थे। प्रतियोगिता का Time धीरे-धीरे करके खत्म हो गया और अब सभी Result के इंतजार मेँ थे। जब Result की घोषणा हुई तब सब व्यक्तियों के होश उड़ गये क्योँकि जीतने वाला भारत का वह व्यक्ति था जिसनेँ कुछ भी नहीँ किया था बस कोनेँ मेँ खड़ा था और बस कोने में खड़े कोकरचने खा रहा था। जब प्रेस रिपोर्टर उस व्यक्ति के पास गया और उससे पूछा-” कि आपनेँ तो टोकरी की ढक्कन खोली थी और आप कोनेँ मेँ खड़े होकर बस तमाशा देख रहे थे तो फिर आपको जीत कैसे मिल गई? आपकी जीत का क्या कारण है?” उस व्यक्ति नेँ हँसते हुए कहा-” इस प्रतियोगिता की शर्त थी कि जिसके टोकरी मेँ भी ज्यादा केँकड़े होँगे वही जीतेगा और मेरे ढक्कन खोलनेँ के बावजुद एक भी केँकड़ा टोकरी से बाहर ही नहीँ निकला..
इस पर प्रेस रिपोर्टर ने दुबारा उससे पूछा- पर ढक्कन खोलने के बाद भी केंकड़े क्यों बाहर नहीं आये?
उस व्यक्ति ने जवाब देते हुए कहा- क्योँकि भारत के केँकड़े बड़े ही विचित्र होते हैँ, जब भी कोई केँकड़ा टोकरी से ऊपर उठना चाहता है तो दुसरा केँकड़ा उसकी टांग खीँच देता है जिससे वो उस टोकरी से बाहर निकल नहीँ पाता, इसीलिए मैँ जीत गया क्योँकि मेरे सारे केँकड़े टोकरी के अंदर ही हैँ।
दोस्तों, आज हमारी सोसायटी भी इन्हीँ केँकड़ोँ की तरह हो गयी है जब भी हम सफलता की सीढ़ी चढ़नेँ वाले होते हैँ, या कुछ अलग कर गुजरने के लिए आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं तभी उस सीढ़ी मेँ चढ़नेँ से पहले समाज या हमारी तरह ही ऊपर उठने की कोशिश करने वाले लोग हमारा टांग खीँचनेँ लगते हैं। आज आपसे कोई पुछेगा कि बेटा या बेटी आप बड़े होकर क्या बनोगे? तब यदि उनके सामनेँ आपनेँ कुछ बड़ी सोच रख दी तो वे तुरंत आपको निरोत्साहित कर देँगे कि तुम जो सोँच रहे हो वो कभी नहीँ बन सकते।
आज लोगोँ को अपनेँ उन्नति, से मतलब नही बल्कि दुसरोँ की अवनति से मतलब है। समाज हम जैसे आम नागरिकोँ के मिलनेँ से ही बना है और जिस दिन प्रत्येक व्यक्ति अपने सोचने के नजरिये को सही कर लेगा तब उन्हेँ दुसरोँ की टाँग खीँचनेँ मेँ कोई भी दिलचस्पी नजर नहीँ आयेगी। समाज का मुख्य कर्तव्य है खुद मेँ अच्छा परिवर्तन और दुसरोँ के लिए बेहतरीन परिवर्तन लाना। समाज की उन्नति हमारी उन्नति है।
और हमसे ही समाज का निर्माण हूआ है।
हमेँ केँकड़ोँ की भाँति दूसरों की टाँग नहीँ खींचनी चाहिए बल्कि एक सच्चा इंसान बनकर स्वयं को ऊपर उठाना चाहिए साथ ही दुसरोँ के लिए हर वो संभव मदद करनीँ चाहिए जितना कि हमसे हो सके।
स्वयँ बढ़ेँगे और दुसरोँ को भी बढ़ायेँगे यह हमारा उद्देश्य होना चाहिए, आज यदि भारत को बदलना है तो हमेँ समाज को बदलना पड़ेगा और समाज को बदलनेँ के लिये हमेँ पहले स्वयं को बदलना पड़ेगा।
समाज के टांग खीँचनेँ वाले चंद लोग आपके आत्मविश्वास को तोड़नेँ मेँ कोई कसर नहीँ छोड़ेँगे लेकिन हमेँ और आपको अपनेँ आत्मविश्वास को बनायेँ रखना है। उनकी निरोत्साहित करनेँ वाली बातोँ को दिमाग में लोड नहीँ होने देना है और हमेँ अपनेँ बल पर ऊपर उठना है, आगे बढ़ते जाना है, टोकरी से बाहर निकलना है और सफल होकर, समाज के टांग खीँचने वालोँ को दिखा देना है लेकिन चाहे जो हो जाये अब हम या आप ना तो किसी की टाँग खीचेँगे, और नहीँ किसी के मार्ग मेँ रूकावट पैदा करेँगे। आप आज इस विडियो को देख रहे हैं इसलिए आप अपनेँ आपसे ये Promise जरूर कीजियेगा कि किसी से भी आप ऐसी बात न बोलेँ जिससे कि सामनेँ वाले को टांग खीँचने का एहसास हो और आपकी वजह से वह दुखी व निराश हो।
अंत में आप सब दोस्तों से यही कहना चाहेंगे कि
“टाँग खीँचना बंद करेँ और भारत को सुखी-संपन्न करेँ।”
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