मोहनलाल बहुत बड़े उद्योगपतियों में से एक थे। उनका नाम और उनकी पहचान उनके कारखाने की वजह से बढ़ती जा रही थी जहाँ हजारों मजदूर और कारीगर काम किया करता थे। कारखाने से उन्हें हर लाखों का मुनाफा होता और इसी के कारण हजारों मजदूरों के घर में चूल्हा जलता था।
एक दिन अचानक उनके कारखाने में एक मशीन ख़राब हो गयी जिसको बनाने के लिए दूर-दूर से इंजीनीयर आये लेकिन वो उसे सही करने में असफल साबित हुए। मशीन की खराबी के कारण मोहनलाल को लाखों का नुकसान हो रहा था।
कुछ दिन बाद वहां एक इंजीनीयर आया, और उसने दावा किया कि वह उस मशीन को सही कर सकता है। यह सुनते ही मोहनलाल उसे अपने कारखाने के अंदर ले गए। अंदर पहुँचते ही इंजीनियर ने एक शर्त रखी कि मशीन ठीक हो जाने के बाद पैसे का भुगतान या अपना मेहनताना वे खुद तय करेंगे, मोहनलाल अब कर भी क्या सकते थे क्योंकि उनका हर दिन लाखों का नुकसान हो रहा था इसलिए उन्होंने इस शर्त को स्वीकार लिया।
इंजीनियर ने मशीन का निरीक्षण किया और उसने पाया कि मशीन का एक पेंच ढीला है, उसने उस पेंच को कस दिया और मशीन दोबारा फिर से चालु हो गया। यह सब देख मोहनलाल बहुत खुश हुए और उन्होंने उससे अपना मेहताना तय करने की बात की।
इंजीनियर ने उनसे मशीन को ठीक करने का 20,000 रूपये माँगा। मोहनलाल इस बात से बहुत आश्चर्य हुए कि सिर्फ एक पेंच कसने का ही केस कोई बीस हजार रूपये ले सकता है लेकिन उन्होंने अपना वादा पूरा किया और पैसे देते हुए पूछा- सिर्फ एक छोटा-सा पेंच कसने का बीस हजार लेना, कुछ ज्यादा नहीं हो रहा है?
इस पर इंजीनीयर ने कहा- महोदय, मैंने तो पेंच कसने का सिर्फ 1 रूपया ही लिया है, बाकि 19,999 रूपये इतने बड़े मशीन में कौन-सा पेंच ढीला है उसे देखकर कसने का लिया है।
मोहनलाल उस इंजीनीयर की चतुराई और बातों से बहुत प्रभावित हुए और उसे अच्छी वेतन के साथ एक उच्च पद पर नौकरी पर रख लिया गया।
दोस्तों, किसी भी चीज में या कहीं भी अपनी मेहनताना की कीमत अपने हुनर से की जाती है। किसी होटल में खाना खाने के बाद बिल का भुगतान किया है तो बहुत लोगों के मुंह से ये सुनने को मिलता है कि यही खाना तो हम घर पर बना सकते थे, और इसके लिए ही हमें इतना ज्यादा भुगतान करना पड़ा लेकिन किसी बिजनेस या अन्य किसी फील्ड में सामने वाला आपसे अपने टैलेंट के, अपनी हुनर के लिए भुगतान करने को कहता है, भले ही कार्य उसके लिए कितना ही बड़ा क्यों न हो या फिर कितना ही छोटा। सार शब्दों में कहा जाए तो हुनर की कीमत हमेशा अनमोल रहती है।