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एक व्यक्ति मरने के बाद एक बहुत बड़े दरवाजे के सामने पहुंचा, उसे यकीन नहीं आ रहा था कि अब वह जीवित नहीं है. उसने जब उस बड़े दरवाजे को खोला तो यह देख चकित रह गया कि स्वर्ग और नरक दोनों का दरवाजा एक ही है लेकिन स्वर्ग का रास्ता दाहिने ओ़र और नरक का रास्ता बाईं ओ़र है.

उसने जब देखा कि सभी व्यक्ति बाईं ओ़र ही जा रहे हैं, तो उसे लगा कि जरूर बाईं ओ़र स्वर्ग होगा, लेकिन जब उसने बाईं ओ़र के रास्ते पर अपना कदम बढाया, तो अचानक उसके सामने एक यमदूत प्रकट हुआ और उसने उस व्यक्ति से कहा:- ठहरो! तुम जिस रास्ते पर जा रहे हो वह नरक का रास्ता है, कई लोग बाईं ओ़र इतनी भीड़ को देखते हुए इसे स्वर्ग का रास्ता समझ बैठते हैं, तुमने लोगों की भीड़ को देखकर अपना पहला अवसर गँवा दिया, जबकि तुम स्वर्ग वाली दायें रास्ते पर भी जा सकते थे!”

उस व्यक्ति ने विनम्र भाव से हाथ जोड़ते हुए निवेदन किया- यमदूत महाराज मुझे क्षमा करें, मैं आपसे एक और अवसर की प्रार्थना करता हूँ, मुझे एक आख़िरी अवसर दिया जाए ताकि मैं इसका भरपूर लाभ ले सकूँ!!”

यमदूत ने उसे आखिरी अवसर देते हुए कहा- “ठीक है, मैं तुम्हें तुम्हारे कर्मो की यह किताब दे रहा हूँ इसमें सभी पृथ्वीलोक के लोगों का भाग्य लिखा हुआ है, और तुम्हारे पाप-पुण्य का लेखा-जोखा भी इसमें शामिल है. यदि तुमने तुम्हारी एक भी पिछली गलती सुधार ली तो तुम स्वर्ग में प्रवेश कर सकोगे, लेकिन एक बात हमेशा ध्यान में रहे कि तुम्हें सिर्फ एक ही परिवर्तन का अवसर दिया जायेगा..”

उस व्यक्ति ने यमदूत को धन्यवाद कहा और किताब हाथ में लेकर अपने पाप कर्मों की परिवर्तन में जूट गया. उसने जैसे ही अपने कर्मों का पन्ना पलटाया, उसे अपने पड़ोसी के कर्मफल दिखने लगे.. उसे देखते ही वह चौक गया क्योंकि पड़ोसी के पुण्य फल का पलड़ा उसके पुण्यफल से बहुत भारी था.. अब वह ईर्ष्यालू भाव से यह सोंचने लगा कि यदि मैंने इसके पाप कर्मों में बढोत्तरी कर दी तो इसे आगे कठिनाइयाँ भुगतनी पड़ेंगी, इसी सोंच में उसने अपने पड़ोसी के कर्म-फल में एक परिवर्तन कर दिया.

परिवर्तन होते ही यमदूत वहाँ पहुंचकर उसके हाथ से किताब ले गए और अब उस व्यक्ति को सिर्फ पछतावा लिए नरक के मार्ग पर ही चलना पड़ा..

मित्रों इस एक कहानी से हमे तीन बातें सीखने को मिलती हैं:-

(1.)  ईर्ष्या या जलन के परिणाम स्वरुप यदि हम कोई गलत कदम उठाते हैं, तो इसका परिणाम हमारे लिए घातक सिध्द हो सकता है.

(2.)  अपनी नियति या भाग्य को हम सब संवार सकते हैं, बशर्ते हम उन अवसरों को पहचाने जो हमारे सामने हैं. अवसर का भरपूर फायदा उठाना, अपनी नियति में बेहतर परिवर्तन लाना है.

(3.)  अपनी जिंदगी में सही रास्ते का चुनाव करने के लिए अवसर बार-बार नहीं मिलेंगे, और यदि आपको पता है कि इसी एक अवसर से आप अपने असली मुकाम तक पहुँच सकते हैं, तो इसे किसी के जलन या ईर्ष्या के कारण हाथ से मत जाने दें, उन गलतियों को न दोहराएँ जो आपकी पुण्य कर्मों के फल को कम करते हैं. क्योंकि आपको अब पता है कि अवसर बार-बार नहीं मिलता.

धन्यवाद!

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